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Special: चूरू में परिवार की चौथी पीढ़ी कर रही चंग-ढप का निर्माण, विदेशों में भी गूंज रही थाप - rajasthan holi festival celebration

बदलते युग मे आज भी शेखावाटी के चंग की थाप किसी को भी थिरकने पर मजबूर कर देती है. डीजे और बड़े महंगे म्यूजिक सिस्टम आने के बाद भी चूरू का एक परिवार पिछले 60 साल से चंग और ढप का निर्माण कर रहा है. यहां के चंग और ढप के देश में ही नहीं, विदेश में लोग भी मुरीद है. देखें ये खास रिपोर्ट

rajasthan holi festival 2021, chung dhap in churu
चूरू में परिवार की चौथी पीढ़ी कर रही चंग-ढप का निर्माण
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Published : Mar 27, 2021, 5:31 PM IST

चूरू. रंगों का त्योहार होली मस्ती और रसियो का त्योहार है. चंग और ढप की थाप फाल्गुनी मस्ती में जहां चार चांद लगाती है, तो चूरू में पिछले 60 वर्ष से एक परिवार चंग और ढप का निर्माण कर इनमें रंग भर रहा है. बदलते जमाने के साथ सब कुछ बदला. बाजार में प्लास्टिक के चंग और ढप भी आए, लेकिन अपने हाथों की कारीगरी से तैयार किए चूरू के इस परिवार के चंग और ढप देश ही नहीं, बल्कि विदेश में भी जाते हैं. पतासी देवी का परिवार पिछले 60 साल से चंग और ढप का निर्माण कर रहा है. देखें ये खास रिपोर्ट

होली के मौके पर शेखावटी की चंग की थाप हर किसी को थिरकने को मजबूर कर देती है.

इस तरह तैयार होता है चंग और ढप...

चंग और नगाड़ों को तैयार करने में इन कारीगरों को कड़ी मेहनत करनी पड़ती है. फाल्गुन से एक से दो माह पूर्व ही कारीगर इन्हें तैयार करने में जुट जाते हैं. ढप और नगाड़े भेड़ और बकरे की खाल से बनाए जाते हैं, जिसे गंगानगर और बीकानेर से लाया जाता है. उसके बाद ढप बनाने का काम शुरू होता है. इसके लिए खाल को धोकर सुखाया जाता है. फिर लकड़ी की फ्रेम पर खाल को चढ़ाया जाता है और आंकड़े के दूध से फिर इसे धोया जाता है, जब यह सुख कर तैयार हो जाता है, तो इस पर विभिन्न रंगों से चित्र बनाए जाते हैं. होली से पूर्व एक चंग की कीमत साइज के अनुसार 500 से 800 रुपए होती है और होली के दिन चंग के खरीदार बढ़ जाने से इसकी कीमत 1000 से 1500 रुपए भी हो जाती है.

पढ़ें: जयपुर का गुलाल गोटा : हाथी पर बैठकर गुलाल गोटे से राजा खेलते थे होली, अब खो रही पहचान

कोरोना ने किया प्रभावित...

rajasthan holi festival 2021, chung dhap in churu
चंग तैयार करते कारीगर

चंग और ढप बनाने वाले इस परिवार ने बताया कि पहले चंग और ढप के खरीददार अधिक होते थे. अब दिनों दिन इनके खरीददारों में कमी आयी है. बदलते वक्त के साथ मटेरियल लाने में भी कासा परेशानियों का सामना करना पड़ता है. पहले आस पास ही इसका मटेरियल आसानी से मिल जाता था. अब दूर दराज से लाना पड़ता है. रही सही कसर इस बार कोरोना महामारी ने पूरी कर दी, जिसके चलते फागोस्तव के कार्यक्रम अब जिले में ना के बराबर हो रहे हैं, जिसके चलते भी इन चंग और ढपो कि बिक्री पर असर पड़ा है.

rajasthan holi festival 2021, chung dhap in churu
पतासी देवी का परिवार 60 साल से बना रहा चंग-ढप

ढोलक, नगाड़ा का भी निर्माण...

