दौसा. जिले में 5 करोड़ की लागत से लालसोट रोड पर पशु चिकित्सालय है. यूं तो ये अत्याधुनिक बहुउद्देशीय पशु चिकित्सालय है जहां चूहे से लेकर हाथी तक के इलाज के लिए बेहतर सुविधाएं हैं लेकिन अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के कारण दर्जनों पशु यहां उचित इलाज न मिलने के कारण बीमारी से दम तोड़ रहे हैं.
लालसोट रोड पर बने इस बहुउद्देशीय पशु चिकित्सालय का उद्घाटन 9 महीने पहले 21 फरवरी को कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने किया था. राज्य सरकार की ओर से बनाए गए इस चिकित्सालय में साधारण जांच से लेकर सर्जरी करने तक की सुविधा उपलब्ध है लेकिन ये धरातल पर ये सुविधाएं पशुओं को मिल नहीं पा रही हैं. अधिकारियों की लापरवाही से सरकार के करोड़ों रुपए पर भी पानी फिर रहा है.
पीड़ा में गोवंश लेकिन जिम्मेदार हलकान
कहने को ये प्रदेश का सबसे बड़ा पशु चिकित्सालय है लेकिन इलाज के अभाव में गोशाला में दर्जनों गोवंश दम तोड़ रहे हैं. गोशाला की स्थिति किसी के दिल में इन पशुओं की संवेदना जगाने के लिए काफी हैं लेकिन जिम्मेदार अफसर जानवरों की तकलीफ भी देखकर नहीं पिघल रहे हैं. यहां किसी की टांग टूटी है तो किसी की कमर, किसी के शरीर पर बड़े-बड़े घाव नजर आ रहे हैं. तड़पते गोवंश की पीड़ा दूर करने वाले ही असंवेदनशील बनकर बैठे हैं.
दर्जनों पशुओं की हालत गंभीर
बता दें कि आए दिन नेशनल हाईवे -21 पर होने वाली दुर्घटनाओं में रोजाना पशु घायल होते रहते हैं, जिन्हें नगर परिषद या जिले के पुलिस थानों द्वारा जिला अस्पताल पहुंचा दिया जाता है या जिला मुख्यालय की गोशाला में भेज दिया जाता है.
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पशुपालन विभाग जिला अस्पताल में इन घायल पशुओं को इलाज के लिए भेज तो देता है लेकिन अस्पताल में इनकी महज ड्रेसिंग होती है, फिर इन्हें गोशाला भेजवा दिया जाता है. जहां ये इलाज के अभाव में तड़पती रहती हैं. जिला मुख्यालय की गोशाला में दर्जनों ऐसे घायल पशु हैं, जिन्हें इलाज की सख्त जरूरत है. वे बिना इलाज के चल फिर नहीं पा रहे हैं.
इलाज नहीं पर तनख्वाह पूरी उठा रहे
चिकित्सालय में डॉक्टर, जूनियर डॉक्टर के पद फुल हैं. कंपाउंडर के सात पद भी भरें हैं लेकिन फिर भी अस्पताल में इलाज नहीं हो रहा है. इन जिम्मेदारों को तनख्वाह उठाने से मतलब है.
चिकित्सक कक्ष और 10 वार्ड पर लटके हैं ताले
इस बहुउद्देशीय पशु चिकित्सालय में पशुओं को भर्ती करने के लिए 10 वार्ड बनाए गए हैं लेकिन चिकित्सा कर्मियों की लापरवाही के चलते सभी वार्डों पर ताले लटके हुए हैंं यहां तक कि अस्पताल के भीतर जांच केंद्र और चिकित्सक कक्ष भी बंद हैं. अस्पताल प्रशासन ने मुख्य द्वार पर महज ओपीडी चालू कर रखा है. इसमें पशुपालकों को पर्ची पर दवाइयां लिखकर पकड़ा दी जाती है.
गौशाला प्रबंधन का आरोप- दवाई भी नहीं देते
गोशाला व्यवस्थापक अशोक गुप्ता ने बताया कि गोशाला में आए दिन दर्जनों की तादाद में घायल पशु आते हैं. जो या तो कहीं दुर्घटना में घायल हो जाते हैं या फिर किसी के खेत में चले जाने पर रखवाली करने वालों के पीटने से घायल हो जाते हैं लेकिन अस्पताल प्रशासन की ओर से उन्हें सिर्फ दवाओं पर्ची बनाकर गोशाला भेज दिया जाता है.
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गोशाला व्यवस्थापक का आरोप है कि अस्पताल में उनका कोई इलाज नहीं किया जाता. जबकि तकरीबन 24 से अधिक पशु गंभीर घायल हैं. जिन्हें पशु चिकित्सालय में भर्ती करके इलाज की सख्त आवश्यकता है लेकिन वो गोशाला में कई दिनों से पड़े हैं. यहां तक कि पशु चिकित्सालय के चिकित्सा कर्मियों द्वारा निशुल्क दवाइयां तक भी गोशाला को नहीं दी जाती. ऐसे में सरकार की ओर से करोड़ों रुपए खर्च करके बनाया हुआ, यह प्रदेश का पहला बहुउद्देशीय अस्पताल महज शो पीस बना हुआ है.