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स्पेशल: चूरू के बंशीधर पारीक का नायाब कलेक्शन

चूरू के सरदारशहर के पूलासर गांव के 84 साल के बंशीधर पारीक ने अपने शौक को जुनून बनाया और आज उनके पास पुरानी मुद्राओं, नोटों और डाक टिकटों का नायाब कलेक्शन है. देखिए चूरू के सरदारशहर से स्पेशल रिपोर्ट

sardarshahar churu, currency collection
दुर्लभ सिक्कों और नोटों का कलेक्शन
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Published : Dec 14, 2019, 1:02 PM IST

सरदारशहर (चूरू). 16 साल की उम्र में बंशीधर पारीक को जो शौक लगा, वो धीरे-धीरे जुनून बना. अब ये आलम है, कि 84 साल के बंशीधर पारीक के पास 130 साल से भी पुरानी मुगलकालीन और अंग्रेज रियासतकालीन मुद्राओं का संग्रहण है. जब पुराने सिक्कों का संग्रहण करना शुरू किया था, तब शायद ही उन्होंने सोचा था, कि इतने सिक्के जमा करने में वो कामयाब होंगे, लेकिन आज यही सिक्के उनकी पहचान बन गए हैं.

दुर्लभ सिक्कों और नोटों का कलेक्शन

पढ़ें- स्पेशल रिपोर्ट: मिलिए खेती के 'जादूगर' पद्मश्री जगदीश पारीक से, जिसने धोरों में नामुमकिन को किया मुमकिन

दुर्लभ सिक्कों और नोटों का कलेक्शन
दुर्लभ सिक्कों और नोटों का कलेक्शन ऐसा है, कि उनके पास चंद्रगुप्त, सम्राट अशोक से लेकर मुगल, शिवाजी और ब्रिटिश पीरियड के सिक्के हैं. इन सिक्कों के माध्यम से पुरातन संस्कृति को भी जान सकते हैं. सिक्कों की आज ना सिर्फ प्रदर्शनी होती है, बल्कि इतिहास के छात्रों को भी इतिहास समझने में आसानी होती है.

अंग्रेजों को पढ़ाई हिंदी

चूरू जिले के सरदारशहर तहसील के गांव पूलासर में रहने वाले बीडी पारीक ने 1955 से लेकर 1957 तक अंग्रेजों को पढ़ाया भी है. बीडी पारीक महज दसवीं क्लास तक पढ़े हैं. साल 1955 में दसवीं पास करने के बाद उन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ी. उसके बाद आसाम में अंग्रेजों के अध्यापक रहे. वे यहां अंग्रेजों को हिंदी पढ़ाते थे. पारीक को यहीं से नायाब सिक्के इकट्ठे करने का जुनून सवार हुआ.

मुगलकालीन, अंग्रेजी रियासत के भी सिक्के
बीडी पारीक ने मुगलकालीन और अंग्रेजी रियासत से लेकर आज तक के सिक्के इकट्ठे किए हुए हैं. उन्होंने ना सिर्फ भारतीय बल्कि विदेशी मुद्राएं भी संग्रहित की हैं. मुद्रा के साथ-साथ ही पुरानी टिकट और मैगजीन इकट्ठे करने का भी शौक रहा है.

पढ़ें- स्पेशल स्टोरी: डॉक्टर्स ने दी वृद्धा को चारपाई पर आराम करने को सलाह...लेकिन जयपुर की इस संस्था ने 15 दिनों में पैरों पर किया खड़ा

विदेशी सैलानियों के खत भी
बीडी पारीक भारत में जो टूरिस्ट घूमने आते थे, उन्हें अपने घर बुलाते थे और भारतीय संस्कृति से परिचित कराते थे. टूरिस्ट विदेशों में जाकर उन्हें खत लिखा करते थे. उन्होंने वे खत आज भी संजो कर रखे हैं. पारीक ने चूरू जिले के आसपास के स्कूल-कॉलेज में व्याख्यान भी दिए हैं.

30 से ज्यादा देशों की करेंसी
पारीक के पास 30 से ज्यादा देशों की करेंसी है. ये सिक्के और नोटों के रूप में है. उन्हें पुरानी डाक टिकट का संग्रहण का भी शौक है. देश की आजादी से लेकर अबतक की डाक टिकटें हैं, बल्कि इससे पुरानी भी डाक टिकटें हैं. आजादी के समय छपने वाले पुराने अखबारों की कटिंग भी है.

पढ़ें- स्पेशल: राजस्थान की 'सुगड़ी देवी' उत्तराखंड के इस गांव की महिलाओं को सिखाएंगी कशीदाकारी

ग्रामीणों के लिए आदर्श बने बीडी पारीक
पारीक के सिक्कों का संग्रहण भविष्य और वर्तमान से परिचित कराता है. जब संग्रहण करना शुरू किया था, तब काफी चुनौतियां सामने आईं थीं.

