ETV Bharat / state

सिस्टम की खुल रही परतें, पुलिस ने भांजी लाठियां तो हाइवे पर भटक रहे यूपी के श्रमिक

चित्तौड़गढ़ में एक तस्वीर सामने आई है, जहां घरों की ओर पैदल लौट रहे मजबूर मजदूरों को शरण मांगने पर लाठियां मिली. इन्हें शरण देने की बात कही, उस जगह पर इंतजामों के नाम पर ताले लगे मिले. ऐसे सरकार की मंशा पर पानी फिरता दिख रहा है.

चित्तौड़गढ़ न्यूज, राजस्थान न्यूज, कोरोना वायरस
हाईवे पर भटक रहे यूपी के श्रमिक
author img

By

Published : Apr 2, 2020, 9:14 PM IST

चित्तौड़गढ़. सरकार भले ही किसी को भूखा नहीं सोने देने की बात कह रही है और इसके लिए इंतजाम करने की बात कह रही है, लेकिन जिस सिस्टम के जरिए इंतजाम किए जा रहे हैं उसको दीमक लग चुकी है. इस सरकारी सिस्टम में मानवीय संवेदना है जो खत्म हो चुकी है. ऐसी ही तस्वीर चित्तौड़गढ़ में सामने आई है, जहां घरों की ओर पैदल लौट रहे मजबूर मजदूरों को शरण मांगने पर लाठियां मिली. इन्हें शरण देने की बात कही, उस जगह पर इंतजामों के नाम पर ताले लगे मिले. ऐसे में इस तरह के हालात सरकार की मंशा पर पानी फिर रहा है.

हाईवे पर भटक रहे यूपी के श्रमिक

जानकारी के अनुसार प्रदेश की सरकार लगातार यह दावे कर रही है कि लॉकडाउन में किसी को भूखा नहीं सोने दिया जाएगा. किसी को लॉकडाउन के दौरान रहने व खाने की समस्या नहीं होगी, लेकिन प्रशासन के रवैया के चलते सरकार की मंशा पर पानी फिरता दिख रहा है. लॉकडाउन के बाद अहमदाबाद में काम कर रहे उत्तरप्रदेश के बरेली के लोगों को उनके मालिक ने काम से निकाल दिया.

साप्ताहिक आधार पर काम करने वाले इन लोगों ने अपना पैसा परिवार वाले खातों में जमा करा दिया. इसी दौरान लॉकडाउन हो गया और यह जैसे-तैसे गुजरात से राजस्थान सीमा में आ गए और जब यह सीमाओं में पहुंचे तो सरकारों ने बॉर्डर सील के आदेश दे दिए. इसका परिणाम हुआ कि अब यह लोग चितौड़गढ़ जिले में फंस कर रह गए हैं. दो दिन पहले इन लोगों को बस्सी से ले जाकर झांतलामाता में छोड़ा गया, लेकिन वहां कतिपय लोगों ने उन्हें रहने नहीं दिया.

जैसे-तैसे पांडोली गांव के बाहर इन्होंने रात गुजारी, लेकिन बुधवार सुबह पुलिस मौके पर पहुंच गई और लाठियां भाज कर इन्हें वहां से भगा दिया. इनकी सुनवाई करने न तो कोई प्रशासनिक अधिकारी आया ना ही कोई जनप्रतिनिधि. यह लोग पैदल-पैदल फिर वहां से रवाना हुए जहां गंगरार में इन्हें खाना नसीब हुआ और फिर वहां से पैदल 40 किलोमीटर का सफर तय कर पुनः बस्सी पहुंचे.

पढ़ेंः लॉक डाउन: जयपुर में दुकानों और मंडियों में अभी भी जनता की भीड़ उमड़ रही

यहां पुलिस ने जिले की सीमा से बाहर निकलने से मना करते हुए सरकारी स्कूलों में ठहरने के आदेशों की बात कह बस्सी के राजकीय विद्यालय में भेज दिया. बुधवार शाम जब इनमें से चार-पांच लोग बस्सी विद्यालय में पहुंचे तो वहां हालात और बदतर मिले. सरकार ने जहां 50 किलो आटा और खाने के इंतजाम 24 घंटे उपलब्ध कराने के निर्देश दिए. वहीं मौके पर शौचालय तक के ताला लगा मिला.

बाद में जब उच्च अधिकारी से संपर्क किया तो येन केन प्रकारेण स्कूल के ताले खुले और बड़ी बात ये रही कि वहां तैनात स्कूल प्रभारी भी 2 घंटे तक स्कूल में किसी के नहीं होने के बावजूद खुद को भोजन की व्यवस्था में व्यस्त बता कर मौके से नदारद मिल. उच्चाधिकारियों से संपर्क के बाद जब विद्यालय पहुंचे व खाने के लिए भामाशाहओं का इंतजार था.

