मेंहदीपुर बालाजी (दौसा). धार्मिक नगरी मेहंदीपुर बालाजी क्षेत्र में टिड्डियों के झुंड ने हमला बोल दिया. शनिवार की सुबह मेंहदीपुर में आसमान में लाखों की तादात में टिड्डियों का झुंड मंडराने लगा. टिड्डियों का दल हवा के रुख के साथ उड़ता हुआ आया और पेड़ों पर बैठ गया. वहीं कुछ टिड्डियां लोगों के घरों के बगीचों तक में घुस गई. इतनी बड़ी संख्या में टिड्डियों को देखकर लोग दशहत में आ गए.
लोग छतों पर आ गए और बर्तन बजाकर, पटाखे फोड़कर टिड्डियों को भगाने का प्रयास करने लगे. गौरतलब है कि पाकिस्तान से राजस्थान के रास्ते देश में घुसे टिड्डी दल ने किसानों की परेशानियां बढ़ा रखी हैं. देश के कई राज्यों पर टिड्डियों का खतरा मंडरा रहा है. वहीं सभी राज्यों ने इस संकट से निपटने की तैयारियां कर ली है. साथ ही अधिकारियों और किसानों को भी अलर्ट कर दिया हैं.
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फसल और पेड़ पौधों को कुछ ही देर में चट कर जाने की क्षमता रखने वाले इन टिड्डी दलों को मानसून तक खत्म करने की तैयारी हुई है. क्योंकि इसी समय खरीफ की फसल तैयार होगी और टिड्डी दल उसे भारी नुकसान पहुंचा सकता है. केंद्र सरकार के टिड्डी चेतावनी संगठन (एलडब्ल्यूओ) ने बताया है कि ये टिड्डियां आने वाले महीनों में किसानों के लिए खतरा बन सकती हैं. इन्हें मानसून से पहले खत्म करना जरूरी है. ऐसा नहीं किया गया तो खरीफ की फसलों पर बहुत बुरा असर पड़ेगा. राजस्थान के कृषि विभाग ने जयपुर में टिड्डियों को नियंत्रित करने के लिए कीटनाशक के छिड़काव के लिए ड्रोन की मदद ली थी. जयपुर के सामोद में टिड्डियों को भगाने के लिए ड्रोन का उपयोग किया गया. फायर ब्रिगेड की गाड़ियों से दवा का छिड़काव भी करने की तैयारी की गई है.
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लेकिन टिड्डी पर मानसून से पहले काबू पाने के प्रयास अब तक नाकाफी साबित हुए हैं. पाकिस्तान से 11 अप्रैल को भारत में घुसे टिड्डियों के दल अधिकतर राज्य मे प्रवेश कर चुका है. जिसके बाद टिड्डियों का दल नजर आते ही किसान टायर जला कर धुआं कर रहे हैं ताकि टिड्डी उनके खेत में नहीं बैठे. साथ ही पूरे परिवार के साथ किसान स्प्रे लेकर तैयार रहते हैं. जबकि महिलाएं और बच्चे टिड्डियों को भगाने के लिए परंपरागत तरीकों से थाली और खाली पीपे बजा रहें हैं.
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विशेषज्ञोंं के मुताबिक, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में टिड्डी दल की जुलाई में मानसूनी हवाओं के साथ दोबारा वापसी होने की संभावना जताई गई थी. जिसके बाद जुलाई में मानसूनी हवाओं के साथ टिड्डी दल फिर लौट आया है. बता दें कि अगर खरीफ की फसलों को टिड्डी दल ज्यादा नुकसान पहुंचाता हैं तो किसानों को काफी नुकसान होगा साथ ही किसानों का आय भी घटेगी. वहीं टिड्डियों को नियंत्रित करने के लिए कीटनाशकों में क्लोरपाइरीफोस, मेलाथियान और डेल्टामेथ्रिन का उपयोग किया जा सकता है.