चूरू. जिले ने जहां ओलम्पिक पदक विजेता देवेंद्र झाझड़िया व ओलम्पियन कृष्णा पूनिया जैसे अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी दिए है. लेकिन, आज चूरू के जिला खेल स्टेडियम में फुटबॉल, वॉलीबॉल, बास्केटबॉल और खो-खो के प्रेक्टिस करने लायक मैदान नहीं है. ऐसा नहीं है कि यहां सरकार की ओर से मैदान बनाने के लिए पैसा खर्च नहीं किया गया है.
इन सभी मैदानों के लिए राज्य सरकार ने वर्ष 2016 में ही सवा दो करोड़ रुपए का बजट जारी कर दिया था, लेकिन जिम्मेदारों ने तीन साल बाद भी यहां एक भी मैदान का काम पूरा नहीं कराया है. इतना ही नहीं जो काम किया गया है, उसकी गुणवत्ता पर भी सवाल खड़े हो गए है. खुद जिला खेल अधिकारी ने कलेक्टर संदेश नायक को पत्र लिखकर इन मैदानों की गुणवत्ता को खराब बताया है तो ठेकेदार को ब्लैकलिस्ट करने की सिफारिश भी की है. ऐसे में चूरू की खेल प्रतिभाएं टूटे व पुराने मैदानों पर खेलने को मजबूर है.
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आरएसआरडीसी को सौंपा था काम
जिला खेल स्टेडियम में सवा दो करोड़ रुपए से बनने वाले खेल मैदानों के निर्माण का काम राजस्थान स्टेट रोड डेवेलपमेंट एंड कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन (आरएसआरडीसी) को सौंपा गया था. कार्यकारी एजेंसी आरएसआरडीसी ने तीन साल बाद भी इन मैदानों का 80 प्रतिशत काम तो पूरा कर दिया लेकिन काम कम्प्लीट नहीं होने की वजह से यह मैदान खिलाड़ियों के किसी काम के नहीं है. यही वजह की अभी तक यह मैदान जिला खेल स्टेडियम को हैंड एंड टेक ओवर नहीं किए गए है.
फुटबॉल और खो-खो ग्राउंड में उग आई कंटीली घास
फुटबॉल मैदान
37 लाख रुपए से बने इस मैदान में कंटीली घास उगी हुई है, जबकि यहां पर ग्रीन घास होनी चाहिए थी. फुटबॉल का मैदान होने के बावजूद इस गोल पोस्ट के पोल भी नहीं लगाए गए है.
खो-खो मैदान
साढ़े छह लाख रुपए की लागत के खो-खो ग्राउंड में पोल तक नहीं है. कहीं कोई निशान नहीं है, लाइनिंग नहीं है. यहां भी कंटीली घास उगी हुई है.
बास्केटबॉल मैदान
27 लाख रुपए से बना सिंथेटिक बास्केटबॉल मैदान भी जगह जगह से उखड़ गया है. जबकि यह अभी हैंड ओवर नहीं किया गया है. यानी बिना कोई मैच खेले ही यह मैदान टूट गया. ग्राउंड का लेवल ठीक नहीं होने की वजह से बारिश का पानी भी यहां भरता है.
वॉलीबॉल मैदान
9 लाख रुपए से बनाए गए इस मैदान में बेहद खराब मिट्टी का इस्तेमाल किया गया है. ऐसे में यहां खिलाड़ियों को कई बार चोटें भी आ जाती है. ग्राउंड का लेवल भी सही नहीं है. इसी तरह खेल की दूसरी सुविधाओं का काम भी अधूरा है. जिसमे मैदान की दर्शक दीर्घा की सीढ़ियां व दूसरे कई विकास कार्य अधूरे पड़े है.
बास्केटबॉल खिलाड़ी अमित का कहना है कि यह मैदान जगह जगह से टूट गया है. बारिश के दिनों में यहां पानी भी भर जाता है. ग्राउंड खेलने लायक नहीं है. वहीं एक अन्य खिलाड़ी ने बताया कि इस मैदान की मिट्टी उखड़ी हुई है. कई जगह गड्ढे हो गए है. कई बार चोट भी लग जाती है.