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चूरू: नसबंदी ऑपरेशन के बाद महिला की मौत के मामले में NGO के खिलाफ केस दर्ज

चूरू के सरदारशहर में नसबंदी ऑपरेशन के बाद 25 वर्षीय महिला की मौत के मामले में जिला कलेक्टर ने जांच कमेटी का गठन किया है. जांच कमेटी NGO के अलावा ऑपरेशन करने वाले चिकित्सक और कर्मचारियों की लापरवाही की जांच करेगी. साथ ही इस मामले में पीड़ित परिवार को मुआवजा भी दिया जाएगा.

Woman dies in sterilization camp, Case filed against NGO
नसबंदी ऑपरेशन के बाद महिला की मौत, NGO के खिलाफ केस दर्ज
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Published : Jul 1, 2020, 9:25 PM IST

चूरू. शिविर में नसबंदी के बाद महिला की मौत के मामले में घंटों चले समझाइश और वार्ता के दौर के बाद आखिरकार परिजन शव लेने के लिए राजी हुए. जिसके बाद महिला की मौत के लगभग 22 घंटे बाद शव का राजकीय भर्तिया अस्पताल की मोर्चरी में मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम करवा परिजनों को सुपुर्द किया गया.

नसबंदी ऑपरेशन के बाद महिला की मौत, NGO के खिलाफ केस दर्ज

इससे पहले मामले में लापरवाहों के खिलाफ कारवाई, मुआवजे और सरकारी नौकरी की मांग को लेकर धरने पर बैठे परिजनों से मिलने पहुंचे उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने भी उनका समर्थन किया और धरने पर बैठे. जिसके बाद जिला प्रसाशन और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों हरकत में आए और मृतक के परिजनों और राजेंद्र राठौड़ के बीच हुई वार्ता सफल हुई.

इस मामले में शिविर लगाने वाले एनजीओ के रजिस्ट्रेशन को निरस्त करते हुए सरदारशहर थाने में मामला भी दर्ज हुआ है. पुलिस ने 304, एससी-एसटी एक्ट और महामारी अधिनियम की धाराओं में मामला दर्ज किया है. पीड़ित परिवार को दो लाख की सहायता राशि ऑपरेशन के बाद मौत होने के मुआवजे से, चार लाख SC-ST से और 2 लाख रुपये जिला प्रशासन की ओर से मिलेंगे. वहीं, जिला कलेक्टर ने इस मामले में जांच कमेटी भी गठित की है, जो NGO की भूमिका सहित ऑपरेशन करने वाले चिकित्सक और कार्मिक के अलावा चूरू अस्पताल में हुई लापरवाही की जांच करेगी.

पढ़ें- चूरूः ऑपरेशन के बाद महिला की मौत, तीन बच्चों के सर से उठा मां का साया

लापरवाही के चलते चली गई जान

नियम कायदों को यहां जिस तरह ताक पर रख कर नसबंदी ऑपरेशन के लिए शिविर लगाया गया था उसमें नियमों की भी धज्जियां उड़ाई गई. यहां अपना टारगेट पूरा करने के लिए एनजीओ और चिकित्सा विभाग ने बिना किसी तैयारी के इतने बड़े शिविर का आयोजन रख लिया. शिविर में 200 के करीब आसपास के गांव की महिलाओं को बुलाया गया था. जिसमे मृतका मैना का 43वां नंबर था.

पढ़ें- चूरू: नसबंदी के बाद महिला की मौत के मामले में राजेन्द्र राठौड़ बैठे धरने पर

जबकि इतनी संख्या में ऑपरेशन करने की यहां अनुमति ही नहीं थी. लापरवाह एनजीओ और स्वास्थ्य विभाग की करतूत यहां तब सामने आई, जब 20 से ज्यादा महिलाओं को सिर्फ इंजेक्शन लगा ऐसे ही छोड़ दिया गया था. यहां एनजीओ के पास कोई भी ट्रेंड टीम या डॉक्टर नहीं थे. महिला के ऑपरेशन के बाद जब उसे रक्त स्राव हुआ तो आनन-फानन में एनजीओ और चिकित्सा विभाग के लोगों ने एंबुलेंस के माध्यम से महिला को चूरू के राजकीय भर्तिया अस्पताल में छोड़ दिया. वहीं, जब मामला बिगड़ता दिखा तो एनजीओ के लोग मौके से भाग निकले.

