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सरकार की पहल: बच्चों को बैग के भारी बोझ से मिलेगा छुटकारा, बदले स्वरूप में होंगी किताबें

कोरोना काल में प्रदेश सरकार प्राइमरी शिक्षा के पाठ्यक्रम में बदलाव कर रही है. स्कूल खुलने के बाद नई शिक्षा प्रणाली में कक्षा एक से पांच तक के बच्चों के बैग का बोझ कम करने के लिए किताबों के स्वरूप को बदला जा रहा है. पांच विषयों के कोर्स को तीन-तीन माह में बांटकर इन्हें एक किताब में समाहित कर दिया गया है. इससे बच्चों के एक ही किताब स्कूल लेकर जानी पड़ेगी.

Children will get relief from heavy burden of bags
बच्चों को बैग के भारी बोझ से मिलेगा छुटकारा
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Published : Sep 7, 2020, 11:53 AM IST

दौसा. लॉकडाउन के बाद खुलने वाले सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का नया कॉन्सेप्ट बच्चों को खासा पसंद आने वाला है. इस नए कॉन्सेप्ट को पढ़ाई के साथ-साथ किताबों को भी विदेश के कॉरपोरेट स्कूलों की तर्ज पर तैयार किया जा रहा है. यह सारी कवायद कक्षा एक से पांचवी तक के बच्चों के लिए की जा रही है. इसके पीछे सरकार की मंशा है कि बच्चों को स्कूलों में बैगलेस माहौल मिले और पढ़ाई सहज तरीके से हो सके.

सरकारी स्कूलों के आगामी सत्र में इसे संचालित करने की कवायद शुरू कर दी गई है. इस बार कई पाठ्य पुस्तकें नए पैटर्न पर भी चलेंगी. इस बार कक्षा एक से पांचवी तक के बच्चों को पूर्व की अपेक्षा बैग का बोझ कम उठाना पड़ेगा. भारत के अलावा कई देशों में छोटी क्लास के बच्चों को बैगलेस पैटर्न पर शिक्षा दी जाती है. जहां पर बच्चों की किताबों और नोटबुक को स्कूल के कक्ष में ही रखा जाता है.

बच्चों को बैग के भारी बोझ से मिलेगा छुटकारा

यह भी पढ़ें: शिक्षक दिवस विशेष: राजस्थान का ये गांव जहां एक्टिविटी बेस्ड कराई जाती है पढ़ाई

प्रदेश के सरकारी स्कूलों में भी कुछ इसी प्रकार की विदेशी तकनीक का उपयोग किए जाने की तैयारी की जा रही है. राजस्थान के सरकारी स्कूलों में यह पहली बार प्रयोग किया जा रहा है, जहां पर पांच किताबों को मिलाकर एक पुस्तक तैयार की जा रही है. किताबों के इन नए पैटर्न के आधार पर बच्चों की पढ़ाई करवाई जाएगी, इसके अलावा उन्हें बस्ते का अधिक बोझ भी सहन नहीं करना पड़ेगा.

इस बार शिक्षा विभाग ने कक्षा एक से पांचवीं तक के छात्रों के लिए 5 किताबों को एक ही बुक में तैयार कराकर उसके तीन अलग-अलग पार्ट बनवाए हैं. पहला पार्ट जब तक पढ़ाया जाएगा तब तक बाकी के 2 पार्ट को स्कूल लाने की जरूरत नहीं होगी. जब पहला पार्ट खत्म हो जाएगा तो दूसरा पार्ट शुरू किया जाएगा. पहला पार्ट खत्म होने के बाद उसे घर पर रखवा दिया जाएगा, इसके पीछे सरकार का मुख्य उद्देश्य बच्चों के बस्ते को बोझ को कम करना है.

यह भी पढ़ें: शिक्षक दिवस विशेष: इनकी पहल से 12 साल बाद बच्चों के कंधे से कम हुआ बोझ

राजस्थान पाठ्य पुस्तक मंडल के दौसा जिला प्रभारी शिक्षा विभाग के सहायक निदेशक राजीव व्यास ने बताया कि इस बार कक्षा 1 से पांचवी तक की किताबों का स्वरूप पूरा बदला हुआ होगा. हिंदी अंग्रेजी विज्ञान सामाजिक विज्ञान और गणित की किताबें जहां अलग-अलग होती थी, अब पांच अलग-अलग किताबों को एक ही किताब में समेटा गया है. यानी एक ही किताब में पांचों विषय होंगे. इस किताब में इन सभी विषयों के 3 माह का पाठ्यक्रम होगा. यानी बच्चों को 3 माह तक ये एक ही किताब लेकर स्कूल जाना पड़ेगा. 3 माह का कोर्स पूरा होने पर पांच विषय को समाहित करने वाली दूसरी पुस्तक बच्चों को जारी होगी. इससे हर तीन माह पर एक ही किताब लेकर बच्चों को स्कूल जाना होगा.

