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Special: गहलोत सरकार के पिछले कार्यकाल में शुरू हुए Affordable Housing Project को लगा 'ग्रहण', महज 40 प्रतिशत काम हुआ पूरा - चूरू नगर परिषद

चूरू में अफॉर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्ट को ग्रहण लग गया. प्रोजेक्ट के तहत 352 आवेदकों को 2 साल में फ्लैट तैयार कर देने थे. लेकिन अभी तक काम पूरा नहीं हुआ. बता दें कि मुख्यमंत्री गहलोत ने अपने पिछले कार्यकाल में प्रोजेक्ट की नींव रखी थी.

Churu latest News, अफॉर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्ट, Chief Minister Ashok Gehlot, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत
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Published : Nov 25, 2019, 9:22 AM IST

चूरू. सीएम अशोक गहलोत ने अपने पिछले कार्यकाल में 6 साल पहले चूरू में अफॉर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्ट की नींव रखी थी. लेकिन यह प्रोजेक्ट आज तक अधूरा है. प्रोजेक्ट के तहत 352 आवेदकों को 2 साल में फ्लैट तैयार कर देने थे, लेकिन नगर परिषद की अनदेखी और कंपनी की लापरवाही के कारण आज तक लोग अपने घर के लिए तरस रहे हैं.

चूरू में अफॉर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्ट को लगा ग्रहण

बता दें कि मई 2013 में इस प्रोजेक्ट का काम शुरू हो गया था और मई 2015 में सभी लॉटरी धारकों को उनके फ्लैट की चाबी सौंपी जानी थी. लेकिन 6 साल बाद भी इन फ्लैट का महज 40 प्रतिशत ही काम पूरा हो पाया है.

करीब 12 करोड़ 84 लाख रुपए का है प्रोजेक्ट...

पूरे मामले को लेकर जिला कलेक्टर संदेश नायक ने ईटीवी भारत से जांच की बात बताई. बता दें कि करीब 12 करोड़ 84 लाख रुपए का यह प्रोजेक्ट पूरी तरह से फेल होने की स्थिति में आकर खड़ा हो गया है.

कंपनी ने लिए कदम पीछे...

शहर के अग्रसेन नगर से रामसरा रोड पर जाने वाले सड़क पर अधूरे पड़े इन फ्लैटों की किस्तें जमा नहीं होने पर कंपनी भी पीछे हट गई है. लाटरी धारकों का भी आरोप है कि नगर परिषद और कंपनी ने मिलीभगत करके जनता के साथ धोखा किया है. काम बंद होने से उन्हें भी रुपए जमा करवाने में डर लगने लगा है.

डर से लोगों ने किस्त देना किया बंद...

352 फ्लैट धारकों ने अपने आशियाने के लिए किस्त के रुपए बैंक के जरिए नगर परिषद के खाते में रुपए जमा भी करवाएं, लेकिन काम बंद होने के कारण अब लोगों ने किस्त देना ही बंद कर दिया है. कॉलोनी का निर्माण कार्य जयपुर की कंपनी एसएनजी रियल स्टेट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा करवाया जा रहा है.

यह भी पढे़ं : आवासन मंडल ने 35 दिन में बेचे 1010 फ्लैट, अब सीलबंद नीलामी से बेचे जायेंगे मकान

अगर कहा जाए कि प्रोजेक्ट में देरी के लिए नगर परिषद जिम्मेदार है तो यह कोई बड़ी बात नहीं होगी. क्योंकि किस्त की रकम नगर परिषद के खाते में जमा हो रही है. किस्त जमा नहीं कराने वालों के खिलाफ नगर परिषद कोई कारवाई पहले ही कर लेती तो लोग किस्त समय पर चुकाते और समय पर प्रोजेक्ट भी पूरा हो जाता.

चूरू. सीएम अशोक गहलोत ने अपने पिछले कार्यकाल में 6 साल पहले चूरू में अफॉर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्ट की नींव रखी थी. लेकिन यह प्रोजेक्ट आज तक अधूरा है. प्रोजेक्ट के तहत 352 आवेदकों को 2 साल में फ्लैट तैयार कर देने थे, लेकिन नगर परिषद की अनदेखी और कंपनी की लापरवाही के कारण आज तक लोग अपने घर के लिए तरस रहे हैं.

चूरू में अफॉर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्ट को लगा ग्रहण

बता दें कि मई 2013 में इस प्रोजेक्ट का काम शुरू हो गया था और मई 2015 में सभी लॉटरी धारकों को उनके फ्लैट की चाबी सौंपी जानी थी. लेकिन 6 साल बाद भी इन फ्लैट का महज 40 प्रतिशत ही काम पूरा हो पाया है.

करीब 12 करोड़ 84 लाख रुपए का है प्रोजेक्ट...

पूरे मामले को लेकर जिला कलेक्टर संदेश नायक ने ईटीवी भारत से जांच की बात बताई. बता दें कि करीब 12 करोड़ 84 लाख रुपए का यह प्रोजेक्ट पूरी तरह से फेल होने की स्थिति में आकर खड़ा हो गया है.

