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लोगों ने मारे ताने, लेकिन दादा का सपना किया पूरा, जानिए दिव्यांग राची की सफलता की कहानी

Success Story, मजबूत इरादा हो तो कोई भी बाधा आपको सफलता से नहीं रोक सकती. दौसा की राची गुप्ता ने कुछ ऐसा ही कर दिखाया. लोगों के तानों को दरकिनार कर सरकारी सफलता हासिल की, जो अब अन्य दिव्यांग लड़कियों के लिए मिसाल बन चुकी हैं. राची गुप्ता खेलों में भी अपनी प्रतिभा दिखा चुकी हैं. उन्होंने ईटीवी भारत से खास बातचीत कर अपने जीवन के अनुभव साझा किए.

Rachi Gupta of Dausa
दौसा की राची गुप्ता
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 1, 2024, 8:45 AM IST

Updated : Jan 1, 2024, 9:24 AM IST

राची की सफलता की कहानी...

दौसा. एक कमजोर मन मजबूत शरीर को नहीं चला सकता, लेकिन एक मजबूत मन कमजोर शरीर को आसानी से चला सकता है. इस कहावत को चरितार्थ किया है, दौसा जिला मुख्यालय पर रहने वाली राची गुप्ता ने. करीब 70 प्रतिशत दिव्यांग राची ने जीवन की हर मुश्किलों का सामना किया. लोगों के ताने सुने और हासिल की सरकारी सफलता.

राची गुप्ता जन्म से ही दिव्यांग है. इनकी दैनिक दिनचर्या का काम वह अकेले नहीं कर सकती, जिसके कारण परिवार का कोई एक सदस्य हमेशा उनके साथ रहता है. राची अब थर्ड ग्रेड टीचर है, और जिले के भांडारेज में स्थित ढाणी बाग के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में अध्यापिका के पद पर कार्यरत है. ये सफलता उन्हें कैसे मिली, इस पर ईटीवी भारत ने उनसे खास बातचीत की. उन्होंने अपने जीवन में आने वाली मुश्किलों पर बात रखी. राची की कहानी, सुनिए उन्हीं की जुबानी.

मां ने हमेशा सहयोग किया : राची गुप्ता ने बताया कि शुरू से ही व्हील चेयर पर निर्भर हूं. मेरे परिवार ने मुझे हमेशा सपोर्ट किया है. प्रारंभिक शिक्षा घर के पास ही मौजूद रामकरण जोशी स्कूल में हुई. इस दौरान मां मुझे शुरू से ही व्हील चेयर पर स्कूल छोड़ने और स्कूल से लाने का काम करती थी. दादा का सपना था मैं सरकारी नौकरी करूं. दादाजी हमेशा कहते थे कि परिवार में कोई सरकारी नौकरी में नहीं है. कोई तो होना चाहिए. मेरे दादा ही थे जिन्होंने मुझे सरकारी नौकरी का सपना दिखाया. वे मुझे किसी ना किसी फील्ड में सफलता हासिल करने का लक्ष्य रखने को कहते थे. यही कारण है मेरी मेहनत दुगनी हुई.

इसे भी पढ़ें :हौसले से हारी लाचारी: हाथों से है दिव्यांग, MP के युवक ने पैरों से लिखकर पास की पटवारी की परीक्षा

