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स्पेशल: बच्चों को घरों में कैद कर कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहे हैं ये माता-पिता - बच्चों को रखते हैं ताले में

पापा-ममा कोरोना से लड़ने गए हैं और हम घर पर ताले में रहते हैं. महज 5 साल के प्रांजल और नवल ने बड़ी ही मासूमियत से ये बात कही. ये दोनों बच्चे देशसेवा के लिए अपने परिवार को छोड़ अपने फर्ज को निभा रहे चूरू के सरदारशहर के एक दंपति के हैं.

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ममा-पापा कोरोना से लड़ रहे और बच्चे घर में कैद
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Published : Apr 30, 2020, 2:13 PM IST

चूरू. भारत देश इस समय कोरोना महामारी से जंग लड़ रहा है. इस लड़ाई में पूरा देश एकजुट होता भी दिखाई दे रहा है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर प्रदेश के मुखिया अशोक गहलोत तक कोरोना महामारी की लड़ाई में जी जान से लगे हुए हैं. वहीं जमीनी स्तर पर भी ऐसे योद्धा हैं, जो कोरोना कि इस लड़ाई में अपना सर्वस्व दे दिया है. जिनके दम पर ही हम काफी हद तक कोरोना महामारी को भारत मे रोक पाने में सफल हुए हैं.

बच्चों को घर में छोड़ कोरोना से लड़ रहे जंग

वहीं चूरू में एक ऐसी दंपति भी है जो अपना फर्ज निभाने के लिए अपने दो जुड़वा बच्चों को ताले में रख रही है. इन बच्चों की उम्र महज 5 साल है. पति-पत्नी दोनों अलग-अलग मोर्चे पर देश सेवा में लगे हुए हैं. एक चिकित्सा विभाग में एएनएम है, तो वहीं दूसरा राजस्थान पुलिस में है.

यह भी पढ़ें- स्पेशल: पर्यटन उद्योग पर Corona की मार, अब देसी पावणों पर फोकस करेगी सरकार

पापा पुलिस में और मां एएनएम

हम बात कर रहे हैं सरदारशहर के बसेरा परिवार की. परिवार के मुखिया संजय बसेरा राजस्थान पुलिस में कार्यरत हैं. उनकी पत्नी स्वास्थ्य विभाग में एएनएम हैं. इस समय देश के दोनों ही विभाग कोरोना जैसी वैश्विक महामारी में एक बड़ी भूमिका निभा रहे हैं. यह दंपत्ति अपने दो छोटे-छोटे जुड़वा बच्चों को घर के अंदर बंद करके बाहर ताला लगा कर अपनी ड्यूटी करने के लिए चले जाते हैं.

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बोहरा परिवार

सुबह से शाम होती है ड्यूटी

संजय बताते हैं कि वे सुबह 6 बजे ड्यूटी पर निकलते हैं और शाम तक घर आते हैं. वहीं उनकी धर्मपत्नी संदीपा बसेरा, जो सरदारशहर तहसील से 10 किलोमीटर दूर गांव बरडासर के उप स्वास्थ्य केंद्र में एएनएम के पद पर कार्यरत हैं. सुबह 7 बजे ड्यूटी पर निकलती है और शाम तक घर वापस आती है. इस बीच बच्चों को मजबूरन घर के अंदर ताले में कैद करके जाना पड़ता है. किसी प्रकार यह दंपति अपने बच्चों को समझा कर बहला-फुसलाकर घर के अंदर छोड़ कर चले जाते हैं.

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मां है एएनएम

पहले संजय के माता-पिता संभालते थे बच्चों को

संजय बसेरा ने बताया कि पहले उनके छोटे-छोटे जुड़वा बच्चों को उनके माता-पिता घर पर संभाल लेते थे, क्योंकि बुजुर्गों में इस संक्रमण का खतरा ज्यादा रहता है और वह दोनों पति पत्नी बाहर से घर लौटते हैं. ऐसे में अपने माता-पिता को इस संक्रमण के खतरे से बचाने के लिए उनको अपने पैतृक गांव भेज दिया है.

