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चूरू: पहली बारिश से ही सड़के बनी दरिया...प्रशासन की खुली पोल

चूरू में जिन अधिकारियों पर जिले के हालातों को सुधारने की जिम्मेदारी वह अधिकारी अपने परिसर के ही हालात सुधारने नाकाम है. जहां जिले के तमाम उच्च अधिकारी अपनी कुर्सियों पर आसीन होते है उस कलेक्ट्रेट परिसर की सड़कें बारिश के बाद दरिया बन गई है.

चूरू: पहली बारिश से ही सड़के बनी दरिया...प्रशासन की खुली पोल
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Published : Jul 18, 2019, 7:04 AM IST

चूरू. जिला कलेक्ट्रेट जहां सभी विभागों के दफ्तर है यहां जिले के तमाम बड़े अधिकारी बैठते हैं लेकिन उसी जिला कलेक्ट्रेट की सड़कें बारिश के बाद दरिया बन जाए और कई दिनों तक कलेक्ट्रेट में आने जाने वाले लोगों को अगर पगडंडी का सहारा लेना पड़े तो अधिकारियों के लिए इससे बड़ी शर्म की बात और क्या होगी. बारिश के बाद अगर जिला कलेक्ट्रेट के यह हालात हैं तो जिले की आवाम किससे अपनी समस्याओं के समाधान की उम्मीद करे.

चूरू: पहली बारिश से ही सड़के बनी दरिया...प्रशासन की खुली पोल

जिस कलेक्ट्रेट परिसर में जिले के हर छोटे बड़े फैसले तय होते हो अगर उसी कलेक्ट्रेट के हालात बद से बद्दतर हो तो उच्च पदों पर बैठे अधिकारियों के लिए इससे बड़ी शर्म की बात क्या होगी ईटीवी भारत ने अतिरिक्त जिला कलेक्टर से इस बारे में जब बात की तो अतिरिक्त जिला कलेक्टर जवाब देते हैं कि बाहर की सड़कें ऊंची है इसलिए यहां पानी भरता है लेकिन कौन समझाए अतिरिक्त जिला कलेक्टर को की अगर पानी निकासी के लिए कोई नाला बना दिया जाए तो यह हालात नही रहते. खेर जब जिला कलेक्ट्रेट के ही बारिश के दिनों में ये हालात हैं तो शहर की बाकी जगहों के हालात सुधर सकते हैं यह कहना बेमानी होगा.

चूरू. जिला कलेक्ट्रेट जहां सभी विभागों के दफ्तर है यहां जिले के तमाम बड़े अधिकारी बैठते हैं लेकिन उसी जिला कलेक्ट्रेट की सड़कें बारिश के बाद दरिया बन जाए और कई दिनों तक कलेक्ट्रेट में आने जाने वाले लोगों को अगर पगडंडी का सहारा लेना पड़े तो अधिकारियों के लिए इससे बड़ी शर्म की बात और क्या होगी. बारिश के बाद अगर जिला कलेक्ट्रेट के यह हालात हैं तो जिले की आवाम किससे अपनी समस्याओं के समाधान की उम्मीद करे.

चूरू: पहली बारिश से ही सड़के बनी दरिया...प्रशासन की खुली पोल

जिस कलेक्ट्रेट परिसर में जिले के हर छोटे बड़े फैसले तय होते हो अगर उसी कलेक्ट्रेट के हालात बद से बद्दतर हो तो उच्च पदों पर बैठे अधिकारियों के लिए इससे बड़ी शर्म की बात क्या होगी ईटीवी भारत ने अतिरिक्त जिला कलेक्टर से इस बारे में जब बात की तो अतिरिक्त जिला कलेक्टर जवाब देते हैं कि बाहर की सड़कें ऊंची है इसलिए यहां पानी भरता है लेकिन कौन समझाए अतिरिक्त जिला कलेक्टर को की अगर पानी निकासी के लिए कोई नाला बना दिया जाए तो यह हालात नही रहते. खेर जब जिला कलेक्ट्रेट के ही बारिश के दिनों में ये हालात हैं तो शहर की बाकी जगहों के हालात सुधर सकते हैं यह कहना बेमानी होगा.

Intro:चूरू_जिन अधिकारियों पर है जिले के हालातों को सुधारने की जिम्मेदारी वह अधिकारी अपने परिसर के ही हालात सुधारने में है नाकाम जहाँ जिले के तमाम उच्च अधिकारी अपनी कुर्सियों पर आसीन होते है उस कलेक्ट्रेट परिसर की सड़कें बनी बारिस के बाद दरिया।


Body:चूरू जिला कलेक्ट्रेट जहाँ सभी विभागों के दफ्तर है यहां जिले के तमाम बड़े अधिकारी बैठते हैं लेकिन उसी जिला कलेक्ट्रेट की सड़कें बारिस के बाद दरिया बन जाए और कई दिनों तक कलेक्ट्रेट में आने जाने वाले लोगो को अगर पगडंडी का सहारा लेना पड़े तो अधिकारियों के लिए इससे बड़ी शर्म की बात और क्या होगी।बारिस के बाद अगर जिला कलेक्ट्रेट के यह हालात हैं तो जिले की आवाम किससे अपनी समस्याओं के समाधान की उम्मीद करे जिस कलेक्ट्रेट परिसर में जिले के हर छोटे बड़े फैसले तय होते हो अगर उसी कलेक्ट्रेट के हालात बद से बद्दतर हो तो उच्च पदों पर बैठे अधिकारियों के लिए इससे बड़ी शर्म की बात क्या होगी ईटीवी भारत ने अतिरिक्त जिला कलेक्टर से इस बारे में जब बात की तो अतिरिक्त जिला कलेक्टर जवाब देते हैं कि बाहर की सड़कें ऊँची है इसलिए यहां पानी भरता है लेकिन कौन समझाए अतिरिक्त जिला कलेक्टर को की अगर पानी निकासी के लिए कोई नाला बना दिया जाए तो यह हालात नही रहते।


Conclusion:खेर जब जिला कलेक्ट्रेट के ही बारिस के दिनों में ये हालात हैं तो शहर की बाकी जगहों के हालात सुधर सकते हैं यह कहना बेमानी होगा

बाईट_उम्मेदराज सैनी, एडवोकेट चूरू

बाईट_रामरतन सौकरीया,अतिरिक्त जिला कलेक्टर चूरू
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