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स्पेशल: यह शिक्षक दंपति निशुल्क कोचिंग पढ़ाकर हजारों छात्रों का बना चुका है भविष्य

दौसा के एक शिक्षक दंपति ने निशुल्क पढ़ाकर हजारों छात्रों का भविष्य बना चुके हैं. पिछले एक दशक से छात्र-छात्राओं को निशुल्क शिक्षा और करियर गाइडेंस दे चुकें है.

teaching free coaching IN DAUSA, निशुल्क कोचिंग
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Published : Sep 4, 2019, 6:09 PM IST

दौसा. अपने सपनों को पूरा करने में सामने आई आर्थिक कठनाईयों के बाद भी पूरा नहीं होने का दर्द...दौसा के ये दंपति अच्छे से जानते है. जिसको समझते हुए ऐसे में प्रिंसिपल दंपति पिछले 10 वर्षों से छात्र-छात्राओं को निशुल्क शिक्षा दे रहे हैं. जी हांआर्थिक युग में एक ओर जहां शिक्षा का खर्चा दिनों दिन बढ़ता जा रहा है. प्राइमरी एजुकेशन हो या फिर करियर कंप्टीशन, हो या कोचिंग संस्थानों की फीस. इतनी मोटी हो गई है कि आम आदमी फीस भरने में अपने आप को असमर्थ पाता है. उधर, दौसा के ये पति-पत्नी 10 वर्षों से निशुल्क शिक्षा देने का सराहनीय काम कर रहे हैं.

दौसा का यह शिक्षक दंपति बच्चों को निशुल्क कोचिंग पढ़ाता है

अब तक इन शिक्षक दंपति से निशुल्क पढ़कर हजारों छात्रों का भविष्य बन चुका है. पिछले एक दशक से छात्र-छात्राओं को निशुल्क शिक्षा और करियर गाइडेंस दे चुकें है. साथ ही ये मुहिम आगे भी जारी है. वहीं फ्री में कोचिंग करके शिक्षक बने जगदीश मीणा ने बताया कि मैंने यहां पढ़ाई करके एक शिक्षक पद हासिल किया है..जिसमें सर और मैम का बहुत योगदान हैं.

ये भी पढ़ें: 700 साल पुराना ऐतिहासिक मंदिर, श्याम वर्ण की मूर्ति इसलिए पड़ा 'शामलाजी का ऊंडा' मंदिर नाम

भारत में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की याद में हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है. ईटीवी भारत भी ऐसे शिक्षकों के प्रति प्यार और सम्मान प्रकट करते हुए उनके जज्बें को लोगों के सामने ला रख रहा है. जो एक स्वस्थ्य और जागरूक समाज के लिए बेहद जरूरी है.
ईटीवी भारत के लिए दौसा से दिनेश तिवारी की रिपोर्ट

दौसा. अपने सपनों को पूरा करने में सामने आई आर्थिक कठनाईयों के बाद भी पूरा नहीं होने का दर्द...दौसा के ये दंपति अच्छे से जानते है. जिसको समझते हुए ऐसे में प्रिंसिपल दंपति पिछले 10 वर्षों से छात्र-छात्राओं को निशुल्क शिक्षा दे रहे हैं. जी हांआर्थिक युग में एक ओर जहां शिक्षा का खर्चा दिनों दिन बढ़ता जा रहा है. प्राइमरी एजुकेशन हो या फिर करियर कंप्टीशन, हो या कोचिंग संस्थानों की फीस. इतनी मोटी हो गई है कि आम आदमी फीस भरने में अपने आप को असमर्थ पाता है. उधर, दौसा के ये पति-पत्नी 10 वर्षों से निशुल्क शिक्षा देने का सराहनीय काम कर रहे हैं.

दौसा का यह शिक्षक दंपति बच्चों को निशुल्क कोचिंग पढ़ाता है

अब तक इन शिक्षक दंपति से निशुल्क पढ़कर हजारों छात्रों का भविष्य बन चुका है. पिछले एक दशक से छात्र-छात्राओं को निशुल्क शिक्षा और करियर गाइडेंस दे चुकें है. साथ ही ये मुहिम आगे भी जारी है. वहीं फ्री में कोचिंग करके शिक्षक बने जगदीश मीणा ने बताया कि मैंने यहां पढ़ाई करके एक शिक्षक पद हासिल किया है..जिसमें सर और मैम का बहुत योगदान हैं.