महारानी विक्टोरिया से लेकर कई मुगलकालीन सिक्के
इतिहास के प्रोफेसर डॉक्टर ओपी बोरा का कहना है, कि बीडी पारीक का संग्रहण काफी पुराना और शानदार है. जिसमें महारानी विक्टोरिया से लेकर कई मुगलकालीन सिक्के हैं. ये सिक्के अब देखने को नहीं मिलते हैं. ये बच्चों को इतिहास समझने में काफी मददगार हैं.

पढ़ें- स्पेशल रिपोर्ट: महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का जिम्मा उठाती कुशलगढ़ की बेटी डॉ.निधि जैन, अब तक 2 हजार महिलाओं ने लिया प्रशिक्षण

सिक्कों से बनी पहचान
वहीं बीडी पारीक की पत्नी सोना देवी का कहना है, कि पति द्वारा इकट्ठा किए गए सिक्कों से आज उनकी पहचान बनी है. खुशी होती है, जब गांव में और क्षेत्र में इनकी चर्चा होती है. स्थानीय निवासी धनपत सारण ने बताया, कि बीडी पारीक का सिक्कों का कलेक्शन अद्भुत है.

सरदारशहर (चूरू). 16 साल की उम्र में बंशीधर पारीक को जो शौक लगा, वो धीरे-धीरे जुनून बना. अब ये आलम है, कि 84 साल के बंशीधर पारीक के पास 130 साल से भी पुरानी मुगलकालीन और अंग्रेज रियासतकालीन मुद्राओं का संग्रहण है. जब पुराने सिक्कों का संग्रहण करना शुरू किया था, तब शायद ही उन्होंने सोचा था, कि इतने सिक्के जमा करने में वो कामयाब होंगे, लेकिन आज यही सिक्के उनकी पहचान बन गए हैं.

दुर्लभ सिक्कों और नोटों का कलेक्शन

पढ़ें- स्पेशल रिपोर्ट: मिलिए खेती के 'जादूगर' पद्मश्री जगदीश पारीक से, जिसने धोरों में नामुमकिन को किया मुमकिन

दुर्लभ सिक्कों और नोटों का कलेक्शन
दुर्लभ सिक्कों और नोटों का कलेक्शन ऐसा है, कि उनके पास चंद्रगुप्त, सम्राट अशोक से लेकर मुगल, शिवाजी और ब्रिटिश पीरियड के सिक्के हैं. इन सिक्कों के माध्यम से पुरातन संस्कृति को भी जान सकते हैं. सिक्कों की आज ना सिर्फ प्रदर्शनी होती है, बल्कि इतिहास के छात्रों को भी इतिहास समझने में आसानी होती है.

अंग्रेजों को पढ़ाई हिंदी

चूरू जिले के सरदारशहर तहसील के गांव पूलासर में रहने वाले बीडी पारीक ने 1955 से लेकर 1957 तक अंग्रेजों को पढ़ाया भी है. बीडी पारीक महज दसवीं क्लास तक पढ़े हैं. साल 1955 में दसवीं पास करने के बाद उन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ी. उसके बाद आसाम में अंग्रेजों के अध्यापक रहे. वे यहां अंग्रेजों को हिंदी पढ़ाते थे. पारीक को यहीं से नायाब सिक्के इकट्ठे करने का जुनून सवार हुआ.

मुगलकालीन, अंग्रेजी रियासत के भी सिक्के
बीडी पारीक ने मुगलकालीन और अंग्रेजी रियासत से लेकर आज तक के सिक्के इकट्ठे किए हुए हैं. उन्होंने ना सिर्फ भारतीय बल्कि विदेशी मुद्राएं भी संग्रहित की हैं. मुद्रा के साथ-साथ ही पुरानी टिकट और मैगजीन इकट्ठे करने का भी शौक रहा है.

पढ़ें- स्पेशल स्टोरी: डॉक्टर्स ने दी वृद्धा को चारपाई पर आराम करने को सलाह...लेकिन जयपुर की इस संस्था ने 15 दिनों में पैरों पर किया खड़ा

विदेशी सैलानियों के खत भी
बीडी पारीक भारत में जो टूरिस्ट घूमने आते थे, उन्हें अपने घर बुलाते थे और भारतीय संस्कृति से परिचित कराते थे. टूरिस्ट विदेशों में जाकर उन्हें खत लिखा करते थे. उन्होंने वे खत आज भी संजो कर रखे हैं. पारीक ने चूरू जिले के आसपास के स्कूल-कॉलेज में व्याख्यान भी दिए हैं.

