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थार का श्रृंगार : सरकार की एक अदद पहल और संरक्षण की बाट जोहता राज्य पुष्प रोहिड़ा का वृक्ष - churu news

भीषण गर्मी में तपते धोरों के बीच हरियाली बिखेरने वाला और सूखे में भी गुलजार रहने वाला राज्य पुष्प रोहिड़ा का वृक्ष आज अपनी अस्तित्व की लड़ाई लड़ने को मजबूर है. तीन रंगों के फूल लगने वाला रोहिड़ा अपने आप में इकलौता पेड़ है जो औषधीय गुणों से भी भरपूर है. रेतीले धोरों के स्थिरीकरण के लिए भी यह पेड़ बहुउपयोगी है. बताया जाता है कि इस बेशकीमती पेड़ की लकड़ी की उम्र 100 साल तक की होती है, फिर भी इसके संरक्षण और संवर्धन का प्रयास नहीं किया जा रहा है. देखिये ये रिपोर्ट...

state flower rohida
थार का श्रृंगार
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Published : Mar 4, 2021, 4:33 PM IST

Updated : Mar 5, 2021, 7:15 AM IST

चूरू. राज्य पुष्प रोहिड़ा का पेड़ लगातार अनदेखी का शिकार हो रहा है. भीषण गर्मी और माइनस सर्दी में भी अपना वर्चस्व बनाए रखने वाले इस पेड़ की हर एक चीज बेशकीमती है. औषधीय गुणों से भरपूर रोहिड़ा के पेड़ की अनदेखी भविष्य में इसके वजूद पर भारी पड़ सकती है. सूखे में भी गुलजार रहने वाला यह पेड़ ना सिर्फ थार का श्रंगार है, बल्कि रेतीले धोरों के स्थिरीकरण के लिए भी यह पेड़ बहुउपयोगी है. दिसंबर से अप्रैल माह तक तीन प्रकार के चटकीले फूलों से गुलजार होने वाला यह वृक्ष हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करता है.

राज्य पुष्प रोहिड़ा का वृक्ष हो रहा अनदेखी का शिकार...

क्षेत्रीय वन अधिकारी शंकरलाल सोनी ने बताया कि प्रदेश सरकार ने 1983 में रोहिड़े के पुष्प को राज्य पुष्प घोषित कर दिया था, लेकिन आज यह अपने अस्तित्व और वजूद की लड़ाई लड़ रहा है. सरकार द्वारा इसके संरक्षण के लिए कोई विशेष योजना नहीं बनाई गई. हालांकि, हम हर वर्ष जिले की सभी नर्सरियों में 500 रोहिड़े की पौध तैयार करते हैं. स्थिरीकरण के लिए भी यह पेड़ बहुउपयोगी है. क्षेत्रीय वन अधिकारी ने बताया कि रोहिड़े की कटाई और इसकी लकड़ी के परिवहन पर प्रतिबंध है, कोई ऐसा करता हुआ पाया जाता है तो उसके खिलाफ वन अधिनियम के तहत कार्रवाई करने का हमारे पास अधिकार है. उन्होंने बताया कि काश्तकार आज इसे लेने से मना कर रहा है और तर्क देता है कि इस पेड़ के नीचे फसल पैदा नहीं होती.

state flower rohida
रोहिड़ा की खासियत...

पढ़ें : SPECIAL : सरसों तेल उत्पादन में भरतपुर देश का सबसे अग्रणी जिला...हर साल 5 लाख मीट्रिक टन उत्पादन

औषधीय गुणों से युक्त रोहिड़ा...

रोहिड़ा औषधीय उपयोग में भी महत्वपूर्ण है. त्वचा, फोड़े-फुंसियों, पेट के रोग, घाव, कान का रोग, आंख के रोग की दवा में भी रोहिड़ा का उपयोग होता है. मूत्र संबंधी रोगों की दवा में भी रोहिड़ा का उपयोग होता है. पेट संबंधी रोगों में यह विशेष गुणकारी है और लिव-52 औषधि में भी इसका उपयोग किया जाता है.

precious flower rohida
औषधीय गुणों से युक्त रोहिड़ा...

