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SPECIAL: किडनी की बीमारी से ग्रसित आशा की गुहार, मदद करो सरकार

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Published : Sep 2, 2020, 4:19 PM IST

Updated : Sep 2, 2020, 4:46 PM IST

कोरोना और लॉकडाउन की मार गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों पर ऐसी पड़ी है जिसे वह शायद कभी भूल नहीं पाएंगे. चूरू की रहने वाली आशा किडनी की गंभीर बीमारी से ग्रसित है. इस लॉकडाउन में पति की नौकरी भी चली गई. मायके वालों ने मदद करने की कोशिश की तो लॉकडाउन ने यह रास्ता भी बंद कर दिया. अब यह परिवार प्रशासन और सरकार से केवल मदद की गुहार लगा रहा है. देखें ये पूरी खबर...

किडनी की बीमारी से ग्रसित महिला, A woman with kidney disease
किडनी की गंभीर बीमारी से ग्रसित आशा

चूरू. कोरोना का कहर हर क्षेत्र और हर व्यक्ति पर पड़ा है. इस वैश्विक महामारी ने आम आदमी के सामने कई बड़ी चुनौतियां खड़ी कर दी है. कई लोगों का रोजगार छिन गया है तो एक बड़ी आबादी का काम-धंधा पूरी तरह से ठप पड़ गया है. ऐसे वक्त में जब आम आदमी के लिए दो वक्त के खाने का इंतजाम करना भी भारी पड़ रहा हो तो अन्य खर्चों की बात करना बेमानी सा हो जाता है. इस मुश्किल समय में परिवार के किसी सदस्य की तबीयत खराब हो जाए या कोई गंभीर बीमारी हो जाए, तो इसकी कल्पना मात्र से ही मन सहम उठता है. और अगर ये सब किसी परिवार को सच में भुगतना पड़े तो उस तकलीफ का अंदाजा स्वतः ही लगाया जा सकता है.

प्रसाशन ने अब तक नहीं सुनी इस महिला की गुहार

ऐसी ही परेशानी से जूझन पड़ा रहा है चूरू की आशा को. आशा किडनी की गंभीर बीमारी से ग्रसित है. हर महीने डायलिसिस और दवाओं पर लगभग 25 से 30 हजार रुपए खर्च हो रहे हैं. आशा के ससुराल वाले और मायके वाले मिलकर भी इलाज का खर्च नहीं उठा पा रहे हैं. पीड़ित परिवार ने प्रसाशन से कई बार मदद की गुहार लगाई लेकिन हर ओर से केवल निराशा ही हाथ लगी. जिसके बाद परिजनों ने ETV Bharat के माध्यम से मदद की गुहार लगाई है.

पढ़ेंः Special: प्रदेश में सबसे ज्यादा प्याज का उत्पादन सीकर में...फिर भी घाटे में किसान

आशा के पति ने अपना सब कुछ दांव पर लगाकर भी अपनी अर्धांगिनी को बचाने का हर संभव प्रयास किया है. पत्नी के उपचार के लिए पति ने अपनी नौकरी तक कुर्बान कर दी. पति-पत्नी के इस संघर्ष के बीच कोरोना कॉल में लगे लॉकडाउन ने आग में घी डालने का काम किया. पत्नी की बीमारी पर हो रहे लंबे समय से खर्च और ऊपर से लॉकडाउन ने इस मिडिल क्लॉस फैमली की कमर तोड़कर रख दी. पीड़ित परिवार ने सरकारी योजनाओं के तहत मिलने वाले चिकित्सकीय लाभ लेने के लिए प्रसाशन की चौखट पर कई बार गुहार लगाई लेकिन हर बार इस परिवार को निराशा और नाकामयाबी ही हाथ लगी.

