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अचेत मिले 7 में से 5 मोरों की मौत, ग्रामीणों ने लगाया इलाज नहीं करवाने का आरोप

धौलपुर के गांव विक्रमपुरा में अचेत मिले 7 में से 5 मोरों की बुधवार को मौत हो गई. ग्रामीणों ने मोरों को इलाज नहीं देने का आरोप लगा प्रदर्शन किया है.

7 out of 5 unconscious peacocks died in Dholpur,
अचेत मिले 7 में से 5 मोरों की मौत, ग्रामीणों ने लगाया इलाज नहीं देने का आरोप
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Published : Apr 5, 2023, 9:03 PM IST

Updated : Apr 5, 2023, 11:17 PM IST

मोरों की मौत के मामले में ग्रामीणों ने लगाया ये आरोप...

धौलपुर. जिले के सैपऊ थाना इलाके के गांव विक्रमपुरा में मंगलवार को जहरीला दाना चुगने से 3 राष्ट्रीय पक्षी मोरों की मौत के बाद अचेत हालत में मिले 7 में से 5 मोरों की बुधवार को मौत हो गई. मोरों की लगातार मौत होने के मामले में वन विभाग के कर्मचारियों की घोर लापरवाही सामने आई है. मोरों की मौत के मामले में बुधवार को गांव विक्रमपुरा के लोगों ने वनकर्मियों की लापरवाही को लेकर वन विभाग के नाके पर जमकर नारेबाजी और प्रदर्शन करते हुए कर्मचारियों पर गंभीर आरोप लगाए.

भीड़ के वन विभाग कार्यालय घेरे जाने की सूचना पर मौके पर पहुंचे पुलिस उपाधीक्षक विजय कुमार सिंह ने ग्रामीणों से समझाइश की. उन्होंने इस मामले में उचित कार्रवाई का भरोसा दिया. ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि मंगलवार को 3 मोरों की मौत अज्ञात कारणों के चलते हो गई थी, लेकिन वन विभाग के कर्मचारियों ने पोस्टमार्टम कार्रवाई कराने के बजाय मृत मोरों और अचेत हालत में मिले 7 मोरों को स्टोर रूम में लाकर पटक दिया. रात भर स्टोर रूम में पड़े रहने एवं उपचार के अभाव में अचेत हालत में मिले 7 मोरों में से 5 की और मौत हो गई.

पढ़ेंः धौलपुर में जहरीला दाना चुगने से 3 मोरों की मौत, 7 का उपचार जारी

ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें किसी तरह वनकर्मियों द्वारा अचेत मोरों का उपचार नहीं कराए जाने की सूचना मिली थी. जिस पर गांव के लोग बड़ी संख्या में एकत्रित होकर वन विभाग के नाके पर पहुंच गए. लोगों ने नाके के स्टोर रूम को खुलवाया, तो कुल 8 मोर मृत हालत में पाए गए. राष्ट्रीय पक्षी मोर की मौत के मामले में बरती गई लापरवाही को लेकर ग्रामीणों का वनकर्मियों के खिलाफ गुस्सा फूट पड़ा. इस दौरान लोगों ने वन विभाग के उच्चाधिकारियों को फोन से शिकायत कर मौके पर बुलाया गया, लेकिन विभाग का कोई भी उच्चाधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा.

पढ़ेंः तेज गर्मी से बीते 2 माह में 50 मोरों की मौत, डिहाइड्रेशन और वैक्टीरियल इन्फेक्शन से घुट रहा दम

पुलिस उपाधीक्षक विजय कुमार सिंह ने बताया कि ग्रामीणों के द्वारा उपचार नहीं कराए जाने के आरोप गलत हैं. मोरों का उपचार मेडिकल टीम ने मंगलवार को किया था. उनके आगे ही मोरों का पोस्टमार्टम मेडिकल टीम ने किया है. प्रथम दृष्टया मोरों की मौत के मामले में अधिक भोजन लेने और श्वास नली में गेहूं के दाने मिलने की जानकारी मिली है. बिसरा जांच रिपोर्ट के लिए एफएसएल भेजा गया है. इसके बाद ही मोरों की मौत का कारण स्पष्ट हो सकेगा. उधर पशुपालन विभाग के कंपाउंडर रूप सिंह धाकड़ ने बताया कि सभी मोरों का पोस्टमार्टम कराकर अंतिम संस्कार करा दिया गया है. नमूने लेकर जांच के लिए भरतपुर भेजे गए हैं.

