चूरू. पुलिस की ओर से आयोजित ऑनलाइन सेशन की श्रृंखला में गुरुवार को पुलिस महानिदेशक डॉ. भूपेंद्र सिंह ने फेसबुक लाइव पर जनता से दिल खोलकर बातें की. इस दौरान जनता के सवालों का जवाब देते हुए डीजीपी ने चिकित्सक, दार्शनिक, चिंतक और पथ प्रदर्शक के रूप में जनता के साथ संवाद किया. कोरोना काल में संयम, धैर्य और लॉकडाउन के दिशा निर्देशों की पालना करने की उन्होंने जनता से अपील की.
साथ ही चूरू पुलिस के नवाचार के बारे में डीजीपी ने जनता से कहा कि जनता खुद जिला पुलिस के काम का आकलन करें. उन्हें रेटिंग दें. भूपेंद्र सिंह ने कहा कि चूरू पुलिस के सिपाही से लेकर एसपी तक बधाई के पात्र हैं. साथ ही उन्होंने बताया कि उनके जीवन में पहली बार ऐसी स्थिति बनी हैं कि पुलिस और जनता एक साथ मिलकर किसी अदृश्य शत्रु से लड़ रहे हैं.
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पुलिस को लेकर अपनी बात आगे बढ़ाते हुए डीजीपी ने कहा कि जनता की सेवा करते हुए पुलिस तनाव में नहीं आती, बस लगातार काम करते हुए पुलिसकर्मियों को थकान जरूर होती है. कोरोना काल में पुलिस को जनता का स्नेह और अनूठा सहयोग मिला हैं. इसके लिए वह प्रदेश की जनता के आभारी हैं.
पुलिस महानिदेशक भूपेंद्र सिंह ने बताया कि बेहतर समाज के लिए बेहतर पुलिसिंग जरूरी है. पुलिस के नवाचार से पुलिस की जनता के मन में छवि को लेकर और निखार आ रहा है. ऐसे में सिपाही स्तर से लेकर उच्च अधिकारी स्तर तक सभी पुलिसकर्मियों की जिम्मेदारी बन जाती है कि ऐसा कोई कार्य नहीं किया जाए, जिससे पुलिस की छवि धूमिल हो.
डीजीपी ने अपनी चूरू की पोस्टिंग को किया याद
वहीं चूरू के साथ अपने रिश्ते का जिक्र करते हुए डीजीपी भूपेंद्र सिंह ने बताया कि साल 1993-94 में उनकी पोस्टिंग चूरू में ही थी, उनके छोटे पुत्र का जन्म भी यहीं हुआ. यहां की धरती पर सवेरे ओस की बूंदों के बीच कुमार गंधर्व का संगीत सुनकर उन्हें आध्यात्मिक सुकून मिला. चूरू में रहने के दौरान ही मंदिर शिल्प व स्थापत्य कला के बारे में उन्हें जानकारी मिली.
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पुलिस महानिदेशक डॉ. भूपेंद्र सिंह ने कहा कि कोरोना काल बीतने के साथ ही ऐसी आशंका है कि अर्थव्यवस्था पर खासा असर होगा और बेरोजगारी बढ़ेगी. ऐसे में अपराधों की संख्या बढ़ सकती है, लेकिन अल्पकालिक है. राज्य सरकार ऐसी नीति बनाने में जुटी है, जिससे युवाओं को रोजगार के अवसर मिल सके.
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पुलिस महानिदेशक डॉ. भूपेंद्र सिंह ने कहा कि मन की शांति पाने के सब के अलग-अलग तरीके हैं. इस पर सब के विचार भी अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन सही मायने में अगर व्यक्ति को शांति हासिल करनी है तो उसे सेवा और कर्म के रास्ते को अपनाना होगा. सेवा और कर्म के रास्ते पर चलकर ही जीवन को गति मिलती है और व्यक्ति की राह आसान होती हैं.
चिकित्सक के रूप में दी सेवाएं
डीजीपी ने कहा कि एमबीबीएस और एमडी की डिग्री हासिल करने के बाद कुछ समय तक उन्होंने प्रदेश में बतौर चिकित्सक सेवाएं दी हैं. उन्होंने कहा कि आज वह अपने अनुभव के आधार पर कह सकते हैं कि चिकित्सकों सहित पैरा मेडिकल व नर्सिंग स्टाफ का काम भी अति महत्वपूर्ण होता है. उन्होंने नर्सिंग स्टाफ व पैरामेडिकल स्टाफ के सेवा के जज्बे को सलाम किया.