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पुलिस कांस्टेबल पिता

फोन पर ही होती है बात

संजय का कहना है कि बच्चों की फिक्र तो बहुत होती है. बच्चों को घर छोड़ने पर तकलीफ महसूस होती है. दिन में बच्चों से कई-कई बार फोन पर बात कर दिल को तसल्ली देते हैं. लेकिन मुझे गर्व है कि में देश की सेवा कर रहा हूं.

दिनभर के सर्वे के कारण बच्चों ने नहीं होती मुलाकात

एएनम संदीपा बसेरा का कहना है कि दिन भर घर-घर जाकर गर्भवती महिलाओं बड़े बुजुर्गों और अन्य मरीजों की सरकारी विभाग के अनुसार सर्वे करती हूं. उप स्वास्थ्य केंद्र पर मरीजों की देखरेख करती हूं. घर पर बच्चों को बंद कर आगे ताला लगाकर जाने में बहुत दुख होता है. लेकिन देश को इस महामारी से बचाना भी जरूरी है. यह सोचकर मैं निकल पड़ती हूं. कभी-कभी तो काम ज्यादा होने से मैं उनसे नहीं मिल पाती हूं.

यह भी पढे़ं- स्पेशल: प्रशासन से नहीं मिली कोई भी मदद तो एक किन्नर बनी जरूरतमंद लोगों के लिए मसीहा

बच्चे भी दिखा रहे साहस

वहीं प्रांजल और नवल तुतलाई आवाज में कहते हैं कि पापा-ममा कोरोना से लड़ने गए हैं, तो मानो एहसास होता है कि हमारे देश में ऐसे-ऐसे योद्धा हैं जो अदृश्य रूप से करोना के खिलाफ बड़ी लड़ाई लड़ रहे हैं. प्रांजल और नवल ने बताया कि पापा मम्मी खाना रख कर चले जाते हैं और हम पूरे दिन टीवी देखते हैं ओर नींद आने पर सो जाते हैं. कभी-कभी डर लगता है तो फोन कर मम्मा से बात कर लेते हैं. वाकई में कोरोना रूपी इस लड़ाई में इनका योगदान कभी नहीं भुलाया जा सकता.

लोगों के लिए बने मिसाल

भारत में कोरोना से लोगों की मौत का आकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है. ऐसे में ये कोरोना वॉरियर और भी सजगता से अपने काम में जुटे हुए हैं. इन कोरोना योद्धाओं को ईटीवी भारत भी सलाम करता है.

चूरू. भारत देश इस समय कोरोना महामारी से जंग लड़ रहा है. इस लड़ाई में पूरा देश एकजुट होता भी दिखाई दे रहा है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर प्रदेश के मुखिया अशोक गहलोत तक कोरोना महामारी की लड़ाई में जी जान से लगे हुए हैं. वहीं जमीनी स्तर पर भी ऐसे योद्धा हैं, जो कोरोना कि इस लड़ाई में अपना सर्वस्व दे दिया है. जिनके दम पर ही हम काफी हद तक कोरोना महामारी को भारत मे रोक पाने में सफल हुए हैं.

बच्चों को घर में छोड़ कोरोना से लड़ रहे जंग

वहीं चूरू में एक ऐसी दंपति भी है जो अपना फर्ज निभाने के लिए अपने दो जुड़वा बच्चों को ताले में रख रही है. इन बच्चों की उम्र महज 5 साल है. पति-पत्नी दोनों अलग-अलग मोर्चे पर देश सेवा में लगे हुए हैं. एक चिकित्सा विभाग में एएनएम है, तो वहीं दूसरा राजस्थान पुलिस में है.

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पापा पुलिस में और मां एएनएम

हम बात कर रहे हैं सरदारशहर के बसेरा परिवार की. परिवार के मुखिया संजय बसेरा राजस्थान पुलिस में कार्यरत हैं. उनकी पत्नी स्वास्थ्य विभाग में एएनएम हैं. इस समय देश के दोनों ही विभाग कोरोना जैसी वैश्विक महामारी में एक बड़ी भूमिका निभा रहे हैं. यह दंपत्ति अपने दो छोटे-छोटे जुड़वा बच्चों को घर के अंदर बंद करके बाहर ताला लगा कर अपनी ड्यूटी करने के लिए चले जाते हैं.

