चूरू. जिले का बारह महादेव मंदिर अपनी खासियत के कारण शहर के अनूठे मंदिरों में शामिल है. इस मंदिर में देश के बारह ज्योतिर्लिंग विराजमान है. ऐसे में भगवान शिव के बारह स्वरूपों के दर्शन करने के लिए श्रद्धालु इस मंदिर में सावन और शिवरात्रि पर विशेष पूजा करते हैं.
बता दें कि107 वर्ष पुराना शेखावाटी अंचल का यह पहला शिव मंदिर है, जहां पर महादेव अपने बारह स्वरूपों में विराजमान हैं. हालांकि मंदिर आज जर्जर हालत में है. यहां मूर्ति स्थापना से पहले प्रत्येक शिवलिंग को तीर्थ स्थानों की परिक्रमा करवाई गई है. इस मंदिर में सावन और शिवरात्रि के मौके पर जहां विशेष पूजा-अर्चना होती है .
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जिले के इस मंदिर में भगवान शंकर की मूर्ति स्थापना करने से पहले सभी 12 शिवलिंग से संबंधित महादेव मंदिर में परिक्रमा करवाई गई. सोमनाथ के शिवलिंग की सोमनाथ मंदिर में तो बैद्यनाथ के शिवलिंग की परिक्रमा बैद्यनाथ शिव मंदिर में करवाई गई. ऐसे ही सभी 12 शिवलिंग को स्थापित करने से पहले देश में स्थापित संबंधित ज्योतिर्लिंग की परिक्रमा करवाने के बाद शिवलिंग स्थापित किया गया है.
मंदिर के पुजारी सुनील मिश्र ने बताया कि यह मंदिर 107 वर्ष पुराना है और उनका परिवार यहां 80 वर्ष से पूजा कर रहा है. इस मंदिर में जो शिवलिंग है उनकी संबंधित ज्योतिर्लिंग मंदिर में परिक्रमा करने के बाद में स्थापित किया गया है. इस मंदिर की मान्यता के कारण ही आज भी यह लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है.
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बारह महादेव मंदिर का स्वरूप
चूरू के बारह महादेव मंदिर में सोमनाथ, रामेश्वरम, महाकाल, अमरेश्वर, वैद्यनाथ, नागनाथ, रामनाथ, त्रंबकेश्वर, विश्वनाथ, भीम शंकर, केदारनाथ और घुश्मेश्वर के शिवलिंग स्थापित हैं. इस मंदिर का निर्माण जिले के तनसुख राय गणपत राय खेमका ने करवाया था.