तीन मासूमों के सिर से उठा गया मां का साया

यहां सिस्टम की ना सिर्फ लापरवाही सामने आई है. बल्कि तीन मासूम बच्चों के सर से उनकी मां का साया भी उठ गया. रोलासर निवासी मृतका मैना के तीन बच्चे थे. उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने भी सीएमएचओ ऑफिस पर गंभीर आरोप लगाए थे. उन्होंने कहा था कि रुपयों और पहुंच के दम पर यहां नाकाबिल लोगों को भी ठेका मिल जाता है.

चूरू. शिविर में नसबंदी के बाद महिला की मौत के मामले में घंटों चले समझाइश और वार्ता के दौर के बाद आखिरकार परिजन शव लेने के लिए राजी हुए. जिसके बाद महिला की मौत के लगभग 22 घंटे बाद शव का राजकीय भर्तिया अस्पताल की मोर्चरी में मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम करवा परिजनों को सुपुर्द किया गया.

नसबंदी ऑपरेशन के बाद महिला की मौत, NGO के खिलाफ केस दर्ज

इससे पहले मामले में लापरवाहों के खिलाफ कारवाई, मुआवजे और सरकारी नौकरी की मांग को लेकर धरने पर बैठे परिजनों से मिलने पहुंचे उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने भी उनका समर्थन किया और धरने पर बैठे. जिसके बाद जिला प्रसाशन और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों हरकत में आए और मृतक के परिजनों और राजेंद्र राठौड़ के बीच हुई वार्ता सफल हुई.

इस मामले में शिविर लगाने वाले एनजीओ के रजिस्ट्रेशन को निरस्त करते हुए सरदारशहर थाने में मामला भी दर्ज हुआ है. पुलिस ने 304, एससी-एसटी एक्ट और महामारी अधिनियम की धाराओं में मामला दर्ज किया है. पीड़ित परिवार को दो लाख की सहायता राशि ऑपरेशन के बाद मौत होने के मुआवजे से, चार लाख SC-ST से और 2 लाख रुपये जिला प्रशासन की ओर से मिलेंगे. वहीं, जिला कलेक्टर ने इस मामले में जांच कमेटी भी गठित की है, जो NGO की भूमिका सहित ऑपरेशन करने वाले चिकित्सक और कार्मिक के अलावा चूरू अस्पताल में हुई लापरवाही की जांच करेगी.

पढ़ें- चूरूः ऑपरेशन के बाद महिला की मौत, तीन बच्चों के सर से उठा मां का साया

लापरवाही के चलते चली गई जान

नियम कायदों को यहां जिस तरह ताक पर रख कर नसबंदी ऑपरेशन के लिए शिविर लगाया गया था उसमें नियमों की भी धज्जियां उड़ाई गई. यहां अपना टारगेट पूरा करने के लिए एनजीओ और चिकित्सा विभाग ने बिना किसी तैयारी के इतने बड़े शिविर का आयोजन रख लिया. शिविर में 200 के करीब आसपास के गांव की महिलाओं को बुलाया गया था. जिसमे मृतका मैना का 43वां नंबर था.

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जबकि इतनी संख्या में ऑपरेशन करने की यहां अनुमति ही नहीं थी. लापरवाह एनजीओ और स्वास्थ्य विभाग की करतूत यहां तब सामने आई, जब 20 से ज्यादा महिलाओं को सिर्फ इंजेक्शन लगा ऐसे ही छोड़ दिया गया था. यहां एनजीओ के पास कोई भी ट्रेंड टीम या डॉक्टर नहीं थे. महिला के ऑपरेशन के बाद जब उसे रक्त स्राव हुआ तो आनन-फानन में एनजीओ और चिकित्सा विभाग के लोगों ने एंबुलेंस के माध्यम से महिला को चूरू के राजकीय भर्तिया अस्पताल में छोड़ दिया. वहीं, जब मामला बिगड़ता दिखा तो एनजीओ के लोग मौके से भाग निकले.

तीन मासूमों के सिर से उठा गया मां का साया

यहां सिस्टम की ना सिर्फ लापरवाही सामने आई है. बल्कि तीन मासूम बच्चों के सर से उनकी मां का साया भी उठ गया. रोलासर निवासी मृतका मैना के तीन बच्चे थे. उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने भी सीएमएचओ ऑफिस पर गंभीर आरोप लगाए थे. उन्होंने कहा था कि रुपयों और पहुंच के दम पर यहां नाकाबिल लोगों को भी ठेका मिल जाता है.

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