कंपनी ने लिए कदम पीछे...

शहर के अग्रसेन नगर से रामसरा रोड पर जाने वाले सड़क पर अधूरे पड़े इन फ्लैटों की किस्तें जमा नहीं होने पर कंपनी भी पीछे हट गई है. लाटरी धारकों का भी आरोप है कि नगर परिषद और कंपनी ने मिलीभगत करके जनता के साथ धोखा किया है. काम बंद होने से उन्हें भी रुपए जमा करवाने में डर लगने लगा है.

डर से लोगों ने किस्त देना किया बंद...

352 फ्लैट धारकों ने अपने आशियाने के लिए किस्त के रुपए बैंक के जरिए नगर परिषद के खाते में रुपए जमा भी करवाएं, लेकिन काम बंद होने के कारण अब लोगों ने किस्त देना ही बंद कर दिया है. कॉलोनी का निर्माण कार्य जयपुर की कंपनी एसएनजी रियल स्टेट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा करवाया जा रहा है.

यह भी पढे़ं : आवासन मंडल ने 35 दिन में बेचे 1010 फ्लैट, अब सीलबंद नीलामी से बेचे जायेंगे मकान

अगर कहा जाए कि प्रोजेक्ट में देरी के लिए नगर परिषद जिम्मेदार है तो यह कोई बड़ी बात नहीं होगी. क्योंकि किस्त की रकम नगर परिषद के खाते में जमा हो रही है. किस्त जमा नहीं कराने वालों के खिलाफ नगर परिषद कोई कारवाई पहले ही कर लेती तो लोग किस्त समय पर चुकाते और समय पर प्रोजेक्ट भी पूरा हो जाता.

Intro:चूरू_पिछले छः साल से खुद के आशियाने के इंतजार में शहर के लोग.चूरू में अफॉर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्ट को लगा ग्रहण.प्रोजेक्ट के तहत 352 आवेदकों को 2 साल में फ्लैट तैयार कर देने थे.मुख्यमंत्री गहलोत ने अपने पिछले कार्यकाल में रखी थी प्रोजेक्ट की नींव.2015 में सभी लॉटरी धारको को उनके फ्लैट की चाबी सौंपी जानी थी।


Body:मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने पिछले कार्यकाल में 6 साल पहले चूरू में अफॉर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्ट की नींव रखी थी. लेकिन यह प्रोजेक्ट आज तक अधूरा है प्रोजेक्ट के तहत 352 आवेदकों को 2 साल में फ्लैट तैयार कर देने थे लेकिन नगर परिषद की अनदेखी ओर कंपनी की लापरवाही के कारण आज तक लोग अपने घर के लिए तरस रहे है. मई 2013 में इस प्रोजेक्ट का काम शुरू हो गया था और मई 2015 में सभी लॉटरी धारको को उनके फ्लैट की चाबी सौंपी जानी थी लेकिन 6 साल बाद भी इन फ्लैट का महज 40 प्रतिशत ही काम पूरा हो पाया है।




Conclusion:पूरे मामले को लेकर जिला कलेक्टर संदेश नायक ने ईटीवी भारत से जांच की बात कहि कुल 12 करोड़ 84 लाख रुपए का यह प्रोजेक्ट पूरी तरह से फेल होने की स्थिति मैं आकर अब खड़ा हो गया है शहर के अग्रसेन नगर से रामसरा रोड पर जाने वाले सड़क पर अधूरे पड़े इन फ्लैटों की किस्ते जमा नहीं होने पर कंपनी भी पीछे हट गई है लाटरी धारको का भी आरोप है कि नगर परिषद और कंपनी ने मिलीभगत करके जनता के साथ धोखा किया है काम बंद होने से उन्हें भी रुपए जमा करवाने में डर लगने लगा है 352 फ्लैट धारको को ने अपने आशियाने के लिए किस्त के रुपए बैंक के जरिए नगर परिषद के खाते में रुपए जमा भी करवाएं लेकिन काम बंद होने के कारण अब लोगों ने किश्त देना ही बंद कर दिया है कॉलोनी का निर्माण कार्य जयपुर की कंपनी एसएनजी रियल स्टेट प्राइवेट लिमिटेड के द्वारा करवाया जा रहा है अगर कहा जाए कि प्रोजेक्ट में देरी के लिए नगर परिषद जिम्मेदार है तो यह कोई बड़ी बात नहीं होगी क्योंकि किश्त की रकम नगर परिषद के खाते में जमा हो रही है किस्त जमा नहीं कराने वालों के खिलाफ नगर परिषद कोई कारवाई पहले ही कर लेती तो लोग किश्त समय पर चुकाते और समय पर प्रोजेक्ट भी पूरा हो जाता

बाईट_मनोज,लॉटरी धारक चूरू

बाईट_सन्देश नायक,जिला कलेक्टर
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