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चूरू: महिलाओं ने पेश की आत्मनिर्भरता की मिसाल, संभालती हैं कैंटीन की पूरी जिम्मेदारी - चूरू कलेक्ट्रेट न्यूज

चूरू कलेक्ट्रेट में महिला सशक्तिकरण का नमूना देखने को मिला है. जहां स्वयं सहायता समूह की महिलाएं कैंटीन चलाती हैं. जिसमें महिलाएं चाय-नाश्ता बनाने, ऑर्डर लेने, सर्व करने और पेमेंट जैसे समस्त काम करती हैं.

Churu Women's News, चूरू न्यूज
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Published : Oct 13, 2019, 9:47 PM IST

चूरू. ग्रामीण क्षेत्रों में जहां अभी महिलाओं के काम करने को लेकर संकोच सा रहता है. वहीं जिले के कलेक्ट्रेट परिसर में स्वयं सहायता समूह की महिलाएं कैंटीन चला रही हैं. जिसमें महिलाएं चाय-नाश्ता बनाने, ऑर्डर लेने, सर्व करने और पेमेंट जैसे समस्त काम कर रही हैं.

चूरू कलेक्ट्रेट में महिलाएं कर रहीं कैंटीन का संचालन

कलेक्ट्रेट परिसर में स्थित राजीविका की कैंटीन महिला सशक्तिकरण का परिचय करवा रही है. जिले की करीब 40 हजार महिलाओं का यह स्वयं सहायता समूह हर एक उस चीज का विक्रय करता है, जिन्हें हम दैनिक उपयोग के कार्य में लेते हैं. खास बात यह है कि ये सभी सामान समूह की उन 40 हजार महिलाओं द्वारा घर पर ही तैयार किया जाता है.

कैंटीन का संचालन कर रही स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष अंजू बताती हैं कि कैंटीन में ग्राहकों का अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है. औसतन तीन हजार रुपए प्रतिदिन की बिक्री अभी हो रही है. उम्मीद है कि आने वाले दिनों में इसमें और अधिक इजाफा होगा. वहीं खुद जिला कलेक्टर सन्देश नायक भी इन महिलाओं की हौसला अफजाई के लिए यहां कई बार चाय पीने आते हैं.

आने वाले दिनों होगी राजस्थानी भोजन की व्यवस्था

समूह की अध्यक्ष बतातीं है कि आने वाले दिनों में यहां परंपरागत राजस्थानी भोजन शुरू किया जाएगा. जिसमें बाजरे की रोटी कैर- सांगरी, फोफलिया आदि की सब्जी दी जाएगी. एडवांस आर्डर पर इस परंपरागत खाने की होम डिलीवरी भी दी जाएगी. इसके अलावा समूह की महिलाओं द्वारा अचार, दाल, पापड़, बड़ी, मसाले, चप्पल आदि सामान तैयार किया जाता है.

पढ़ें- सरिस्का में बाघों पर संकट, डेढ़ साल में 4 की हो चुकी है मौत, अब बाघ एसटी-6 की भी तबीयत खराब

बता दें इस कैंटीन और इस समूह में ग्रामीण परिवेश की महिलाएं है. जो सामाजिक या आर्थिक मजबूरियों के चलते घर की चारदीवारी में बंद थीं. अब आत्म निर्भर बनकर अपनी अतिरिक्त आय से परिवार के जीवन स्तर को सुधार रही हैं.

चूरू. ग्रामीण क्षेत्रों में जहां अभी महिलाओं के काम करने को लेकर संकोच सा रहता है. वहीं जिले के कलेक्ट्रेट परिसर में स्वयं सहायता समूह की महिलाएं कैंटीन चला रही हैं. जिसमें महिलाएं चाय-नाश्ता बनाने, ऑर्डर लेने, सर्व करने और पेमेंट जैसे समस्त काम कर रही हैं.

चूरू कलेक्ट्रेट में महिलाएं कर रहीं कैंटीन का संचालन

कलेक्ट्रेट परिसर में स्थित राजीविका की कैंटीन महिला सशक्तिकरण का परिचय करवा रही है. जिले की करीब 40 हजार महिलाओं का यह स्वयं सहायता समूह हर एक उस चीज का विक्रय करता है, जिन्हें हम दैनिक उपयोग के कार्य में लेते हैं. खास बात यह है कि ये सभी सामान समूह की उन 40 हजार महिलाओं द्वारा घर पर ही तैयार किया जाता है.