पति ने पहले गवाई नौकरी, अब खुद डिप्रेशन का शिकार

किडनी की गंभीर बीमारी से ग्रसित 40 साल की आशा शर्मा की शादी 15 साल पहले शहर के वार्ड संख्या 28 निवासी सुनील शर्मा के साथ हुई थी, लेकिन पिछले दो सालों से आशा शर्मा की तबीयत बिगड़ने पर पति सुनील शर्मा पत्नी को लिए अस्पतालों के चक्कर काटने लगे, लेकिन पत्नी की तबीयत बिगड़ती ही चली गई. दो सालों का समय बीतते-बीतते पति सुनील शर्मा खुद डिप्रेशन का शिकार हो गए और दांव पर लगी नौकरी भी हाथ से निकल गई.

किडनी की बीमारी से ग्रसित महिला, A woman with kidney disease
आशा के परिजन कागजी कार्रवाई में हो रहे परेशान

पढ़ेंः Special : त्योहारी सीजन में पाली का हाल बेहाल...संक्रमण और मौत का आंकड़ा हुआ दोगुना

पत्नी के उपचार के लिए पति ने अपना घर बार सब कुछ दांव पर लगा दिया. बावजूद इसके आशा शर्मा को राहत नहीं मिली. बहन की पीड़ा भाइयों से भी नहीं देखी गयी तो उन्होंने भी आर्थिक सहायता की लेकिन गंभीर बीमारी और महंगे उपचार ने सभी को उस वक्त संकट में डाल दिया जब निजी स्कूल में पढ़ाने वाले भाई पर भी कोरोना कॉल में स्कूल नहीं खुलने पर आर्थिक संकट के बादल गहराने लगे.

उपचार नहीं मिलने पर जान भी जा सकती है

चूरू के राजकीय भर्तिया अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सकों ने बताया कि डायलिसिस मरीज को बेहद जरूरी है. अगर समय रहते मरीज को उपचार नहीं मिले तो इसमें जान भी जा सकती है. राजकीय अस्पताल के डॉक्टर दीपक चौधरी ने बताया कि मरीज के लिए डायलिसिस एक तरह लाइफ सेविंग प्रोसेसर होता है. डायलिसिस अमूमन हफ्ते में दो बार तीन बार या कई बार मरीज को जिस प्रकार इसकी आवश्यकता होती है उस प्रकार दी जाती है. शुरुआती दौर में प्रतिदिन भी जरूरी होता है.

किडनी की बीमारी से ग्रसित महिला, A woman with kidney disease
आशा शर्मा

डॉक्टर मनोज शर्मा ने बताया कि पीड़ित परिवार ने जिला कलेक्टर से कई बार गुहार लगाई, लेकिन उन्हें किसी प्रकार की सरकारी राहत नहीं मिली. अगर सरकारी राहत मिल जाए तो शायद इस परिवार की यह समस्या हल हो जाए और आशा अपनी इस बीमारी से निजात पा सके.

चूरू. कोरोना का कहर हर क्षेत्र और हर व्यक्ति पर पड़ा है. इस वैश्विक महामारी ने आम आदमी के सामने कई बड़ी चुनौतियां खड़ी कर दी है. कई लोगों का रोजगार छिन गया है तो एक बड़ी आबादी का काम-धंधा पूरी तरह से ठप पड़ गया है. ऐसे वक्त में जब आम आदमी के लिए दो वक्त के खाने का इंतजाम करना भी भारी पड़ रहा हो तो अन्य खर्चों की बात करना बेमानी सा हो जाता है. इस मुश्किल समय में परिवार के किसी सदस्य की तबीयत खराब हो जाए या कोई गंभीर बीमारी हो जाए, तो इसकी कल्पना मात्र से ही मन सहम उठता है. और अगर ये सब किसी परिवार को सच में भुगतना पड़े तो उस तकलीफ का अंदाजा स्वतः ही लगाया जा सकता है.

प्रसाशन ने अब तक नहीं सुनी इस महिला की गुहार

ऐसी ही परेशानी से जूझन पड़ा रहा है चूरू की आशा को. आशा किडनी की गंभीर बीमारी से ग्रसित है. हर महीने डायलिसिस और दवाओं पर लगभग 25 से 30 हजार रुपए खर्च हो रहे हैं. आशा के ससुराल वाले और मायके वाले मिलकर भी इलाज का खर्च नहीं उठा पा रहे हैं. पीड़ित परिवार ने प्रसाशन से कई बार मदद की गुहार लगाई लेकिन हर ओर से केवल निराशा ही हाथ लगी. जिसके बाद परिजनों ने ETV Bharat के माध्यम से मदद की गुहार लगाई है.

