दौसा. श्मशान घाट के नाम से ज़हन में कई तरह के ख़याल आने लगते हैं. आम तौर पर लगो श्मशान का नाम सुनते ही डर जाते हैं. श्मशान घाट से जीते जी लोगों का वास्ता तब पड़ता है जब वे किसी की अंतिम यात्रा में शामिल होते हैं. भले ही श्मशान का खयाल आते ही मन विचलित होता हो लेकिन दौसा जिला मुख्यालय पर एक ऐसा श्मशान घाट भी है, जहां अब लोग पूजा-पाठ करने और भ्रमण के मकसद से भी जा सकते हैं.
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कुछ समय पहले तक जिला मुख्यालय पर फालसा वाले बालाजी के पास दलित बस्ती में बने इस श्मशान घाट की हालत बेहद खराब थी. चारों तरफ गंदगी का अंबार था और बदबू के कारण लोग ज्यादा देर यहां रुकना नहीं चाहते थे. लेकिन अब इस श्मशान भूमि का कायाकल्प हो गया है. दावा है कि यह जिले का पहला एयरकंडीशंड श्मशान घाट है. जिसमें खूबसूरत फूलों के साथ हरा भरा गार्डन नजर आता है. सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं जो अभय कमांड से जुड़े हैं. गेट पर चौकीदार भी तैनात रहता है.
आगंतुकों के लिए वाटर कूलर की व्यवस्था भी की गई है. इतनी सुविधा किसी श्मशान घाट में होना लोगों के लिए आश्चर्य से कम नहीं है. जिला मुख्यालय के एक पत्रकार संतोष तिवारी ने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर इस श्मशान घाट के जीर्णोद्धार का बीड़ा उठाया और मुख्यालय ही नहीं, बल्कि इसे जिले का सबसे सुंदर श्मशान घाट बनाने में भूमिका निभाई. श्मशान में एक छोटा सा शिव मंदिर भी बनवाया गया है. जिसमें लोग सोमवार और प्रदोष के दिन पूजा करने के लिए आते हैं. अंत्येष्टि में आने वाले लोगों की सुविधा के लिए बड़ा हॉल बनवाया गया है जिसमें तकरीबन एक दर्जन से अधिक पंखे और एयर कंडीशनर लगवाए गए हैं.
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यह शमशान प्रशासन के अधिकारियों को भी खूब रास आ रहा है. यहां प्रशासन की ओर से कई तरह के जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. इस तरह यह प्रदेश का ऐसा अनोखा श्मशान घाट बन गया है जिसमें सरकार ने जागरूकता को लेकर भी कार्यक्रम आयोजित किए हैं.
इस श्मशान घाट में 24 घंटे चौकीदार तैनात रहता है. चौकीदार सुल्तान का कहना है कि यहां की सुविधाओं को देखते हुए वह अपने परिवार को भी ले आया है और बिना किसी डर के आराम से रह रहा है. कुल मिलाकर दौसा का यह श्मशान घाट वाकई यह एहसास दिलाता है कि कम से कम जिंदगी के आखिरी सफर का पड़ाव तो खूबसूरत होना ही चाहिए.