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बोहरा परिवार

सुबह से शाम होती है ड्यूटी

संजय बताते हैं कि वे सुबह 6 बजे ड्यूटी पर निकलते हैं और शाम तक घर आते हैं. वहीं उनकी धर्मपत्नी संदीपा बसेरा, जो सरदारशहर तहसील से 10 किलोमीटर दूर गांव बरडासर के उप स्वास्थ्य केंद्र में एएनएम के पद पर कार्यरत हैं. सुबह 7 बजे ड्यूटी पर निकलती है और शाम तक घर वापस आती है. इस बीच बच्चों को मजबूरन घर के अंदर ताले में कैद करके जाना पड़ता है. किसी प्रकार यह दंपति अपने बच्चों को समझा कर बहला-फुसलाकर घर के अंदर छोड़ कर चले जाते हैं.

कोविड 19, covid 19, corona virus, corona virus effect, बच्चों को रखते हैं ताले में, fight against corona virus
मां है एएनएम

पहले संजय के माता-पिता संभालते थे बच्चों को

संजय बसेरा ने बताया कि पहले उनके छोटे-छोटे जुड़वा बच्चों को उनके माता-पिता घर पर संभाल लेते थे, क्योंकि बुजुर्गों में इस संक्रमण का खतरा ज्यादा रहता है और वह दोनों पति पत्नी बाहर से घर लौटते हैं. ऐसे में अपने माता-पिता को इस संक्रमण के खतरे से बचाने के लिए उनको अपने पैतृक गांव भेज दिया है.

कोविड 19, covid 19, corona virus, corona virus effect, बच्चों को रखते हैं ताले में, fight against corona virus
पुलिस कांस्टेबल पिता

फोन पर ही होती है बात

संजय का कहना है कि बच्चों की फिक्र तो बहुत होती है. बच्चों को घर छोड़ने पर तकलीफ महसूस होती है. दिन में बच्चों से कई-कई बार फोन पर बात कर दिल को तसल्ली देते हैं. लेकिन मुझे गर्व है कि में देश की सेवा कर रहा हूं.

दिनभर के सर्वे के कारण बच्चों ने नहीं होती मुलाकात

एएनम संदीपा बसेरा का कहना है कि दिन भर घर-घर जाकर गर्भवती महिलाओं बड़े बुजुर्गों और अन्य मरीजों की सरकारी विभाग के अनुसार सर्वे करती हूं. उप स्वास्थ्य केंद्र पर मरीजों की देखरेख करती हूं. घर पर बच्चों को बंद कर आगे ताला लगाकर जाने में बहुत दुख होता है. लेकिन देश को इस महामारी से बचाना भी जरूरी है. यह सोचकर मैं निकल पड़ती हूं. कभी-कभी तो काम ज्यादा होने से मैं उनसे नहीं मिल पाती हूं.

यह भी पढे़ं- स्पेशल: प्रशासन से नहीं मिली कोई भी मदद तो एक किन्नर बनी जरूरतमंद लोगों के लिए मसीहा

बच्चे भी दिखा रहे साहस

वहीं प्रांजल और नवल तुतलाई आवाज में कहते हैं कि पापा-ममा कोरोना से लड़ने गए हैं, तो मानो एहसास होता है कि हमारे देश में ऐसे-ऐसे योद्धा हैं जो अदृश्य रूप से करोना के खिलाफ बड़ी लड़ाई लड़ रहे हैं. प्रांजल और नवल ने बताया कि पापा मम्मी खाना रख कर चले जाते हैं और हम पूरे दिन टीवी देखते हैं ओर नींद आने पर सो जाते हैं. कभी-कभी डर लगता है तो फोन कर मम्मा से बात कर लेते हैं. वाकई में कोरोना रूपी इस लड़ाई में इनका योगदान कभी नहीं भुलाया जा सकता.

लोगों के लिए बने मिसाल

भारत में कोरोना से लोगों की मौत का आकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है. ऐसे में ये कोरोना वॉरियर और भी सजगता से अपने काम में जुटे हुए हैं. इन कोरोना योद्धाओं को ईटीवी भारत भी सलाम करता है.

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