ढप, चंग का निर्माण करने वाले इस परिवार के आवश्यक काम ढप की बिक्री से ही निकलते है. शेखावाटी में फाग उत्सव के रसिये और सामाजिक संस्थाओं के लोग चंग की खरीदारी अवश्य करते हैं. आमजन की ढप की मांग की पूर्ति करता पतासी देवी का परिवार के सात सदस्य एक से डेढ माह तक इसे बनाने में जुटे रहते हैं. इस परिवार के सदस्य कहते हैं कि वे चंग के अलावा ढोलक, नगाड़ा व नगारी बनाते हैं.

चूरू. रंगों का त्योहार होली मस्ती और रसियो का त्योहार है. चंग और ढप की थाप फाल्गुनी मस्ती में जहां चार चांद लगाती है, तो चूरू में पिछले 60 वर्ष से एक परिवार चंग और ढप का निर्माण कर इनमें रंग भर रहा है. बदलते जमाने के साथ सब कुछ बदला. बाजार में प्लास्टिक के चंग और ढप भी आए, लेकिन अपने हाथों की कारीगरी से तैयार किए चूरू के इस परिवार के चंग और ढप देश ही नहीं, बल्कि विदेश में भी जाते हैं. पतासी देवी का परिवार पिछले 60 साल से चंग और ढप का निर्माण कर रहा है. देखें ये खास रिपोर्ट

होली के मौके पर शेखावटी की चंग की थाप हर किसी को थिरकने को मजबूर कर देती है.

इस तरह तैयार होता है चंग और ढप...

चंग और नगाड़ों को तैयार करने में इन कारीगरों को कड़ी मेहनत करनी पड़ती है. फाल्गुन से एक से दो माह पूर्व ही कारीगर इन्हें तैयार करने में जुट जाते हैं. ढप और नगाड़े भेड़ और बकरे की खाल से बनाए जाते हैं, जिसे गंगानगर और बीकानेर से लाया जाता है. उसके बाद ढप बनाने का काम शुरू होता है. इसके लिए खाल को धोकर सुखाया जाता है. फिर लकड़ी की फ्रेम पर खाल को चढ़ाया जाता है और आंकड़े के दूध से फिर इसे धोया जाता है, जब यह सुख कर तैयार हो जाता है, तो इस पर विभिन्न रंगों से चित्र बनाए जाते हैं. होली से पूर्व एक चंग की कीमत साइज के अनुसार 500 से 800 रुपए होती है और होली के दिन चंग के खरीदार बढ़ जाने से इसकी कीमत 1000 से 1500 रुपए भी हो जाती है.

पढ़ें: जयपुर का गुलाल गोटा : हाथी पर बैठकर गुलाल गोटे से राजा खेलते थे होली, अब खो रही पहचान

कोरोना ने किया प्रभावित...

rajasthan holi festival 2021, chung dhap in churu
चंग तैयार करते कारीगर

चंग और ढप बनाने वाले इस परिवार ने बताया कि पहले चंग और ढप के खरीददार अधिक होते थे. अब दिनों दिन इनके खरीददारों में कमी आयी है. बदलते वक्त के साथ मटेरियल लाने में भी कासा परेशानियों का सामना करना पड़ता है. पहले आस पास ही इसका मटेरियल आसानी से मिल जाता था. अब दूर दराज से लाना पड़ता है. रही सही कसर इस बार कोरोना महामारी ने पूरी कर दी, जिसके चलते फागोस्तव के कार्यक्रम अब जिले में ना के बराबर हो रहे हैं, जिसके चलते भी इन चंग और ढपो कि बिक्री पर असर पड़ा है.

rajasthan holi festival 2021, chung dhap in churu
पतासी देवी का परिवार 60 साल से बना रहा चंग-ढप

ढोलक, नगाड़ा का भी निर्माण...

ढप, चंग का निर्माण करने वाले इस परिवार के आवश्यक काम ढप की बिक्री से ही निकलते है. शेखावाटी में फाग उत्सव के रसिये और सामाजिक संस्थाओं के लोग चंग की खरीदारी अवश्य करते हैं. आमजन की ढप की मांग की पूर्ति करता पतासी देवी का परिवार के सात सदस्य एक से डेढ माह तक इसे बनाने में जुटे रहते हैं. इस परिवार के सदस्य कहते हैं कि वे चंग के अलावा ढोलक, नगाड़ा व नगारी बनाते हैं.

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