दौसा. शहर के वन विभाग टीम के पास नहीं तो ट्रेंकुलाइज गन है, ना ही ट्रेंकुलाइज गन को चलाने का नॉलेज. इसका हाल ही नजारा तब देखने को मिला जब 17 दिसंबर को जिले के गुड़िया गांव में आदम खोर पैंथर घुस आया. पैंथर गांव में ही एक पेड़ पर चढ़ गया, जिसके बाद जयपुर से ट्रेंकुलाइज टीम बुलाया गया. बाद में करीब 7 घंटे का मशक्क्त के बाद पैंथर को ट्रेंकुलाइज किया गया.
वहीं इस घटना के बाद से वन विभाग ने जयपुर से ट्रेंकुलाइज गन मंगवाकर अपने कर्मचारियों को प्रशिक्षण देना प्रारंभ किया है. बता दें कि अरावली की पहाड़ियों से घिरा दौसा और सरिस्का वन्य जीव अभ्यारण और रणथंभौर टाइगर अभ्यारण का करीबी जिला होने के कारण जिले में कई बार आदमखोर जंगली जानवरों का मूवमेंट नजर आता रहा है. लेकिन उसके बावजूद जिले की वन विभाग टीम के पास नहीं तो ट्रेंकुलाइज गन थी और ना ही ट्रेंकुलाइज गन को चलाने का नॉलेज.
गौरतलब है कि लालसोट अरनिया गुड़लिया सवासा सहित कई गांव में कई बार पैंथर जरख सहित कई अन्य आदमखोर जंगली जानवर लोगों को दिखाई दिए हैं. लेकिन वन विभाग की टीम के पास उनको पकड़ने के लिए कोई संशाधन नहीं थे.
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जिला उप वन संरक्षक रामानंद भाकर ने बताया कि हाल ही में पैंथर के 7 घंटे के रेस्क्यू के बाद में जयपुर से ट्रेंकुलाइज गन मंगवाई गई है. पहले विभाग के पास ट्रेंकुलाइज गन नहीं थी. अब गन आ गई है, वह जल्द ही दवाइयां और इंजेक्शन भी आ जाएंगे. ट्रेंकुलाइज गन चलाने की कर्मचारियों को ट्रेनिंग भी दी जा रही है, जिससे कि आगामी समय में जिले में कहीं पर भी आदमखोर वन्यजीव का मूवमेंट होने पर जयपुर से टीम बुलाने की जरूरत नहीं रहेगी. जिले के ही कार्मिक ट्रेंकुलाइज करके वन्य जीव को पकड़ सकेंगे.