दौसा. कृषि विधेयक को लेकर अब कांग्रेस के साथ-साथ किसान भी मैदान में उतर गए हैं. शुक्रवार को दौसा में किसान नेता हिम्मत सिंह पाडली के नेतृत्व में कई किसानों ने ट्रैक्टर रैली निकालकर कृषि विधेयक का विरोध किया. इस दौरान किसान हिम्मत सिंह पाडली ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा कि केंद्र सरकार को पहले कृषि विशेषज्ञों से चर्चा करनी चाहिए थी. केंद्र सरकार ने कृषि विशेषज्ञों से चर्चा किए बिना ही कृषि विधेयक पारित करा दिया. इस विधेयक के लागू होने के बाद किसान पूरी तरह बर्बाद हो जाएंगे.
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किसान नेता हिम्मत सिंह ने कहा कि कोरोना महामारी का दौर चल रहा है. वहीं, सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं देते हुए आनन-फानन में इस विधेयक को पारित करवा दिया, जबकि ये कृषि विधेयक पूरी तरह किसानों के खिलाफ है. सिर्फ कॉरपोरेट घरानों को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने इस विधेयक को पारित किया है. ऐसे में अभी तक राष्ट्रपति के पास ये विधेयक हस्ताक्षर के लिए पड़ा हुआ है. हम राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन देकर इस विधेयक को रुकवाने के लिए मांग कर रहे हैं. शुक्रवार को किसानों के भारत बंद के आह्वाहन के तहत किसानों ने ट्रैक्टर रैली निकालकर प्रदर्शन किया है.
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किसान नेता हिम्मत ने कहा कि ये कृषि विधेयक पूरी तरह से कॉरपोरेट घरानों को प्रोटेक्ट करता है. उन्हीं को आगे बढ़ाने के लिए ये विधेयक पारित किया जा रहा है. ऐसे में किसान पूरी तरह बर्बाद हो जाएंगे. इसलिए हम सरकार से मांग करते हैं कि इस विधेयक को पारित करने से पहले एमएसपी लागू करनी चाहिए, जिससे किसानों की फसल को न्यूनतम मूल्य पर खरीदने का प्रावधान हो. न्यूनतम मूल्य से कम अगर किसानों की फसल को कोई खरीदता है तो उसके खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई हो. इसके चलते हरियाणा और गुजरात के किसानों की तरह दौसा के किसान भी रैली निकालकर हम सरकार को संदेश दे रहे हैं. हम राष्ट्रपति से मांग कर रहे हैं कि इस विधेयक को रोककर किसानों को बचाएं.