उन्होंने बताया कि कक्षा 6, 7, 8, 9 व 11 में इस बार एनसीईआरटी का सिलेबस चलेगा एवं कक्षा दसवीं में एक नई पुस्तक राजस्थान का इतिहास एवं संस्कृति को शामिल किया गया है. शिक्षा विभाग के सहायक निदेशक ने बताया कि जिले में 658 राजकीय प्राथमिक विद्यालय जिनमें तकरीबन 47 हजार छात्र अध्ययनरत हैं. सरकार ने 17 नए विद्यालय खोलने की भी अनुमति दी है. ऐसे में सरकार के बस्ते का बोझ कम करने की योजना से तकरीबन 47 हजार बालकों को लाभ मिलेगा.

दौसा. लॉकडाउन के बाद खुलने वाले सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का नया कॉन्सेप्ट बच्चों को खासा पसंद आने वाला है. इस नए कॉन्सेप्ट को पढ़ाई के साथ-साथ किताबों को भी विदेश के कॉरपोरेट स्कूलों की तर्ज पर तैयार किया जा रहा है. यह सारी कवायद कक्षा एक से पांचवी तक के बच्चों के लिए की जा रही है. इसके पीछे सरकार की मंशा है कि बच्चों को स्कूलों में बैगलेस माहौल मिले और पढ़ाई सहज तरीके से हो सके.

सरकारी स्कूलों के आगामी सत्र में इसे संचालित करने की कवायद शुरू कर दी गई है. इस बार कई पाठ्य पुस्तकें नए पैटर्न पर भी चलेंगी. इस बार कक्षा एक से पांचवी तक के बच्चों को पूर्व की अपेक्षा बैग का बोझ कम उठाना पड़ेगा. भारत के अलावा कई देशों में छोटी क्लास के बच्चों को बैगलेस पैटर्न पर शिक्षा दी जाती है. जहां पर बच्चों की किताबों और नोटबुक को स्कूल के कक्ष में ही रखा जाता है.

बच्चों को बैग के भारी बोझ से मिलेगा छुटकारा

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प्रदेश के सरकारी स्कूलों में भी कुछ इसी प्रकार की विदेशी तकनीक का उपयोग किए जाने की तैयारी की जा रही है. राजस्थान के सरकारी स्कूलों में यह पहली बार प्रयोग किया जा रहा है, जहां पर पांच किताबों को मिलाकर एक पुस्तक तैयार की जा रही है. किताबों के इन नए पैटर्न के आधार पर बच्चों की पढ़ाई करवाई जाएगी, इसके अलावा उन्हें बस्ते का अधिक बोझ भी सहन नहीं करना पड़ेगा.

इस बार शिक्षा विभाग ने कक्षा एक से पांचवीं तक के छात्रों के लिए 5 किताबों को एक ही बुक में तैयार कराकर उसके तीन अलग-अलग पार्ट बनवाए हैं. पहला पार्ट जब तक पढ़ाया जाएगा तब तक बाकी के 2 पार्ट को स्कूल लाने की जरूरत नहीं होगी. जब पहला पार्ट खत्म हो जाएगा तो दूसरा पार्ट शुरू किया जाएगा. पहला पार्ट खत्म होने के बाद उसे घर पर रखवा दिया जाएगा, इसके पीछे सरकार का मुख्य उद्देश्य बच्चों के बस्ते को बोझ को कम करना है.

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राजस्थान पाठ्य पुस्तक मंडल के दौसा जिला प्रभारी शिक्षा विभाग के सहायक निदेशक राजीव व्यास ने बताया कि इस बार कक्षा 1 से पांचवी तक की किताबों का स्वरूप पूरा बदला हुआ होगा. हिंदी अंग्रेजी विज्ञान सामाजिक विज्ञान और गणित की किताबें जहां अलग-अलग होती थी, अब पांच अलग-अलग किताबों को एक ही किताब में समेटा गया है. यानी एक ही किताब में पांचों विषय होंगे. इस किताब में इन सभी विषयों के 3 माह का पाठ्यक्रम होगा. यानी बच्चों को 3 माह तक ये एक ही किताब लेकर स्कूल जाना पड़ेगा. 3 माह का कोर्स पूरा होने पर पांच विषय को समाहित करने वाली दूसरी पुस्तक बच्चों को जारी होगी. इससे हर तीन माह पर एक ही किताब लेकर बच्चों को स्कूल जाना होगा.

उन्होंने बताया कि कक्षा 6, 7, 8, 9 व 11 में इस बार एनसीईआरटी का सिलेबस चलेगा एवं कक्षा दसवीं में एक नई पुस्तक राजस्थान का इतिहास एवं संस्कृति को शामिल किया गया है. शिक्षा विभाग के सहायक निदेशक ने बताया कि जिले में 658 राजकीय प्राथमिक विद्यालय जिनमें तकरीबन 47 हजार छात्र अध्ययनरत हैं. सरकार ने 17 नए विद्यालय खोलने की भी अनुमति दी है. ऐसे में सरकार के बस्ते का बोझ कम करने की योजना से तकरीबन 47 हजार बालकों को लाभ मिलेगा.

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