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आशा के पति ने अपना सब कुछ दांव पर लगाकर भी अपनी अर्धांगिनी को बचाने का हर संभव प्रयास किया है. पत्नी के उपचार के लिए पति ने अपनी नौकरी तक कुर्बान कर दी. पति-पत्नी के इस संघर्ष के बीच कोरोना कॉल में लगे लॉकडाउन ने आग में घी डालने का काम किया. पत्नी की बीमारी पर हो रहे लंबे समय से खर्च और ऊपर से लॉकडाउन ने इस मिडिल क्लॉस फैमली की कमर तोड़कर रख दी. पीड़ित परिवार ने सरकारी योजनाओं के तहत मिलने वाले चिकित्सकीय लाभ लेने के लिए प्रसाशन की चौखट पर कई बार गुहार लगाई लेकिन हर बार इस परिवार को निराशा और नाकामयाबी ही हाथ लगी.

पति ने पहले गवाई नौकरी, अब खुद डिप्रेशन का शिकार

किडनी की गंभीर बीमारी से ग्रसित 40 साल की आशा शर्मा की शादी 15 साल पहले शहर के वार्ड संख्या 28 निवासी सुनील शर्मा के साथ हुई थी, लेकिन पिछले दो सालों से आशा शर्मा की तबीयत बिगड़ने पर पति सुनील शर्मा पत्नी को लिए अस्पतालों के चक्कर काटने लगे, लेकिन पत्नी की तबीयत बिगड़ती ही चली गई. दो सालों का समय बीतते-बीतते पति सुनील शर्मा खुद डिप्रेशन का शिकार हो गए और दांव पर लगी नौकरी भी हाथ से निकल गई.

किडनी की बीमारी से ग्रसित महिला, A woman with kidney disease
आशा के परिजन कागजी कार्रवाई में हो रहे परेशान

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पत्नी के उपचार के लिए पति ने अपना घर बार सब कुछ दांव पर लगा दिया. बावजूद इसके आशा शर्मा को राहत नहीं मिली. बहन की पीड़ा भाइयों से भी नहीं देखी गयी तो उन्होंने भी आर्थिक सहायता की लेकिन गंभीर बीमारी और महंगे उपचार ने सभी को उस वक्त संकट में डाल दिया जब निजी स्कूल में पढ़ाने वाले भाई पर भी कोरोना कॉल में स्कूल नहीं खुलने पर आर्थिक संकट के बादल गहराने लगे.

उपचार नहीं मिलने पर जान भी जा सकती है

चूरू के राजकीय भर्तिया अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सकों ने बताया कि डायलिसिस मरीज को बेहद जरूरी है. अगर समय रहते मरीज को उपचार नहीं मिले तो इसमें जान भी जा सकती है. राजकीय अस्पताल के डॉक्टर दीपक चौधरी ने बताया कि मरीज के लिए डायलिसिस एक तरह लाइफ सेविंग प्रोसेसर होता है. डायलिसिस अमूमन हफ्ते में दो बार तीन बार या कई बार मरीज को जिस प्रकार इसकी आवश्यकता होती है उस प्रकार दी जाती है. शुरुआती दौर में प्रतिदिन भी जरूरी होता है.

किडनी की बीमारी से ग्रसित महिला, A woman with kidney disease
आशा शर्मा

डॉक्टर मनोज शर्मा ने बताया कि पीड़ित परिवार ने जिला कलेक्टर से कई बार गुहार लगाई, लेकिन उन्हें किसी प्रकार की सरकारी राहत नहीं मिली. अगर सरकारी राहत मिल जाए तो शायद इस परिवार की यह समस्या हल हो जाए और आशा अपनी इस बीमारी से निजात पा सके.

Last Updated : Sep 2, 2020, 4:46 PM IST
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