चूरू. कोविड-19 की दहशत के बीच कुछ लोग अपने घरों को छोड़ इन विषम परिस्थितियों में चिकित्सा विभाग के कर्मचारियों के साथ कंधे से कंधा मिला काम कर रहे हैं.
यो लोग कोई और नहीं बल्कि ग्रामीण इलाके में चिकित्सा सेवा देनी वाली आशा सहयोगिनी हैं. एक तरफ घर-परिवार का देखभाल दूसरी ओर कोरोना से लड़ी जा रही जंग में चिकित्सा विभाग की टीमों के साथ घर-घर जाकर सर्वे करना. ये काम इन आशा सहयोगिनियों के लिए बेहद चुनौतिपूर्ण भरा है.
सर्वे के दौरान की चुनौतियां-
सर्वे करने वाली आशा सहयोगिनी ने बताया कि सर्वे के दौरान कई तरह के लोग उन्हें मिलते हैं. कई तो जानकारी ही नहीं देते और घर का गेट तक नहीं खोलते. लेकिन हमें हमारा फर्ज और दायित्व पता है इसलिए कोरोना जैसी महामारी से देश को मुक्ति दिलाने के लिए हम सब कुछ सहने को तैयार है.
कोरोना के खिलाफ लड़ी जा रही इस जंग में अपना अहम किरदार निभा रही यं आशाएं, गर्भवती महिला से लेकर बच्चे के जन्म के साथ उसकी स्वास्थ्य सुरक्षा का पूरा जिम्मा उठाती हैं. जो आज हर मोर्चे पर कोरोना फाइटर बनकर उभरी है. अपने दायित्व के निर्वहन के साथ घर की सभी जिम्मेदारियों का भी निर्वहन कर परिवार के सदस्यों की देखभाल का जिम्मा भी ये आशा सहयोगिनी बखूबी निभा रही हैं.
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बता दें कि जिले में एक हजार 508 आशा सहयोगिनी प्रत्येक ब्लॉक में शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में आशा सहयोगिनी एएनएम के साथ दिन में घंटों घर-घर सर्वे अभियान में पिछले 18 दिन से लगी है. फील्ड में टीकाकरण, मातृत्व स्वास्थ्य व पोषण आहार सहित चिकित्सा विभाग के अनेक राष्ट्रीय कार्यक्रमों को आमजन तक पहुंचाने का जिम्मा इन आशा सहयोगिनी पर ही है.
इसके अलावा परिवारों में सीधा संपर्क होने के कारण व क्षेत्र के बारे में संपूर्ण जानकारी होने से घर-घर सर्वे अभियान में इनकी भूमिका एएनएम के साथ महत्वपूर्ण और अहम हो जाती है.