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17 दिसंबर को पैंथर गांव में घुस आया और 7 घंटे तक ग्रामीण दहशत में रहे, अब जागा वन विभाग - Training is being imparted Trukulize Gun

दौसा में इन दिनों वन विभाग जयपुर से ट्रेंकुलाइज गन मंगवा कर अपने कर्मचारियों को प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया है. ऐसे में जिला उप वन संरक्षक रामानंद भाकर ने बताया कि हाल ही में पैंथर के 7 घंटे के रेस्क्यू के बाद में जयपुर से ट्रेंकुलाइज गन मंगवाई गई है. पहले विभाग के पास ट्रेंकुलाइज गन नहीं थी. अब गन आ गई है, वह जल्द ही दवाइयां और इंजेक्शन भी आ जाएंगे.

वन विभाग कर्मचारियों को ट्रकुलाइज सिखाया, Training is being imparted Trukulize Gun
गांव में पैंथर के घुसने के बाद जागा वन विभाग
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Published : Dec 24, 2019, 3:02 PM IST

दौसा. शहर के वन विभाग टीम के पास नहीं तो ट्रेंकुलाइज गन है, ना ही ट्रेंकुलाइज गन को चलाने का नॉलेज. इसका हाल ही नजारा तब देखने को मिला जब 17 दिसंबर को जिले के गुड़िया गांव में आदम खोर पैंथर घुस आया. पैंथर गांव में ही एक पेड़ पर चढ़ गया, जिसके बाद जयपुर से ट्रेंकुलाइज टीम बुलाया गया. बाद में करीब 7 घंटे का मशक्क्त के बाद पैंथर को ट्रेंकुलाइज किया गया.

गांव में पैंथर के घुसने के बाद जागा वन विभाग

वहीं इस घटना के बाद से वन विभाग ने जयपुर से ट्रेंकुलाइज गन मंगवाकर अपने कर्मचारियों को प्रशिक्षण देना प्रारंभ किया है. बता दें कि अरावली की पहाड़ियों से घिरा दौसा और सरिस्का वन्य जीव अभ्यारण और रणथंभौर टाइगर अभ्यारण का करीबी जिला होने के कारण जिले में कई बार आदमखोर जंगली जानवरों का मूवमेंट नजर आता रहा है. लेकिन उसके बावजूद जिले की वन विभाग टीम के पास नहीं तो ट्रेंकुलाइज गन थी और ना ही ट्रेंकुलाइज गन को चलाने का नॉलेज.

गौरतलब है कि लालसोट अरनिया गुड़लिया सवासा सहित कई गांव में कई बार पैंथर जरख सहित कई अन्य आदमखोर जंगली जानवर लोगों को दिखाई दिए हैं. लेकिन वन विभाग की टीम के पास उनको पकड़ने के लिए कोई संशाधन नहीं थे.

पढ़ेंः राजस्थान पुलिस का एक और नवाचार, अनसुलझे-अनट्रेस मामलों में आमजन से मदद की आस

जिला उप वन संरक्षक रामानंद भाकर ने बताया कि हाल ही में पैंथर के 7 घंटे के रेस्क्यू के बाद में जयपुर से ट्रेंकुलाइज गन मंगवाई गई है. पहले विभाग के पास ट्रेंकुलाइज गन नहीं थी. अब गन आ गई है, वह जल्द ही दवाइयां और इंजेक्शन भी आ जाएंगे. ट्रेंकुलाइज गन चलाने की कर्मचारियों को ट्रेनिंग भी दी जा रही है, जिससे कि आगामी समय में जिले में कहीं पर भी आदमखोर वन्यजीव का मूवमेंट होने पर जयपुर से टीम बुलाने की जरूरत नहीं रहेगी. जिले के ही कार्मिक ट्रेंकुलाइज करके वन्य जीव को पकड़ सकेंगे.

दौसा. शहर के वन विभाग टीम के पास नहीं तो ट्रेंकुलाइज गन है, ना ही ट्रेंकुलाइज गन को चलाने का नॉलेज. इसका हाल ही नजारा तब देखने को मिला जब 17 दिसंबर को जिले के गुड़िया गांव में आदम खोर पैंथर घुस आया. पैंथर गांव में ही एक पेड़ पर चढ़ गया, जिसके बाद जयपुर से ट्रेंकुलाइज टीम बुलाया गया. बाद में करीब 7 घंटे का मशक्क्त के बाद पैंथर को ट्रेंकुलाइज किया गया.

गांव में पैंथर के घुसने के बाद जागा वन विभाग

वहीं इस घटना के बाद से वन विभाग ने जयपुर से ट्रेंकुलाइज गन मंगवाकर अपने कर्मचारियों को प्रशिक्षण देना प्रारंभ किया है. बता दें कि अरावली की पहाड़ियों से घिरा दौसा और सरिस्का वन्य जीव अभ्यारण और रणथंभौर टाइगर अभ्यारण का करीबी जिला होने के कारण जिले में कई बार आदमखोर जंगली जानवरों का मूवमेंट नजर आता रहा है. लेकिन उसके बावजूद जिले की वन विभाग टीम के पास नहीं तो ट्रेंकुलाइज गन थी और ना ही ट्रेंकुलाइज गन को चलाने का नॉलेज.