मोरों की मौत के मामले में ग्रामीणों ने लगाया ये आरोप...

धौलपुर. जिले के सैपऊ थाना इलाके के गांव विक्रमपुरा में मंगलवार को जहरीला दाना चुगने से 3 राष्ट्रीय पक्षी मोरों की मौत के बाद अचेत हालत में मिले 7 में से 5 मोरों की बुधवार को मौत हो गई. मोरों की लगातार मौत होने के मामले में वन विभाग के कर्मचारियों की घोर लापरवाही सामने आई है. मोरों की मौत के मामले में बुधवार को गांव विक्रमपुरा के लोगों ने वनकर्मियों की लापरवाही को लेकर वन विभाग के नाके पर जमकर नारेबाजी और प्रदर्शन करते हुए कर्मचारियों पर गंभीर आरोप लगाए.

भीड़ के वन विभाग कार्यालय घेरे जाने की सूचना पर मौके पर पहुंचे पुलिस उपाधीक्षक विजय कुमार सिंह ने ग्रामीणों से समझाइश की. उन्होंने इस मामले में उचित कार्रवाई का भरोसा दिया. ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि मंगलवार को 3 मोरों की मौत अज्ञात कारणों के चलते हो गई थी, लेकिन वन विभाग के कर्मचारियों ने पोस्टमार्टम कार्रवाई कराने के बजाय मृत मोरों और अचेत हालत में मिले 7 मोरों को स्टोर रूम में लाकर पटक दिया. रात भर स्टोर रूम में पड़े रहने एवं उपचार के अभाव में अचेत हालत में मिले 7 मोरों में से 5 की और मौत हो गई.

पढ़ेंः धौलपुर में जहरीला दाना चुगने से 3 मोरों की मौत, 7 का उपचार जारी

ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें किसी तरह वनकर्मियों द्वारा अचेत मोरों का उपचार नहीं कराए जाने की सूचना मिली थी. जिस पर गांव के लोग बड़ी संख्या में एकत्रित होकर वन विभाग के नाके पर पहुंच गए. लोगों ने नाके के स्टोर रूम को खुलवाया, तो कुल 8 मोर मृत हालत में पाए गए. राष्ट्रीय पक्षी मोर की मौत के मामले में बरती गई लापरवाही को लेकर ग्रामीणों का वनकर्मियों के खिलाफ गुस्सा फूट पड़ा. इस दौरान लोगों ने वन विभाग के उच्चाधिकारियों को फोन से शिकायत कर मौके पर बुलाया गया, लेकिन विभाग का कोई भी उच्चाधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा.

पढ़ेंः तेज गर्मी से बीते 2 माह में 50 मोरों की मौत, डिहाइड्रेशन और वैक्टीरियल इन्फेक्शन से घुट रहा दम

पुलिस उपाधीक्षक विजय कुमार सिंह ने बताया कि ग्रामीणों के द्वारा उपचार नहीं कराए जाने के आरोप गलत हैं. मोरों का उपचार मेडिकल टीम ने मंगलवार को किया था. उनके आगे ही मोरों का पोस्टमार्टम मेडिकल टीम ने किया है. प्रथम दृष्टया मोरों की मौत के मामले में अधिक भोजन लेने और श्वास नली में गेहूं के दाने मिलने की जानकारी मिली है. बिसरा जांच रिपोर्ट के लिए एफएसएल भेजा गया है. इसके बाद ही मोरों की मौत का कारण स्पष्ट हो सकेगा. उधर पशुपालन विभाग के कंपाउंडर रूप सिंह धाकड़ ने बताया कि सभी मोरों का पोस्टमार्टम कराकर अंतिम संस्कार करा दिया गया है. नमूने लेकर जांच के लिए भरतपुर भेजे गए हैं.

Last Updated : Apr 5, 2023, 11:17 PM IST
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