30 से ज्यादा देशों की करेंसी
पारीक के पास 30 से ज्यादा देशों की करेंसी है. ये सिक्के और नोटों के रूप में है. उन्हें पुरानी डाक टिकट का संग्रहण का भी शौक है. देश की आजादी से लेकर अबतक की डाक टिकटें हैं, बल्कि इससे पुरानी भी डाक टिकटें हैं. आजादी के समय छपने वाले पुराने अखबारों की कटिंग भी है.

पढ़ें- स्पेशल: राजस्थान की 'सुगड़ी देवी' उत्तराखंड के इस गांव की महिलाओं को सिखाएंगी कशीदाकारी

ग्रामीणों के लिए आदर्श बने बीडी पारीक
पारीक के सिक्कों का संग्रहण भविष्य और वर्तमान से परिचित कराता है. जब संग्रहण करना शुरू किया था, तब काफी चुनौतियां सामने आईं थीं.

महारानी विक्टोरिया से लेकर कई मुगलकालीन सिक्के
इतिहास के प्रोफेसर डॉक्टर ओपी बोरा का कहना है, कि बीडी पारीक का संग्रहण काफी पुराना और शानदार है. जिसमें महारानी विक्टोरिया से लेकर कई मुगलकालीन सिक्के हैं. ये सिक्के अब देखने को नहीं मिलते हैं. ये बच्चों को इतिहास समझने में काफी मददगार हैं.

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सिक्कों से बनी पहचान
वहीं बीडी पारीक की पत्नी सोना देवी का कहना है, कि पति द्वारा इकट्ठा किए गए सिक्कों से आज उनकी पहचान बनी है. खुशी होती है, जब गांव में और क्षेत्र में इनकी चर्चा होती है. स्थानीय निवासी धनपत सारण ने बताया, कि बीडी पारीक का सिक्कों का कलेक्शन अद्भुत है.

Intro:सरदारशहर। कहते हैं हर एक नई शुरुआत डराती है लेकिन जब सफलता मिलती है तो असफलताएं दूर-दूर तक नजर नहीं आती है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है सरदारशहर तहसील के पूलासर गांव के 84 वर्षीय बंशीधर पारीक ने, जिनकी आज आसपास के क्षेत्र में खासी चर्चा है।
16 वर्ष की उम्र में जो शोख लगा वह धीरे धीरे चल कर एक जुनून बन गया, और 84 वर्षीय बी डी पारिक ने 130 साल से भी पुरानी मुगलकालीन व अंग्रेज रियासत कालीन मुद्राओं का संग्रहण कर रखा है। बीडी पारीक ने जब पुराने सिक्को का संग्रहण करना शुरू किया था तब शायद ही उन्होंने सोचा था कि इतने सारे सिक्के जमा करने में वह कामयाब होंगे, लेकिन आज यही सिक्के उनकी पहचान बन गये है। दुर्लभ सिक्कों और नोटों का कलेक्शन ऐसा है की चंद्रगुप्त, सम्राट अशोक से लेकर मुगल, शिवाजी और ब्रिटिश पीरियड के सिक्के इनके पास हैं। इन सिक्कों के माध्यम से हम हमारी पुरानी संस्कृति को भी जान सकते हैं, बीडी पारीक के सिक्कों की आज ना सिर्फ प्रदर्शनी होती है बल्कि जो इतिहास के छात्र हैं उनको भी इतिहास समझने में काफी आसानी होती है। चुरू जिले के सरदारशहर तहसील के गांव पूलासर में रहने वाले 84 वर्षीय बीडी पारीक ने 1955 से लेकर 1957 तक अंग्रेजों को पढ़ाया भी है। बीडी पारीक महज दसवीं क्लास तक पढ़े, सन 1955 में दसवीं पास करने के बाद उन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ी, उसके बाद बीडी पारीक ने आसाम में अंग्रेजों के अध्यापक रहे, यहा पारीक अंग्रेजों को हिंदी पढ़ाते थे वही से पारीक को पुराने सिक्के इकट्ठे करने का जुनून सवार हो गया । बीडी पारीक ने मुगलकालीन व अंग्रेजी रियासत से लेकर आज तक के सिक्के इकट्ठे किए हुए हैं साथ ही साथ बीडी पारीक ने ना सिर्फ भारतीय बल्कि विदेशी मुद्राएं भी संग्रहित की है, मुद्रा के साथ-साथ विधि पारीक को पुरानी टिकट व मैगजीन इकट्ठे करने का भी शौख रहा है । बीडी पारीक ने जो सिक्के संग्रह किया वह अद्भुत अकल्पनीय है।