अंधाधुंध कटाई की एक वजह ये भी...

रोहिड़े की लकड़ी बेशकीमती और बेहद मजबूत होती है. रोहिड़े की लकड़ी की उम्र 100 वर्ष बताई जाती है. बताया जाता है कि 100 वर्षों तक रोहिड़े से बना फनीर्चर खराब नहीं होता और इसकी लकड़ी में कीड़े नहीं लगते. रोहिड़े की कमी की एक मुख्य वजह इसकी लकड़ी की मजबूती भी है, जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है. साज-सज्जा का सामान, फर्नीचर और घर के खिड़की और दरवाजे बनवाने के लिए भी रोहिड़े की अंधाधुंध कटाई हुई और आज भी हो रही है.

पढ़ें : SPECIAL : प्रवासियों के लिए राजस्थान में उपलब्ध होगा आशियाना...एनआरआई से लेकर प्रवासी मजदूर तक को मिलेगा आवास

आधुनिक खेती बनी रोहिड़े के लिए श्राप...

अत्यधिक कटाई के साथ ही आधुनिक खेती भी रोहिड़े के पेड़ के लिए किसी श्राप से कम नहीं है. ट्रैक्टर से खेतों की बुवाई होने के चलते खेतों में लगे अंकुरित व छोटे रोहिड़े के पौधे बुवाई के वक्त उखड़ कर नष्ट हो जाते हैं. जबकि पहले के समय मे ऊंट और बैल के जरिए हल से खेतों की बुवाई होती थी तो अंकुरित और छोटे पौधे का ख्याल रखा जाता था. रोहिड़े के बीज सफेद झिल्ली जैसे पंख लिए होते हैं जो हवा के साथ एक स्थान से दूसरे स्थान पर चला जाते हैं और स्वत: ही रोपित हो जाते हैं. इस पेड़ में कम पानी में भी पोषित होने की बड़ी झमता है.

seeds of rohida
रोहिड़े के बीज...

पर्यावरण संतुलन बनाए रखने वाले वृक्षों में होती है रोहिड़े की गणना...

थार का यह श्रृंगार प्रदेश में बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर, जोधपुर, नागौर, जालोर, सिरोही, पाली, चूरू, सीकर और झुंझुनू में पाया जाता है. थार रेगिस्तान के पाकिस्तान क्षेत्र के अलावा शुष्क, अर्ध शुष्क जलवायु वाले मैदानी और पहाड़ी क्षेत्रों में भी रोहिड़ा पाया जाता है. रोहिड़ा के वृक्ष की गणना पर्यावरण संतुलन बनाए रखने वाले वृक्षों में होती है.

चूरू. राज्य पुष्प रोहिड़ा का पेड़ लगातार अनदेखी का शिकार हो रहा है. भीषण गर्मी और माइनस सर्दी में भी अपना वर्चस्व बनाए रखने वाले इस पेड़ की हर एक चीज बेशकीमती है. औषधीय गुणों से भरपूर रोहिड़ा के पेड़ की अनदेखी भविष्य में इसके वजूद पर भारी पड़ सकती है. सूखे में भी गुलजार रहने वाला यह पेड़ ना सिर्फ थार का श्रंगार है, बल्कि रेतीले धोरों के स्थिरीकरण के लिए भी यह पेड़ बहुउपयोगी है. दिसंबर से अप्रैल माह तक तीन प्रकार के चटकीले फूलों से गुलजार होने वाला यह वृक्ष हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करता है.

राज्य पुष्प रोहिड़ा का वृक्ष हो रहा अनदेखी का शिकार...

