धौलपुर. कहते हैं मन के हारे हार है और मन के जीते जीत… कोरोना से जंग में जीत के लिए इन दिनों यह अचूक मंत्र किसी रामबाण से कम नहीं है. यह मंत्र कोरोना संक्रमित मरीजों को दृढ़ इच्छाशक्ति प्रदान करने के साथ कोरोना वायरस को हराने में सार्थक भी साबित हो रहा है. चिकित्सकों का भी मानना है कि अगर व्यक्ति में हिम्मत और हौसला है तो संक्रमण उसके दिमाग पर हावी नहीं होता है. सकारात्मक सोच से ही कोरोना महामारी से जंग जीती जा सकती है. धौलपुर में कई लोगों ने अपने हौसले और मजबूत इरादों से कोरोना को मात दी है.
राजाखेड़ा पंचायत समिति के सरपंच एवं शहर के गणमान्य नागरिक समाज सेवा करते हुए कोरोना संक्रमण की चपेट में आ गए, लेकिन सोच एवं इरादे को सकारात्मक रखा. लिहाजा अस्पताल के आईसीयू वार्ड से कोरोना को मात देकर सकुशल घर भी आ गए. इन्होंने कोरोना पीड़ित रोगियों को एक संदेश भी दिया है कि कभी भी संक्रमित व्यक्ति बीमारी को दिमाग पर हावी नहीं होने दे. हिम्मत और हौसले से काम लें तो जीत निश्चित है.
राजाखेड़ा पंचायत समिति की ग्राम पंचायत बिनती पुरा के सरपंच राजेश सिकरवार के मुताबिक 10 दिन पहले तेज बुखार होने पर जब सीटी स्कैन कराया तो कोरोना के लक्षण सामने आए. ऑक्सीजन लेवल भी 85 प्रतिशत हो गया लेकिन वे घबराए नहीं. गंभीर कोरोना संक्रमण होने के बावजूद उन्होंने ठान लिया कि कोरोना को हराना है. और कुछ ही दिनों ने दृढ़ इच्छाशक्ति से कोरोना से जंग जीत भी ली.
हाल ही में कोरोना को मात देने वाले राजेश सिकरवार ने कहा कि लगातार ग्राम पंचायत में लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए सुबह से ही घर से निकलना होता था. इसी बीच उन्होंने कोरोना वैक्सीन भी लगवाई थी. उसके बाद उन्हें हल्का बुखार हुआ तो सीटी स्कैन कराया तो कोरोना के लक्षण मिले. हालत ज्यादा खराब होने लगी और ऑक्सीजन लेवल कम होने पर सांस लेने में भी दिक्कत होने लगी. इसके बाद जिला अस्पताल में वे भर्ती हुए लेकिन हौसला नहीं टूटा.
इस बीच पत्नी और बच्चे भी कोरोना पॉजिटिव हो गए. उसके बाद भी मैंने खुद के साथ हॉस्पिटल में रहते हुए परिवार के सदस्यों का हौसला नही टूटने दिया. उन्हें भी फोन पर मोटीवेट करता रहा. डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ भी मुझे लगातार मोटिवेट करते रहे. मैंने खुद पर बीमारी और निगेटिविटी हावी नहीं होने दी. फोन पर परिजनों और मित्रों से बात करता तो सभी मुझे हिम्मत देते और कहते कि चिंता न करूं, सब जल्दी ठीक हो जाएगा. लिहाजा सकारात्मक सोच के कारण 10 दिन में कोरोना को मात देकर लौटा.
बीएससी फाइनल इयर की छात्रा दीक्षा शर्मा ने बताया करीब 15 दिन पूर्व वह कोरोना संक्रमित हो गईं थी. लेकिन हिम्मत हौसले को बरकरार रखा. गजलें एवं क्लासिकल संगीत को सुनकर ध्यान को डायवर्ट किया. नकारात्मक सोच को दिमाग पर हावी नहीं होने दिया. चिकित्सक से उपचार लेकर 10 दिन के अंदर पूरी तरह से स्वस्थ हो गई.
शहर के समाजसेवी मलखान सिंह का कहना है कि वह कभी घबराए नहीं बल्कि यह ठान लिया कि कोरोना से जिंदगी नहीं हारूंगा. 7 दिन आईसीयू में रहा, रिपोर्ट नेगेटिव आई और स्थिति में सुधार हुआ तो डॉक्टर्स ने आइसोलेशन में शिफ्ट कर दिया और अब डिस्चार्ज होने के बाद मैं पूरी तरह से स्वस्थ हूं. पहले की तरह सभी कार्य घर में कर रहा हूं.
महामारी को मात देकर तीनों योद्धा पूरी तरह से स्वस्थ हैं. उन्होंने लोगों को संदेश देते हुए कहा कि बीमारी को दिमाग पर नहीं चढ़ने दें. सकारात्मक सोच को साथ रखते हुए संक्रमण पर जीत निश्चित है.