चूरू. पंचायती राज चुनावों में अल्पसंख्यक समाज की नाराजगी कांग्रेस को भारी पड़ सकती है. ऐसा इसलिए क्योंकि चूरू से उठी उर्दू बचाओ आंदोलन की यह आग अब धीरे धीरे पूरे प्रदेश को अपनी चपेट में लेती दिख रही है. सड़कों पर उतरे अल्पसंख्यक समाज की इसी नाराजगी का खामियाजा कांग्रेस को आगामी जिला परिषद और पंचायत समिति सदस्यों के चुनावों में उठाना पड़ सकता है.
अल्पसंख्यक समाज की नाराजगी की एक बड़ी वजह अब यह भी है कि चूरू से गुजरात के दांडी तक 1100 किलोमीटर की पैदल यात्रा पर निकले शमशेर खान के द्वारा पिछले 20 दिनों से लगातार पैदल यात्रा करने के बावजूद प्रदेश की गहलोत सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है.
प्रदेश का अल्पसंख्यक समाज लगातार पिछले कई दिनों से प्रदर्शन कर उर्दू अध्यापक शमशेर खान की मदरसा पैरा टीचरों को स्थाई करने, निदेशालय और समस्त जिलों में गठित अल्प भाषा प्रकोष्ठ को कार्यशील अवस्था में लाए जाने और समस्त डाइट में अल्प भाषा के व्याख्याताओं के पद सृजित किए जाने सहित उर्दू अध्यापक की समस्त मांगो को मानने और उर्दू अध्यापक शमशेर भालू खान की इस पैदल यात्रा को सम्मानजक समाप्त करवाने की मांग कर रहा है.
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ये है मांगें
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 350 अ को लागू करने हेतु गुजराल समिति की रिपोर्ट लागू करने के लिए मंत्रिमंडलीय समिति की सिफारिश अनुसार निदेशालय माध्यमिक शिक्षा, प्रारंभिक शिक्षा बीकानेर के परिपत्र शिविरा को अमल में लाया जाए, शाला दर्पण पर अल्प भाषा अग्रिम पंजीयन का नया टैब जोड़कर अल्प भाषा विषय और पद स्वत सृजित होने की व्यवस्था की जाए, निदेशालय और समस्त जिलों में गठित अल्प भाषा प्रकोष्ठ को कार्यशील अवस्था में लाया जाए, समस्त डाइट में अल्प भाषा के व्याख्याता के पद सृजित किए जाए.