पढ़ेंः राजस्थान में 450 तबलीगी जमात के लोगों को चिह्नित कर किया गया क्वॉरेंटाइन

ऐसे में साफ है कि कितने ही सरकार प्रयास करें लेकिन सिस्टम में लगी लापरवाही की, दीमक सरकार की योजनाओं को खोखला कर रही है और जिसका परिणाम गरीब मजदूर तबके को पुलिस की लाठियां खाकर भुगतना पड़ रहा है. वहीं प्रशासनिक अधिकारी गैर जिम्मेदार रवैया अपनाए हुए है.

चित्तौड़गढ़. सरकार भले ही किसी को भूखा नहीं सोने देने की बात कह रही है और इसके लिए इंतजाम करने की बात कह रही है, लेकिन जिस सिस्टम के जरिए इंतजाम किए जा रहे हैं उसको दीमक लग चुकी है. इस सरकारी सिस्टम में मानवीय संवेदना है जो खत्म हो चुकी है. ऐसी ही तस्वीर चित्तौड़गढ़ में सामने आई है, जहां घरों की ओर पैदल लौट रहे मजबूर मजदूरों को शरण मांगने पर लाठियां मिली. इन्हें शरण देने की बात कही, उस जगह पर इंतजामों के नाम पर ताले लगे मिले. ऐसे में इस तरह के हालात सरकार की मंशा पर पानी फिर रहा है.

हाईवे पर भटक रहे यूपी के श्रमिक

जानकारी के अनुसार प्रदेश की सरकार लगातार यह दावे कर रही है कि लॉकडाउन में किसी को भूखा नहीं सोने दिया जाएगा. किसी को लॉकडाउन के दौरान रहने व खाने की समस्या नहीं होगी, लेकिन प्रशासन के रवैया के चलते सरकार की मंशा पर पानी फिरता दिख रहा है. लॉकडाउन के बाद अहमदाबाद में काम कर रहे उत्तरप्रदेश के बरेली के लोगों को उनके मालिक ने काम से निकाल दिया.

साप्ताहिक आधार पर काम करने वाले इन लोगों ने अपना पैसा परिवार वाले खातों में जमा करा दिया. इसी दौरान लॉकडाउन हो गया और यह जैसे-तैसे गुजरात से राजस्थान सीमा में आ गए और जब यह सीमाओं में पहुंचे तो सरकारों ने बॉर्डर सील के आदेश दे दिए. इसका परिणाम हुआ कि अब यह लोग चितौड़गढ़ जिले में फंस कर रह गए हैं. दो दिन पहले इन लोगों को बस्सी से ले जाकर झांतलामाता में छोड़ा गया, लेकिन वहां कतिपय लोगों ने उन्हें रहने नहीं दिया.

जैसे-तैसे पांडोली गांव के बाहर इन्होंने रात गुजारी, लेकिन बुधवार सुबह पुलिस मौके पर पहुंच गई और लाठियां भाज कर इन्हें वहां से भगा दिया. इनकी सुनवाई करने न तो कोई प्रशासनिक अधिकारी आया ना ही कोई जनप्रतिनिधि. यह लोग पैदल-पैदल फिर वहां से रवाना हुए जहां गंगरार में इन्हें खाना नसीब हुआ और फिर वहां से पैदल 40 किलोमीटर का सफर तय कर पुनः बस्सी पहुंचे.

पढ़ेंः लॉक डाउन: जयपुर में दुकानों और मंडियों में अभी भी जनता की भीड़ उमड़ रही

यहां पुलिस ने जिले की सीमा से बाहर निकलने से मना करते हुए सरकारी स्कूलों में ठहरने के आदेशों की बात कह बस्सी के राजकीय विद्यालय में भेज दिया. बुधवार शाम जब इनमें से चार-पांच लोग बस्सी विद्यालय में पहुंचे तो वहां हालात और बदतर मिले. सरकार ने जहां 50 किलो आटा और खाने के इंतजाम 24 घंटे उपलब्ध कराने के निर्देश दिए. वहीं मौके पर शौचालय तक के ताला लगा मिला.

बाद में जब उच्च अधिकारी से संपर्क किया तो येन केन प्रकारेण स्कूल के ताले खुले और बड़ी बात ये रही कि वहां तैनात स्कूल प्रभारी भी 2 घंटे तक स्कूल में किसी के नहीं होने के बावजूद खुद को भोजन की व्यवस्था में व्यस्त बता कर मौके से नदारद मिल. उच्चाधिकारियों से संपर्क के बाद जब विद्यालय पहुंचे व खाने के लिए भामाशाहओं का इंतजार था.

पढ़ेंः राजस्थान में 450 तबलीगी जमात के लोगों को चिह्नित कर किया गया क्वॉरेंटाइन

ऐसे में साफ है कि कितने ही सरकार प्रयास करें लेकिन सिस्टम में लगी लापरवाही की, दीमक सरकार की योजनाओं को खोखला कर रही है और जिसका परिणाम गरीब मजदूर तबके को पुलिस की लाठियां खाकर भुगतना पड़ रहा है. वहीं प्रशासनिक अधिकारी गैर जिम्मेदार रवैया अपनाए हुए है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.