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भारत में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की याद में हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है. ईटीवी भारत भी ऐसे शिक्षकों के प्रति प्यार और सम्मान प्रकट करते हुए उनके जज्बें को लोगों के सामने ला रख रहा है. जो एक स्वस्थ्य और जागरूक समाज के लिए बेहद जरूरी है.
ईटीवी भारत के लिए दौसा से दिनेश तिवारी की रिपोर्ट

Intro:इस आर्थिक युग में एक और जहां शिक्षा का खर्चा दिनों दिन बढ़ता जा रहा है । प्राइमरी एजुकेशन हो या फिर करियर कंपटीशन, स्कूल व कोचिंग संस्थानों की फीस इतनी मोटी हो गई है कि आम आदमी फीस भरने में अपने आप को असमर्थ पाता है। ऐसे में एक प्रिंसिपल दंपत्ति पिछले 10 वर्षों से लोगों को निशुल्क शिक्षा प्रदान कर रही है वह हजारों लोगों को कैरियर बना चुकी है।


Body:दौसा इस आर्थिक युग में एक और जहां शिक्षा का खर्चा दिनों दिन बढ़ता जा रहा है । प्राइमरी एजुकेशन हो या फिर करियर कंपटीशन, स्कूल व कोचिंग संस्थानों की फीस इतनी मोटी हो गई है कि आम आदमी फीस भरने में अपने आप को असमर्थ पाता है। ऐसे में एक प्रिंसिपल दंपत्ति पिछले 10 वर्षों से लोगों को निशुल्क शिक्षा प्रदान कर रही है । वह हजारों छात्र छात्राओं को कैरियर बना चुकी है । दौसा जिला मुख्यालय पर प्रधानाचार्य विनोद मीणा अपनी धर्मपत्नी प्रधानाचार्य सीमा मीणा के साथ मिलकर पिछले एक दशक से छात्र छात्राओं को निशुल्क शिक्षा व कैरियर गाइडेंस प्रदान कर चुके हैं । वह लगातार अपनी पत्नी के साथ इस मुहिम को आगे बढ़ाते जा रहे हैं । शिक्षक विनोद मीणा का कहना है कि उनका सपना आईएएस बनने का था लेकिन आर्थिक तंगी के चलते वह अपना सपना पूरा नहीं कर सके। हालांकि उन्होंने तीन बार आईएएस की परीक्षा पास की लेकिन उसके बावजूद भी वह आईएस नहीं बन पाए । फिर खुदस्कूल शिक्षा में व्याख्याता बने उनकी पत्नी सीमा मीणा भी व्याख्याता बनी । दोनों ने आर्थिक परिस्थितियों को समझा बाकी अन्य छात्र-छात्राओं के सामने अपने करियर को आगे बढ़ाने के लिए आर्थिक समस्या नहीं आए इसलिए दोनों ने निशुल्क क्लासेज चलाने का फैसला किया और लगातार पिछले 10 वर्षों से छात्र छात्राओं को निशुल्क शिक्षा प्रदान कर रहे हैं । किराए के भवन में नल, बिजली सहित किराए का खर्चा भी अपने जेब से यह दंपत्ति स्वयं वहन कर रहे हैं । छात्र छात्राओं से रजिस्ट्रेशन व फीस के नाम पर ₹1 तक नहीं लिया जाता । इनके पास पढ़े हुए हजारों की तादाद में छात्र-छात्राएं राजकीय सेवा में सेवा दे रहे हैं । उनकी धर्मपत्नी सीमा मीना का कहना है कि हम दोनो ही शिक्षा विभाग में प्रधानाचार्य के पद पर कार्यरत हैं और जो पैसा हमको मिलता है उसमें से हम बच्चों के लिए भवन का किराया व अन्य खर्चों के रूप में निकाल लेते हैं । हमारा सपना है कि किसी भी बच्चे के आगे बढ़ने में आर्थिक समस्या उसके सामने खड़ी नहीं हो पैसे की कमी के चलते उसको शिक्षा की कमी महसूस नहीं हो । इसीलिए हमने यह फैसला लिया है और हमें इस बात की खुशी है हम दोनों इस बात से संतुष्ट हैं कि आज हमारे पास निशुल्क क्लास में पढ़ कर हजारों की तादाद में बच्चे अपने पैरों पर खड़े हुए हैं । शिक्षक दंपति के पास बढ़कर शिक्षा विभाग में द्वितीय श्रेणी अध्यापक बने छात्र का कहना है कि मेरे माता-पिता नहीं थे ऐसे में इन्होंने मुझे आर्थिक संकट में मदद दी और जब मेरे पास कोचिंग करने के लिए पैसा नहीं था उस दौर में उन्होंने मुझे निशुल्क पढ़ाया । आज मैं द्वितीय श्रेणी अध्यापक हूं । और इन्हीं की कोचिंग संस्थान में अन्य छात्र छात्राओं को निशुल्क पढ़ा रहा हूं । मेरे लिए शिक्षक विनोद मीणा भगवान से कम नहीं है । जिन्होंने उस दौर में मेरी मदद की और आज मुझे इस लायक बनाया और मैं जब तक यहां रहूंगा इनके साथ मिलकर निशुल्क क्लास में पढ़ता रहूंगा।


Conclusion:
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