दौसा. हिंदू धर्म के मुताबिक किसी की मृत्यु होने पर अंतिम संस्कार की सभी रस्में पुरुष द्वारा निभाई जाती है, लेकिन इस मिथक को तोड़ते हुए अब बेटियां भी बेटों का फर्ज अदा कर रही है. मेहंदीपुर बालाजी क्षेत्र में एक बेटी ने जब बेटा बनकर अपने माता पिता की आत्मा की शांति के लिए अंतिम क्रिया के सभी फर्ज अदा किए तो हर आंख नम हो गई.
जानकारी के अनुसार, मेहंदीपुर बालाजी क्षेत्र नांदरी गांव निवासी सुगनी देवी का 18 मई को देहांत हो गया था. इसके बाद पति फूलसिंह मीणा का 24 नवंबर को आकस्मिक निधन हो गया. दोनों के कोई बेटा नहीं है, सिर्फ बड़ी बेटी सुमन और छोटी बेटी सुनीता ही हैं. माता-पिता की मौत के बाद दोनों बेटियों ने ही अंतिम संस्कार की सारी रस्में अदा की.
यह भी पढ़ें: बीजेपी नेता कालू लाल गुर्जर ने किसान आंदोलन को बताया कांग्रेस और विपक्षी दलों की साजिश
माता-पिता की मौत के बाद परिवार की जिम्मेदार बड़ी बेटी सुमन पर आ गई. सुमन की शादी हो गई है, जबकि उसकी छोटी बहन सुनीता अभी अविवाहित है. दो बहनें माता-पिता के अंतिम संस्कार से लेकर अंतिम क्रिया कर्म खुद ही कर रही है. बड़ी बेटी सुमन का कहना है कि 6 महीने के अंदर माता और पिता दोनों को खो दिया. अब मेरी छोटी बहन सुनीता की जिम्मेदारी मेरे कंधों पर है. उसने बताया कि हमनें बेटा बनकर अपने माता-पिता की आत्मा की शांति के लिए क्रिया कर्म करवाया है.
यह भी पढ़ें: बड़ी खबर : राजस्थान समेत कई राज्यों में PFI के दफ्तरों पर ED का छापा...
बता दें कि सुमन का परिवार बीपीएल श्रेणी में आता है, लेकिन आर्थिक रूप से कोई सहायता नहीं है. उसने बताया कि वह खुद मेहनत कर के अपने परिवार को संभाल रही है. महिला एवं बाल विकास मंत्री और क्षेत्रीय विधायक ममता भूपेश सिकराय ने नांदरी गांव में बेटियों के जज्बे को सलाम किया है.