चित्तौडगढ़. दुनिया भर में नोवेल कोरोना वायरस के संक्रमण और डर के चलते पर्यटन व्यवसाय पर भी प्रतिकूल असर हुआ है. आम तौर पर इन दिनों चित्तौड़ दुर्ग में पर्यटकों से गुलजार रहने वाले दुर्ग पर सन्नाटा पसरा हुआ है. करीब एक पखवाड़े से पर्यटकों की संख्या में कमी आना शुरू हो गया है. बीते सप्ताह भर से विदेशी पर्यटकों की संख्या सैकड़ा भी नहीं छू पा रही हैं.
जानकारी के अनुसार कोरोना वायरस का असर लगभग सभी क्षेत्रों में देखने को मिल रहा है. दुर्ग के महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों पर जहां भारी भीड़ देखी जाती है, वहीं इन दिनों इक्के-दुक्के लोग या स्थानीय गाइड और फोटोग्राफर ही नजर आ रहे हैं. बाहर से आने वाले विदेशी सैलानियों की भी संख्या में लगातार भारी कमी देखने को मिल रही है.
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अनुमान के मुताबिक इन दिनों 300 से 400 विदेशी पर्यटक प्रतिदिन दुर्ग भ्रमण करने आते हैं. इसी के विपरित शुक्रवार को 70 से 80 विदेशी पर्यटक ही दुर्ग पर पहुंचे. खास तौर पर विदेशी सैलानियों के साथ देशी सैलानियों की संख्या में भी कमी हैं, जिसने पर्यटन व्यवसाय की कमर तोड़ कर रख दी है.
पर्यटन क्षेत्र में काम करने वाले गाइड और व्यवसाय से जुड़े अन्य लोगों का कहना है कि पिछले एक सप्ताह में पर्यटकों की संख्या में भारी कमी देखने को मिली है, जहां इन दिनों सैलानियों के आने के कारण गाइड, फोटोग्राफर, हैण्डीक्राफ्ट, ऑटो संचालक, होटल और रेस्टोरेंट व्यवसायी अच्छा-खासा कारोबार कर लेते थे. वहीं इस बार कोरोना ने पर्यटकों की संख्या में कमी ला दी है.
दुर्ग पर पर्यटन क्षेत्र में काम करने वाले लोगों ने बताया कि सामान्य दिनों की अपेक्षा पर्यटकों की संख्या एक चौथाई से भी कम रह गई है, जिसके चलते इस व्यवसाय से जुड़े लोग हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं. कुछ लोगों का ये भी मानना है कि देशी सैलानियों की संख्या में कमी आने का एक कारण बोर्ड की परीक्षाएं भी है, लेकिन पिछले दो-तीन साल के आंकड़ों के मुकाबले इन दिनों पर्यटकों में भारी कमीं आई है.
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इधर, जानकारी मिली है कि कोरोना वायरस के संक्रमण के भय के चलते बाहर से आने वाले कई सैलानियों ने अपनी टिकट भी कैंसिल करवा ली है. वहीं, कई बुकिंग निरस्त कर दी गई है, जिसके कारण इस व्यवसाय से जुड़े लोगों को लाखों रुपए का नुकसान झेलना पड़ रहा हैं. चित्तौडगढ़ के साथ ही आस-पास के पर्यटनस्थलों पर भी पर्यटकों की संख्या कम होती जा रही हैं.