क्षेत्रीय वन अधिकारी शंकरलाल सोनी ने बताया कि प्रदेश सरकार ने 1983 में रोहिड़े के पुष्प को राज्य पुष्प घोषित कर दिया था, लेकिन आज यह अपने अस्तित्व और वजूद की लड़ाई लड़ रहा है. सरकार द्वारा इसके संरक्षण के लिए कोई विशेष योजना नहीं बनाई गई. हालांकि, हम हर वर्ष जिले की सभी नर्सरियों में 500 रोहिड़े की पौध तैयार करते हैं. स्थिरीकरण के लिए भी यह पेड़ बहुउपयोगी है. क्षेत्रीय वन अधिकारी ने बताया कि रोहिड़े की कटाई और इसकी लकड़ी के परिवहन पर प्रतिबंध है, कोई ऐसा करता हुआ पाया जाता है तो उसके खिलाफ वन अधिनियम के तहत कार्रवाई करने का हमारे पास अधिकार है. उन्होंने बताया कि काश्तकार आज इसे लेने से मना कर रहा है और तर्क देता है कि इस पेड़ के नीचे फसल पैदा नहीं होती.

state flower rohida
रोहिड़ा की खासियत...

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औषधीय गुणों से युक्त रोहिड़ा...

रोहिड़ा औषधीय उपयोग में भी महत्वपूर्ण है. त्वचा, फोड़े-फुंसियों, पेट के रोग, घाव, कान का रोग, आंख के रोग की दवा में भी रोहिड़ा का उपयोग होता है. मूत्र संबंधी रोगों की दवा में भी रोहिड़ा का उपयोग होता है. पेट संबंधी रोगों में यह विशेष गुणकारी है और लिव-52 औषधि में भी इसका उपयोग किया जाता है.

precious flower rohida
औषधीय गुणों से युक्त रोहिड़ा...

अंधाधुंध कटाई की एक वजह ये भी...

रोहिड़े की लकड़ी बेशकीमती और बेहद मजबूत होती है. रोहिड़े की लकड़ी की उम्र 100 वर्ष बताई जाती है. बताया जाता है कि 100 वर्षों तक रोहिड़े से बना फनीर्चर खराब नहीं होता और इसकी लकड़ी में कीड़े नहीं लगते. रोहिड़े की कमी की एक मुख्य वजह इसकी लकड़ी की मजबूती भी है, जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है. साज-सज्जा का सामान, फर्नीचर और घर के खिड़की और दरवाजे बनवाने के लिए भी रोहिड़े की अंधाधुंध कटाई हुई और आज भी हो रही है.

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आधुनिक खेती बनी रोहिड़े के लिए श्राप...

अत्यधिक कटाई के साथ ही आधुनिक खेती भी रोहिड़े के पेड़ के लिए किसी श्राप से कम नहीं है. ट्रैक्टर से खेतों की बुवाई होने के चलते खेतों में लगे अंकुरित व छोटे रोहिड़े के पौधे बुवाई के वक्त उखड़ कर नष्ट हो जाते हैं. जबकि पहले के समय मे ऊंट और बैल के जरिए हल से खेतों की बुवाई होती थी तो अंकुरित और छोटे पौधे का ख्याल रखा जाता था. रोहिड़े के बीज सफेद झिल्ली जैसे पंख लिए होते हैं जो हवा के साथ एक स्थान से दूसरे स्थान पर चला जाते हैं और स्वत: ही रोपित हो जाते हैं. इस पेड़ में कम पानी में भी पोषित होने की बड़ी झमता है.

seeds of rohida
रोहिड़े के बीज...

पर्यावरण संतुलन बनाए रखने वाले वृक्षों में होती है रोहिड़े की गणना...

थार का यह श्रृंगार प्रदेश में बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर, जोधपुर, नागौर, जालोर, सिरोही, पाली, चूरू, सीकर और झुंझुनू में पाया जाता है. थार रेगिस्तान के पाकिस्तान क्षेत्र के अलावा शुष्क, अर्ध शुष्क जलवायु वाले मैदानी और पहाड़ी क्षेत्रों में भी रोहिड़ा पाया जाता है. रोहिड़ा के वृक्ष की गणना पर्यावरण संतुलन बनाए रखने वाले वृक्षों में होती है.

Last Updated : Mar 5, 2021, 7:15 AM IST
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