चूरू. जिले के राजगढ़ तहसील के हमीरवास थाने के गांव रामपुरा में गर्भवती महिला की मौत के 48 घंटे बीत जाने के बाद भी मृतका के शव का अंतिम संस्कार करने से परिजनों ने इंकार कर दिया है. परिजन महिला के शव के साथ प्रदर्शन कर रहे हैं. रविवार को प्रदर्शन इतना उग्र हो गया कि गांव को छावनी में तब्दील करना पड़ा. पिछले 48 घंटों से शव के साथ प्रदर्शन जारी है.
परिजनों और ग्रामीणों ने इस दौरान पुलिस पर पत्थर बरसाने शुरू कर दिए और एंबुलेंस और कई गाड़ियों के शीशे फोड़ दिए. पत्थरबाजी में राजगढ़ थानाधिकारी गुरु भूपेंद्र सिंह सहित कई पुलिस के जवान और ग्रामीण घायल हो गए तो भीड़ को तीतर-बितर करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले छोड़े. मामला बढ़ता देख प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे और परिजनों की मांग पर गांव रामपुरा के प्राथमिक स्वास्थ्य के केंद्र के 14 जनों के स्टाफ को हटा दिया.
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साथ ही लापरवाही के मामले में चिकित्सक के खिलाफ हमीरवास थाने में मामला दर्ज कर लिया गया, लेकिन इसके बावजूद मुवावजे की मांग पर अड़े परिजनों और ग्रामीणों ने पोस्टमार्टम के बाद भी शव लेने से साफ इंकार कर दिया. रामपुरा गांव में महिला के शव के साथ हो रहे इस धरने प्रदर्शन में उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, पूर्व सांसद रामसिंह कस्वां, सादुलपुर के पूर्व बसपा विधायक मनोज न्यागली भी पहुंचे.
क्या है पूरा मामला...
दरअसल, 25 वर्षीय गर्भवती महिला को उसके परिजन शुक्रवार को रामपुरा के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंचे. जहां डॉक्टर ने गर्भवती महिला की तबीयत ठीक बता उसे घर भेज दिया. घर जाने के बाद जब गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा हुई तो परिजन फिर से गर्भवती महिला को रामपुरा के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंचे. जहां डॉक्टरों ने महिला के एक इंजेक्शन लगाया, जिसके बाद गर्भवती महिला की तबीयत बिगड़ने लगी. जिसके बाद डॉक्टरों ने महिला को राजगढ़ अस्पताल के लिए रेफर कर दिया. लेकिन जब परिजन महिला को राजगढ़ अस्पताल लेकर पहुंचे तो डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.