दौसा. कोरोना वायरस की वैश्विक महामारी को लेकर यूं तो सरकार, जिला प्रशासन और चिकित्सा विभाग कई बड़े-बड़े दावे करते नजर आ रहा है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है. दौसा जिला अस्पताल में चिकित्सकों को चिकित्सा विभाग की ओर से मास्क और सैनिटाइजर तक उपलब्ध नहीं करवाया जा रहा है. इसके कारण इन चिकित्सकों पर संक्रमण का खतरा मंडरा रहा है.
दौसा जिला चिकित्सालय में शुक्रवार को करीब 12 से अधिक चिकित्सकों ने कार्य बहिष्कार करते हुए पीएमओ के समक्ष विरोध जताया. चिकित्सकों ने कहा कि वह रोज हजारों मरीजों का इलाज करते हैं, लेकिन उनके बचाव के लिए अस्पताल प्रशासन की ओर से कोई सहयोग नहीं किया जा रहा है. चिकित्सकों ने आरोप लगाया कि उन्हें ना तो मास्क उपलब्ध करवाया जा रहा है और ना ही सैनिटाइजर और ग्लव्स दिया जा रहा है.
चिकित्सकों का कहना है कि वे अपने निजी स्तर पर मास्क पहन कर आते हैं और चिकित्सक एक ही मास्क को 8 से 10 दिन तक लगातार पहनते हैं. जबकि 3 से 5 घंटे के बाद मास्क बदल देना चाहिए या मास्क का उपयोग 1 दिन से ज्यादा नहीं करना चाहिए. ऐसे में चिकित्सक खुद एक मास्क का 8 दिन तक उपयोग करने को मजबूर हैं.
मामले को लेकर कार्यवाहक पीएमओ बत्तीलाल मीणा का कहना है कि वो शुक्रवार को ही पीएमओ बने हैं. मामले की जानकारी मिली है और उनके लिए मास्क और सैनिटाइजर उपलब्ध करवा दिए गए हैं.
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गौरतलब है कि ईटीवी भारत ने पहले भी इस मुद्दे को उठाया था कि जिला अस्पताल में कार्यरत कोरोना वॉरियर्स को मास्क, ग्लव्स और सैनिटाइजर नहीं दिए जा रहे हैं. पूर्व में भी कोरोना वार्ड में कोरोना संदिग्ध मरीजों की जांच करने वाले नर्सिंग स्टाफ को मास्क नहीं उपलब्ध करवाने की मामले को प्राथमिकता से प्रसारित किया था. इस पर कार्रवाई करते हुए तात्कालिक जिला कलेक्टर अविचल चतुर्वेदी ने अस्पताल प्रशासन को फटकार लगाते हुए सभी कार्मिकों को समय पर मास्क और सैनिटाइजर उपलब्ध करवाने के लिए पाबंद किया था.