चूरू. वैश्विक महामारी कोविड-19 के चलते किए गए लॉकडाउन से देश का हर वर्ग प्रभावित हुआ है. देश के अन्नदाता किसान पर भी चौतरफा मार पड़ी है. चूरू जिले में किसानों को रबी की फसल कटाई के लिए मजदूर मिलना मुश्किल हो गया, जो मिल रहे थे वो महंगे थे. वहीं, जिले में पिछले दिनों हुई बारिश से किसानों का चारा भी भीग गया, जो चारा बचा है वो अब यातायात के साधन नहीं मिलने और डिमांड कम होने से बिक नहीं रहा है.
इसी तरह किसान की मुसीबतें कम होने का नाम ही नहीं ले रही हैं. अगर लॉकडाउन लंबा चला तो आने वाली फसल के लिए बीज मिलना भी मुश्किल हो जाएगा. हालांकि किसानों के पास घर का बीज है. लेकिन कई बार वो खराब हो जाने से वो गुणवत्तापूर्ण नहीं रहता है. राज्य सरकार ने फसल बिक्री के लिए जिले में 20 खरीद केंद्र बनाए हैं. लेकिन ट्रैक्टर-ट्रॉली जैसे साधनों का किराया महंगा होने से कई किसानों के लिए वहां तक पहुंचना भी मुश्किल हो गया है.
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किसानों को हो रहे चार बड़े नुकसान
मजदूर महंगे
जिले के किसानों का कहना है कि लॉकडाउन के कारण फसल कटाई के लिए मजदूर मिलना मुश्किल हो गया था, कुछ मिले भी तो वो पैसे ज्यादा ले रहे थे. कुछ किसानों के परिवार के सदस्य भी लॉकडाउन में दूसरी जगहों पर फंस गए. जिसके चलते किसान फसल की पूरी कटाई नहीं कर सके.
चारा खराब
जिले में पिछले दिनों हुई बारिश से खेत में रखा हुआ चारा खराब हो गया. इस तरह लॉकडाउन के कारण चारे की बिक्री भी नहीं हो रही है. लाने ले जाने के लिए परिवहन के साधन भी किसानों को उपलब्ध नहीं हो रहे हैं. बता दें कि जिले की कई गोशालाओं में चारा सप्लाई होता था, लेकिन इस बार लॉकडाउन के चलते कई बड़ी डिमांड नहीं आ रही है.
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बीज की समस्या
अभी नई फसल की बुवाई में काफी समय है. लेकिन फिर भी किसानों को यह चिंता हो गई है कि लॉकडाउन लंबा चलने से उन्हें बीज मिलना भी मुश्किल हो जाएगा. हालांकि किसानों के पास अपने खुद के खेत का बीज भी होता है, लेकिन वह लंबा नहीं टिक पाता. ऐसे में कई बार उसकी गुणवत्ता कम हो जाती है.
गेहूं, सरसों बिकने की समस्या
लॉकडाउन के बीच किसानों के लिए गेहूं, सरसों और चने की फसल बेचना भी समस्या साबित हो रही है. हालांकि राज्य सरकार की ओर से जिले में 20 खरीद केंद्र बनाए गए हैं. लेकिन ट्रैक्टर-ट्रॉली जैसे साधन महंगी दर पर मिलने के कारण कई किसानों के लिए वहां जाकर फसल भेजना नुकसान का सौदा साबित हो रहा है.