बीडी पारीक भारतीय संस्कृति से अंग्रेजों को रूबरू कराने के लिए भी काम करते थे। भारत में जो टूरिस्ट घूमने आते थे उन्हें अपने घर बुलाते थे और उन्हें भारतीय संस्कृति से परिचित करवाते थे वही टूरिस्ट विदेशों में जाकर बीडी पारीक को खत लिखा करते थे वह खत आज भी बीडी पारीक ने सजो कर रखे हुए हैं। बीडी पारीक ने हमारे संवाददाता मनोज प्रजापत को बताया कि जो टूरिस्ट पूलासर आ कर गये उन्होंने वापस खत भेजा और लिखा है कि दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, जयपुर इज नोट इंडिया, पूलासर इज इंडिया, ये सभी खत बीडी पारीक के पास सुरक्षित है। बीडी पारीक ने चूरू जिले के आसपास के महाविद्यालय स्कूलों में भी अपने व्याख्यान दिए हैं।



30 से ज्यादा देशों की है करेंसी

बीडी पारीक के पास आज 30 से ज्यादा देशों की करेंसी है यह सिक्के व नोटों के रूप में है, साथ ही साथ बीडी पारीक को पुरानी डाक टिकट का सग्रहन करने का भी सोख रहा है, बीडी पारीक के पास देश की आजादी से लेकर अब तक की तमाम डाक टिकटें हैं बल्कि इससे पुरानी भी डाक टिकटें बीडी पारीक ने समेट कर रखी है, जो हमें आश्चर्य में डालती है साथ ही साथ बीडी पारीक द्वारा पुरानी अखबारों की कटिंग भी है जो की आजादी के समय छपा करते थे। बीडी पारीक के पास वो सिक्के और नोट है जो हमारी पिछली कई पीढ़ियों ने नहीं देखे। क्योंकि यह नोट और सिक्के 400 साल तक पुराने है।



Body:बीडी पारीक का आज भरा पूरा परिवार है बीड़ी पारीक द्वारा किए गए सिक्कों का संग्रहण वाकई में हमें हमारे भविष्य और वर्तमान से परिचित करवाते हैं साधारण से परिवार से ताल्लुक रखने वाले बीडी पारीक ने पूलासर गांव में मानो इतिहास समेट कर रखा है आज ग्रामीणों के लिए भी पारीक आदर्श बन गई हैं। Conclusion:बाइट- 1 बंशीधर पारीक,सिक्के ओर नोट का संग्रहन करने वाले

बंसीधर पारिक का कहना है कि जब मैंने पुराने सिक्कों का संग्रहन करना शुरू किया था तब काफी चुनौतियों मेरे सामने आई थी धीरे-धीरे पता ही नहीं चला कब इतने सारे सिक्के इकट्ठे कर लिए, आज जब पीछे मुड़कर देखता हूं तो मुझे खुद को हैरानी होती है कि मैंने कैसे इतने दुर्लभ सिक्कों का इकट्ठा किया है, मेरे पास देश की ही नहीं बल्कि विदेश की भी बहुत सारी मुद्राएं हैं जो अपने आप में अद्भुत हैं जिनकी हम आज कल्पना भी नहीं कर सकते, यह हमें हमारी संस्कृति से तो परिचित कराती ही है साथ ही हमें बताती है कि हमारा इतिहास जो है कितना समृद्धि था।

बाइट- 2 इतिहास के प्रोफेसर डॉ ओपी बोहरा

इतिहास के प्रोफेसर डॉक्टर ओपी बोरा का कहना है कि बीडी पारीक का जो संग्रहन है वह काफी पुराना है और शानदार है उनके पास महारानी विक्टोरिया से लेकर कई मुगलकालीन सिक्के हैं जो हमारे जन्म से पहले ही प्रचलन में आने बंद हो गए थे यह सिक्के अब देखने को नहीं मिलतेे हैं यह बच्चों को इतिहास समझने में काााफी मददगार है।

बाइट- 3 बंशीधर पारीक की धर्मपत्नी सोना देवी

सोना देवी का कहना है कि पति द्वारा इकट्ठा किए गए सिक्कों से आज उनकी पहचान बनी है खुशी होती है जब गांव में और क्षेत्र में इनकी चर्चा होती है
बाइट- 4 धनपत सारण, सरदारशहर निवासी, इतिहास जिज्ञासु
धनपत सारण ने बताया कि बंसीधर पारीक का सिक्कों का कलेक्शन अद्भुत है इनके द्वारा इकट्ठा किए गए सिक्कों से हमें हमारे प्राचीन इतिहास के बारे में तो जानकारी मिलती ही है साथ हमे हमारे गौरवान्वित इतिहास को समझने में भी काफी आसानी होती है ।
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