कैंटीन का संचालन कर रही स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष अंजू बताती हैं कि कैंटीन में ग्राहकों का अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है. औसतन तीन हजार रुपए प्रतिदिन की बिक्री अभी हो रही है. उम्मीद है कि आने वाले दिनों में इसमें और अधिक इजाफा होगा. वहीं खुद जिला कलेक्टर सन्देश नायक भी इन महिलाओं की हौसला अफजाई के लिए यहां कई बार चाय पीने आते हैं.

आने वाले दिनों होगी राजस्थानी भोजन की व्यवस्था

समूह की अध्यक्ष बतातीं है कि आने वाले दिनों में यहां परंपरागत राजस्थानी भोजन शुरू किया जाएगा. जिसमें बाजरे की रोटी कैर- सांगरी, फोफलिया आदि की सब्जी दी जाएगी. एडवांस आर्डर पर इस परंपरागत खाने की होम डिलीवरी भी दी जाएगी. इसके अलावा समूह की महिलाओं द्वारा अचार, दाल, पापड़, बड़ी, मसाले, चप्पल आदि सामान तैयार किया जाता है.

पढ़ें- सरिस्का में बाघों पर संकट, डेढ़ साल में 4 की हो चुकी है मौत, अब बाघ एसटी-6 की भी तबीयत खराब

बता दें इस कैंटीन और इस समूह में ग्रामीण परिवेश की महिलाएं है. जो सामाजिक या आर्थिक मजबूरियों के चलते घर की चारदीवारी में बंद थीं. अब आत्म निर्भर बनकर अपनी अतिरिक्त आय से परिवार के जीवन स्तर को सुधार रही हैं.

Intro:चूरू_कलेक्ट्रेट परिसर में स्तिथ राजीविका की केंटीन महिला सशक्तिकरण का परिचय करवा रही है जिले की करीब 40 हजार महिलाओं का यह स्वयं सहायता समूह हर एक उस चीज को विक्रय करता है जिन्हें हम दैनिक उपयोग के कार्य मे लेते हैं खास बात यह है कि ये सभी सामान समूह की उन 40 हजार महिलाओ के द्वारा घर पर ही तैयार किया जाता है।


Body:ग्रामीण अंचल में जहां अभी भी महिलाओं के काम करने को लेकर एक संकोच सा रहता है वहीं इस कैंटीन में ठेठ देहात की महिलाएं चाय नाश्ता बनाने ग्राहकों से ऑर्डर लेने और सर्व करने और पेमेंट जैसे समस्त कार्य स्वयं कर रही है.कलेक्ट्रेट परिसर जैसी प्राइम लोकेशन पर शुरू की गई यह कैंटीन अपने आप में महिला सशक्तिकरण का एक बड़ा संदेश दे रही है। कैंटीन का संचालन कर रही स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष अंजू बताती है कि कैंटीन में ग्राहकों का अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है.औसतन तीन हजार रुपए प्रतिदिन की बिक्री अभी हो रही है उम्मीद है कि आने वाले दिनों में इसमें और अधिक इजाफा होगा.वही खुद जिला कलेक्टर सन्देश नायक भी इन महिलाओ का हौसला बढ़ाने यहां कई बार अपने दफ्तर से चाय पीने आ जाते हैं।




Conclusion:वही समूह की अध्यक्ष बताती है कि आने वाले दिनों में यहां परंपरागत राजस्थानी भोजन शुरू किया जाएगा जिसमें बाजरे की रोटी कैर- सांगरी,फोफलिया आदि की सब्जी दी जाएगी और एडवांस आर्डर पर इस परंपरागत खाने की होम डिलीवरी भी दी जाएगी जिससे आप घर बैठे यह देसी खाना मंगवा सकते हैं बता दे समूह की महिलाओं द्वारा अचार, दाल पापड़- बड़ी मसाले चप्पल आदि सामान तैयार किए जा रहे हैं।बता दे इस कैंटीन और इस समूह में वह ग्रामीण परिवेश की महिलाएं है. जो सामाजिक कहे या पारिवारिक मजबूरियों के चलते अभी तक घर की चारदीवारी और घूंघट में कैद थी .अब आत्मनिर्भर बनकर यह महिला अतिरिक्त आय अर्जित कर अपने और अपने परिवार का जीवन स्तर बढ़ा रही है और पूरे आत्म सम्मान के साथ महिला सशक्तिकरण का संदेश मुखर कर रही है

बाईट_अंजू ढाका,समूह की अध्यक्ष

बाईट_सन्देश नायक,जिला कलेक्टर चूरू
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