लोग बनाते थे मजाक : अपनी दिव्यांगता पर बात करते हुए राची ने कहा कि उन्होंने दिव्यांगता को कभी कमजोरी नहीं माना. 2022 में पहली भर्ती में ही थर्ड ग्रेड टीचर के पद के लिए नियुक्त हो गई. अपने स्कूल के दिनों के बारे में राची ने बताया कि रामकरण जोशी स्कूल में राजेंद्र कुमार शर्मा विशेष शिक्षक के रूप में कार्यरत थे. उन्होंने मुझे आगे बढ़ाने में मदद की. शिक्षक राजेंद्र के मार्गदर्शन से ही आज मैं यहां हूं. वे समय मिलने पर हमेशा मुझे प्रेरित करते थे. मेरा हौंसला बढ़ाते थे. इस दौरान राची ने देश के अन्य दिव्यांगों के लिए कहा- जीवन में कितनी भी बड़ी चुनौती सामने आ जाए, उससे डरिए नहीं, बल्कि उसे एग्जाम के रूप में लें, और उसका डटकर मुकाबला करें. मैंने भी हार नहीं मानी, जिसके कारण मुझे ये सफलता मिली है. लोगों ने ताने मारे, नेगेटिव बातें बोली, लेकिन इसका असर मुझे कमजोर न बनाकर मजबूत ही बनाया. जब मेरी नौकरी नहीं लगी तो लोग मेरा और मेरे घरवालों का मजाक बनाते थे, लेकिन मैंने सिर्फ कैरियर पर ही ध्यान दिया. अगर कोई आपके जीवन का मजाक बना रहा है, तो उस बात को अपनी ताकत बनाएं, और मजाक उड़ाने वाले व्यक्ति को अपनी सफलता के साथ जवाब दें.

मां आज भी है सच्ची साथी : राची गुप्ता ने आगे बताया कि सुबह उठने के बाद मेरी दिनचर्या के हर काम में मेरी मां का सहयोग होता है. मां मुझे ऑटो से भांडारेज स्कूल लेकर जाती है. इस दौरान छुट्टी नहीं होने तक स्कूल में ही रहती है. स्कूल की छुट्टी होने के बाद ऑटो से ही घर लाती है. हमेशा मेरे साथ रहती है. वहीं, जिस स्कूल में मैं कार्यरत हूं, वहां का स्टाफ भी मेरी काफी मदद करता है.

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खेलों में जीते 5 मेडल : राची गुप्ता ने अपनी सफलता को टीचर बनने पर ही विराम नहीं दिया. उन्होंने अपने जीवन में और भी अच्छा करने की ठानी और खेल प्रतियोगिता में नेशनल लेवल तक खेलकर 5 मेडल अपने नाम किया. राची ने बताया कि सबसे पहले 2019 में क्लब थ्रू गेम में हिस्सा लिया, जिसमें उन्होंने गोल्ड मेडल हासिल किया. इसके बाद अलवर में आयोजित हुई एथलेटिक्स चैंपियन प्रतियोगिता में सिल्वर मेडल हासिल किया. वहीं दिल्ली में आयोजित हुए नेशनल फोसिया गेम युगल में गोल्ड मेडल और ब्रॉंज मेडल हासिल किया. साथ ही हाल ही में 27 दिसंबर को चुरू में आयोजित हुई स्टेट एथलेटिक्स प्रतियोगिता में भी उन्होंने गोल्ड मेडल प्राप्त किया.

राची की सफलता की कहानी...

दौसा. एक कमजोर मन मजबूत शरीर को नहीं चला सकता, लेकिन एक मजबूत मन कमजोर शरीर को आसानी से चला सकता है. इस कहावत को चरितार्थ किया है, दौसा जिला मुख्यालय पर रहने वाली राची गुप्ता ने. करीब 70 प्रतिशत दिव्यांग राची ने जीवन की हर मुश्किलों का सामना किया. लोगों के ताने सुने और हासिल की सरकारी सफलता.

राची गुप्ता जन्म से ही दिव्यांग है. इनकी दैनिक दिनचर्या का काम वह अकेले नहीं कर सकती, जिसके कारण परिवार का कोई एक सदस्य हमेशा उनके साथ रहता है. राची अब थर्ड ग्रेड टीचर है, और जिले के भांडारेज में स्थित ढाणी बाग के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में अध्यापिका के पद पर कार्यरत है. ये सफलता उन्हें कैसे मिली, इस पर ईटीवी भारत ने उनसे खास बातचीत की. उन्होंने अपने जीवन में आने वाली मुश्किलों पर बात रखी. राची की कहानी, सुनिए उन्हीं की जुबानी.

