दौसा. बसवा थाना क्षेत्र के कालेड़ गांव में गुरुवार को एक बुजुर्ग व्यक्ति की मौत के बाद उसे दफनाने के लिए जगह नहीं मिली. जब परिजन गांव के श्मशान में शव को लेकर पहुंचे तो वहां दबंगों ने अंतिम संस्कार करने से रोक दिया.
दरअसल, कालेड़ गांव निवासी चरणदास नाथ की गुरुवार को 99 साल की उम्र में मौत हो गई. मौत के बाद उन्हें गांव के ही श्मशान में ले जाया गया, लेकिन गांव के ही दबंगों ने बुजुर्ग व्यक्ति के शव को दफनाने नहीं दिया. धार्मिक मान्यता है कि नाथ संप्रदाय में मौत होने पर शव को दफनाकर अंतिम संस्कार किया जाता है. साथ ही स्थानीय परंपरा के अनुसार नाथ समुदाय के व्यक्ति की मौत होने पर उसके घर या उसकी जमीन में ही दफनाया जाता है. लेकिन कालेड़ गांव के रहने वाले बुजुर्ग चरणदास नाथ की मौत के बाद परिजनों और ग्रामीणों ने सरकारी जमीन में ही शव दफनाने का निर्णय लिया.
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इधर, घटना की सूचना पर बांदीकुई डीएसपी संजय सिंह, तहसीलदार ओमप्रकाश गुर्जर, बसवा थाना अधिकारी रामशरण गुर्जर सहित पुलिस और प्रशासन के आला अधिकारी मौके पर पहुंचे और ग्रामीणों को समझाने-बुझाने का प्रयास किया.
सरकारी जमीन मुहैया कराने का आश्वासन
मृतक के परिजनों और ग्रामीणों की मांग पर तहसीलदार ने शीघ्र ही नाथ संप्रदाय के श्मशान घाट के लिए जमीन देने का आश्वासन दिया. ताकि संप्रदाय के लोगों को पर्याप्त जगह पर दफनाया जा सके. इसी दौरान प्रशासनिक दबाव और समझाइश के बाद श्मशान की भूमि में दफनाने से मना करने वाले ग्रामीणों को भी सहमत कर लिया गया. उसके बाद श्मशान में ही शव दफनाने की तैयारी शुरू कर दी गई.
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एक ओर तो नाथ संप्रदाय के लोग स्थाई समाधान के लिए सरकारी जमीन की मांग कर रहे थे. इसी दौरान मृतक चरणदास नाथ के पुत्र ने अपने पिता को खुद की जमीन में ही दफनाने का निर्णय लिया और समाधि स्थल बनाने की बात कही. इसके बाद शव को मृतक के जमीन में ही ले जाया गया और वहां गहरा गड्ढा खोदकर दफनाया गया. हालांकि ग्रामीणों और परिजनों ने प्रशासन से स्थाई समाधान के लिए नाथ संप्रदाय के श्मशान के लिए सरकारी जमीन देने की मांग रखी. इस पर तहसीलदार ओमप्रकाश गुर्जर ने सहमति दी और शीघ्र ही कालेड़ गांव में नाथ संप्रदाय के लिए श्मशान भूमि आवंटित करने का आश्वासन दिया.