गौरतलब है कि लालसोट अरनिया गुड़लिया सवासा सहित कई गांव में कई बार पैंथर जरख सहित कई अन्य आदमखोर जंगली जानवर लोगों को दिखाई दिए हैं. लेकिन वन विभाग की टीम के पास उनको पकड़ने के लिए कोई संशाधन नहीं थे.

पढ़ेंः राजस्थान पुलिस का एक और नवाचार, अनसुलझे-अनट्रेस मामलों में आमजन से मदद की आस

जिला उप वन संरक्षक रामानंद भाकर ने बताया कि हाल ही में पैंथर के 7 घंटे के रेस्क्यू के बाद में जयपुर से ट्रेंकुलाइज गन मंगवाई गई है. पहले विभाग के पास ट्रेंकुलाइज गन नहीं थी. अब गन आ गई है, वह जल्द ही दवाइयां और इंजेक्शन भी आ जाएंगे. ट्रेंकुलाइज गन चलाने की कर्मचारियों को ट्रेनिंग भी दी जा रही है, जिससे कि आगामी समय में जिले में कहीं पर भी आदमखोर वन्यजीव का मूवमेंट होने पर जयपुर से टीम बुलाने की जरूरत नहीं रहेगी. जिले के ही कार्मिक ट्रेंकुलाइज करके वन्य जीव को पकड़ सकेंगे.

Intro:देर लगी आने में लेकिन शुक्र है फिर भी आए तो यह गाना दौसा वन विभाग की कार्यशैली पर पूरी तरह चरितार्थ होता नजर आ रहा है । अरावली की पहाड़ियों से घिरा दौसा व सरिस्का वन्य जीव अभ्यारण एवं रणथंबोर टाइगर अभ्यारण का करीबी जिला होने के कारण जिले में कई बार आदमखोर जंगली जानवरों का मूवमेंट नजर आता रहा है, लेकिन उसके बावजूद जिले की वन विभाग टीम के पास नहीं तो ट्रेंकुलाइज गन थी और ना ही ट्रेंकुलाइज गन को चलाने का नॉलेज।Body:दौसा देर लगी आने में लेकिन शुकर है फिर भी आए तो,, विजयपथ फ़िल्म का यह गाना दौसा वन विभाग की कार्यशैली पर पूरी तरह चरितार्थ होता नजर आ रहा है । अरावली की पहाड़ियों से घिरा होने व सरिस्का वन्य जीव अभ्यारण एवं रणथंबोर टाइगर अभ्यारण का करीबी जिला होने के कारण जिले में कई बार आदमखोर जंगली जानवरों का मूवमेंट नजर आता रहा है, लेकिन उसके बावजूद जिले की वन विभाग टीम के पास नहीं तो ट्रेंकुलाइज गन थी और ना ही ट्रेंकुलाइज गन को चलाने का नॉलेज। लेकिन विभाग की नींद तब उड़ी जब हाल ही में 17 दिसंबर मंगलवार को जिले के गुड़िया गांव में आदमखोर पैंथर घुस आया । पैंथर गांव में ही एक पेड़ पर चढ़ गया जिसको ट्रेंकुलाइज करने में वन विभाग को तकरीबन 7 घंटे लग गए । जिस के लिए जयपुर से ट्रकुलाइज टीम बुलाई गई । इस 7 घंटे के विभाग के रेस्क्यू के दौरान गुड़लिया सहित आसपास के ग्रामीण दहशत में रहे । गौरतलब है कि लालसोट अरनिया गुड़लिया सवासा सहित कई गांव में कई बार पैंथर जरख सहित कई अन्य आदमखोर जंगली जानवर लोगों को दिखाई दिए हैं ।लेकिन वन विभाग की टीम के पास उनको पकड़ने के लिए कोई संसाधन नहीं थे । हाल ही में 17 दिसंबर को आए पैंथर से 7 घंटे तक आसपास के ग्रामीणों की दहशत में रहने के बाद वन विभाग की नींद उड़ी और वन विभाग ने जयपुर से ट्रकुलाइज गन मंगवा कर अपने कर्मचारियों को ट्रकुलाइज करने का प्रशिक्षण देना प्रारंभ किया । जिला उप वन संरक्षक रामानंद भाकर ने बताया कि हाल ही में पैंथर के 7 घंटे के रेस्क्यू के बाद में जयपुर से ट्रकुलाइजगन मंगवाई गई है । पहले विभाग के पास ट्रकुलाइज गन नहीं थी । अब गन आ गई है वह जल्द ही दवाइयां एवं इंजेक्शन भी आ जाएंगे । व ट्रकुलाइज गन चलाने की कर्मचारियों को ट्रेनिंग भी दी जा रही है । जिससे कि आगामी समय में जिले में कहीं पर भी आदमखोर वन्यजीव का मूवमेंट होने पर जयपुर से टीम बुलाने की जरूरत नहीं रहेगी । जिले के ही कार्मिक ट्रेंकुलाइज करके वन्य जीव को पकड़ सकेंगे ।
बाइट रामानंद भाकर जिला अब वन संरक्षकConclusion:
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