मां ने हमेशा सहयोग किया : राची गुप्ता ने बताया कि शुरू से ही व्हील चेयर पर निर्भर हूं. मेरे परिवार ने मुझे हमेशा सपोर्ट किया है. प्रारंभिक शिक्षा घर के पास ही मौजूद रामकरण जोशी स्कूल में हुई. इस दौरान मां मुझे शुरू से ही व्हील चेयर पर स्कूल छोड़ने और स्कूल से लाने का काम करती थी. दादा का सपना था मैं सरकारी नौकरी करूं. दादाजी हमेशा कहते थे कि परिवार में कोई सरकारी नौकरी में नहीं है. कोई तो होना चाहिए. मेरे दादा ही थे जिन्होंने मुझे सरकारी नौकरी का सपना दिखाया. वे मुझे किसी ना किसी फील्ड में सफलता हासिल करने का लक्ष्य रखने को कहते थे. यही कारण है मेरी मेहनत दुगनी हुई.

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लोग बनाते थे मजाक : अपनी दिव्यांगता पर बात करते हुए राची ने कहा कि उन्होंने दिव्यांगता को कभी कमजोरी नहीं माना. 2022 में पहली भर्ती में ही थर्ड ग्रेड टीचर के पद के लिए नियुक्त हो गई. अपने स्कूल के दिनों के बारे में राची ने बताया कि रामकरण जोशी स्कूल में राजेंद्र कुमार शर्मा विशेष शिक्षक के रूप में कार्यरत थे. उन्होंने मुझे आगे बढ़ाने में मदद की. शिक्षक राजेंद्र के मार्गदर्शन से ही आज मैं यहां हूं. वे समय मिलने पर हमेशा मुझे प्रेरित करते थे. मेरा हौंसला बढ़ाते थे. इस दौरान राची ने देश के अन्य दिव्यांगों के लिए कहा- जीवन में कितनी भी बड़ी चुनौती सामने आ जाए, उससे डरिए नहीं, बल्कि उसे एग्जाम के रूप में लें, और उसका डटकर मुकाबला करें. मैंने भी हार नहीं मानी, जिसके कारण मुझे ये सफलता मिली है. लोगों ने ताने मारे, नेगेटिव बातें बोली, लेकिन इसका असर मुझे कमजोर न बनाकर मजबूत ही बनाया. जब मेरी नौकरी नहीं लगी तो लोग मेरा और मेरे घरवालों का मजाक बनाते थे, लेकिन मैंने सिर्फ कैरियर पर ही ध्यान दिया. अगर कोई आपके जीवन का मजाक बना रहा है, तो उस बात को अपनी ताकत बनाएं, और मजाक उड़ाने वाले व्यक्ति को अपनी सफलता के साथ जवाब दें.

मां आज भी है सच्ची साथी : राची गुप्ता ने आगे बताया कि सुबह उठने के बाद मेरी दिनचर्या के हर काम में मेरी मां का सहयोग होता है. मां मुझे ऑटो से भांडारेज स्कूल लेकर जाती है. इस दौरान छुट्टी नहीं होने तक स्कूल में ही रहती है. स्कूल की छुट्टी होने के बाद ऑटो से ही घर लाती है. हमेशा मेरे साथ रहती है. वहीं, जिस स्कूल में मैं कार्यरत हूं, वहां का स्टाफ भी मेरी काफी मदद करता है.

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खेलों में जीते 5 मेडल : राची गुप्ता ने अपनी सफलता को टीचर बनने पर ही विराम नहीं दिया. उन्होंने अपने जीवन में और भी अच्छा करने की ठानी और खेल प्रतियोगिता में नेशनल लेवल तक खेलकर 5 मेडल अपने नाम किया. राची ने बताया कि सबसे पहले 2019 में क्लब थ्रू गेम में हिस्सा लिया, जिसमें उन्होंने गोल्ड मेडल हासिल किया. इसके बाद अलवर में आयोजित हुई एथलेटिक्स चैंपियन प्रतियोगिता में सिल्वर मेडल हासिल किया. वहीं दिल्ली में आयोजित हुए नेशनल फोसिया गेम युगल में गोल्ड मेडल और ब्रॉंज मेडल हासिल किया. साथ ही हाल ही में 27 दिसंबर को चुरू में आयोजित हुई स्टेट एथलेटिक्स प्रतियोगिता में भी उन्होंने गोल्ड मेडल प्राप्त किया.

Last Updated : Jan 1, 2024, 9:24 AM IST
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