चित्तौड़गढ़. जिले में गत वर्ष मानसून की कम बरसात के कारण भारी पेयजल संकट के बादल अभी से छाने लगे हैं. इसके साथ ही चित्तौड़गढ़ की जनता को पानी उपलब्ध कराने के लिए जहां प्रशासन कवायद में जुटा है. वहीं, दूसरी तरफ जिले में स्थापित उधोग भी अपना प्लांट चलाने के लिए पानी की संभावनाए तलाश रहे हैं. इसी के चलते हिन्दुस्थान जिंक जैसे भारी भरकम उधोग को भी चित्तौड़गढ़ शहर के भोईखेड़ा में स्थापित सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की याद आ गई.
जिंक की ओर से ट्रीटमेंट प्लांट से पानी औए जाने के लिए पाइप लाइन का कार्य चलाया गया था. जिसका शनिवार को भोईखेड़ा के ग्रामीणों ने विरोध जताया है. इस दौरान जिंक की जेसीबी और कर्मचारियों को खाली लौटा दिया गया. जानकारी के अनुसार हिंदुस्तान जिंक कई सालों से घोसुंडा बांध के पानी पर आश्रित है. इसी बांध से किसान सिंचाई के लिए पानी लेते हैं तो चित्तौड़गढ़ शहर में भी पेयजल आपूर्ति यहीं से होती है. इस वर्ष मानसून की औसत से भी हुई कम बरसात के कारण घोसुंडा बांध में पानी की आवक नहीं हुई है.
ऐसे में पीने के पानी से लेकर उद्योग चलाने तक को लेकर संकट आ गया है. जिसके बाद अब हिंदुस्तान जिंक उद्योग चलाने के लिए पानी की संभावनाओं को तलाश रहा है. ऐसे में लंबे समय से व्यर्थ बह रहे सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के पानी और हिन्दुस्थान जिंक का ध्यान गया है. नगर परिषद भोईखेड़ा क्षेत्र में शनिवार को हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड की ओर से क्षेत्र में लगे सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से हिंदुस्तान जिंक प्लांट तक पानी ले जाने के लिए बिछाई जा रही करीब 4 किलोमीटर लंबी पाइप लाइन का क्षेत्रवासियों ने जम कर विरोध किया.
क्षेत्रवासियों का आरोप है कि 2011 में शुरू हुए इस ट्रीटमेंट प्लांट के लगने के बाद से अभी तक जिंक की ओर से भोईखेड़ा क्षेत्र की सुध नहीं ली गई है. साथ ही उनका कहना है कि पानी का संकट गहराने लगा है तो जिंक प्रशासन को रूडीफ की ओर से बनाए गए इस ट्रीटमेंट प्लांट के पानी की याद आ गई. जानकारी मिली है कि जिला प्रशासन ने जिंक प्रशासन को घोसुंडा बांध से मिलने वाले पानी की मात्रा को कम कर दिया है. क्षेत्रवासियों ने आरोप लगाया है कि जिंक प्रशासन को कई बार क्षेत्र के विकास के लिए आग्रह गया था, लेकिन प्रशासन ने इसको गंभीरता से नहीं लिया. अब जबकि जिंक प्लांट को पानी की आवश्यकता है तो अब क्षेत्रवासी इसका विरोध कर रहे हैं.