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चूरू में बेसहारा गोवंश से शहरवासी परेशान, डेढ़ महीने से एक भी पशु नहीं पकड़ा

चूरू का मुख्य बाजार हो या तंग गलियां, सड़क हो या कॉलोनी, हर तरफ बेसहारा पशुओं के आतंक से लोग परेशान हैं. वहीं पिछले डेढ़ महीने से इनको रोकने के लिए नगर-निगम के अधिकारी भी सक्रिय नहीं हैं.

Residents upset by destitute cow, बेसहारा गाय से चूरू के लोग परेशान
बेसहारा गाय से चूरू के लोग परेशान
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Published : Jul 17, 2020, 3:10 PM IST

चूरू. जिले के लोग एक तरफ जहां कोरोना वायरस की मार झेल रहे है, वहीं दूसरी तरफ यह लोग बेसहारा पशुओं के आतंक से परेशान हैं. सड़कों पर घूम रही आवारा गाय शहर के लोगों की सबसे बड़ी परेशानी बनी हुई हैं.

नगर परिषद के अधिकारियों का कहना है कि जिस टीम को बेसहारा पशुओं को पकड़कर गौशालाओं में पहुंचाने की जिम्मेदारी दी गई थी, वो टीम कोरोना की रोकथाम के लिए सैनिटाइज और शहर में कोविड केयर सेंटर्स की देखरेख का काम कर रही हैं. वहीं कुछ टीम को टिड्डी नियंत्रण के काम में लगा दिया गया है.

बेसहारा गाय से चूरू के लोग परेशान

पढ़ेंः राजस्थान की सियासी घटनाक्रम को हाईकोर्ट तक लेकर पहुंचे पायलट, जानिए ताजा राजनीतिक घटनाक्रम का पूरा हाल..

यहीं कारण है कि एक जून के बाद शहर में एक भी बेसहारा पशु नहीं पकड़ा गया है. पिछले डेढ़ महीने से नगर परिषद बेसहारा पशुओं को नहीं पकड़ रही है. ऐसे में शहर के बाशिंदों को अब बेसहारा पशुओं के हमलों से खुद ही बचाव करना होगा.

नौ महीने पहले बनाई थी टीम

नगर परिषद ने नौ माह पहले नवम्बर में शहर के बेसहारा पशुओं को पकड़ने के लिए एसआई के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया था. टीम ने नवम्बर 2019 से एक जून 2020 तक करीब 300 बेसहारा पशुओं को पकड़ कर गौशालाओं तक पहुंचाया था. लेकिन एक जून के बाद कोई पशु नहीं पकड़ा गया है.

पढ़ेंः शुक्रवार शाम 5 बजे तक बागी विधायकों पर कार्रवाई नहीं करेंगे विधानसभा स्पीकर

एक बार गौशालाओं ने पशु लेने से किया था मना

शहर से बड़ी संख्या में पशुओं को पकड़कर गौशालाओं में भेजने पर गौशालाओं के संचालकों ने पर्याप्त स्थान नहीं होने के कारण पशुओं को लेना बंद कर दिया था. तत्कालीन कलेक्टर संदेश नायक के दखल देने पर फिर से गौशालाओं में पशुओं को इंट्री दी गई. लेकिन अभी फिर से शहर बेसहारा पशुओं की परेशानी से दुखी हैं.

चूरू. जिले के लोग एक तरफ जहां कोरोना वायरस की मार झेल रहे है, वहीं दूसरी तरफ यह लोग बेसहारा पशुओं के आतंक से परेशान हैं. सड़कों पर घूम रही आवारा गाय शहर के लोगों की सबसे बड़ी परेशानी बनी हुई हैं.

नगर परिषद के अधिकारियों का कहना है कि जिस टीम को बेसहारा पशुओं को पकड़कर गौशालाओं में पहुंचाने की जिम्मेदारी दी गई थी, वो टीम कोरोना की रोकथाम के लिए सैनिटाइज और शहर में कोविड केयर सेंटर्स की देखरेख का काम कर रही हैं. वहीं कुछ टीम को टिड्डी नियंत्रण के काम में लगा दिया गया है.

बेसहारा गाय से चूरू के लोग परेशान

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यहीं कारण है कि एक जून के बाद शहर में एक भी बेसहारा पशु नहीं पकड़ा गया है. पिछले डेढ़ महीने से नगर परिषद बेसहारा पशुओं को नहीं पकड़ रही है. ऐसे में शहर के बाशिंदों को अब बेसहारा पशुओं के हमलों से खुद ही बचाव करना होगा.

नौ महीने पहले बनाई थी टीम

नगर परिषद ने नौ माह पहले नवम्बर में शहर के बेसहारा पशुओं को पकड़ने के लिए एसआई के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया था. टीम ने नवम्बर 2019 से एक जून 2020 तक करीब 300 बेसहारा पशुओं को पकड़ कर गौशालाओं तक पहुंचाया था. लेकिन एक जून के बाद कोई पशु नहीं पकड़ा गया है.

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एक बार गौशालाओं ने पशु लेने से किया था मना

शहर से बड़ी संख्या में पशुओं को पकड़कर गौशालाओं में भेजने पर गौशालाओं के संचालकों ने पर्याप्त स्थान नहीं होने के कारण पशुओं को लेना बंद कर दिया था. तत्कालीन कलेक्टर संदेश नायक के दखल देने पर फिर से गौशालाओं में पशुओं को इंट्री दी गई. लेकिन अभी फिर से शहर बेसहारा पशुओं की परेशानी से दुखी हैं.

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