चित्तौड़गढ़. कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए राज्य सरकार की ओर से पिछले 2 महीनों से जन अनुशासन पखवाड़ा (लॉकडाउन) लागू है. जिसके वजह से चित्तौड़ दुर्ग पर देसी और विदेशी पर्यटकों की आवाजाही भी बिल्कुल बंद हो गई. इसके कारण दुर्ग पर हजारों की संख्या में बंदरों सहित कई अन्य वन्यजीवों के जीवन पर भी संकट आ खड़ा हुआ है. ऐसे में शहर की कई समाजसेवी संस्थाएं, इन वन्यजीवों के लिए दाना-पानी की व्यवस्था कर रही है. इसमें रविवार को चतुर्वेदी नवयुवक मंडल के कार्यकर्ताओं ने दुर्ग पर वन्यजीवों को एक क्विंटल आटे की बाटियां बना कर खिलाई.
चित्तौड़गढ़ में पिछले 2 माह से जारी लॉकडाउन के चलते चित्तौड़ दुर्ग पर हजारों की संख्या में वन्य जीवों के भूखे मरने की नौबत आ गई है. इसका प्रमुख कारण राज्य सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन के अनुसार जिले की सभी सीमाओं को सील कर दिया गया है. इससे देशी और विदेशी पर्यटकों की आवाजाही बिल्कुल बंद हो गई है. इसी कारण दुर्ग पर निवास कर रहे वन्यजीवों के खाने का भी अब संकट दिखाई देने लगा है.
हालांकि, स्थानीय स्तर पर कई समाजसेवी संस्थाएं इन वन्य जीवों के भोजन की व्यवस्था करने में आगे आना शुरू हो गये हैं. अलग-अलग समाज व संस्थाएं तो कई लोग निजी स्तर पर भी सेवा कार्यों में जुटे हैं. रविवार को चतुर्वेदी नवयुवक मंडल की ओर से दुर्ग के बंदरों, गाय और अन्य वन्यजीवों को खाना खिलाई गई.
इसकी जानकारी देते हुए नवयुवक मंडल के सदस्य रवि चतुर्वेदी ने बताया कि वर्तमान में दुर्ग पर निवास कर रहे वन्य जीवों के भोजन का संकट आ खड़ा हुआ है. इसी को लेकर प्रत्येक सप्ताह के रविवार को इन वन्यजीवों के लिए अलग-अलग खाद्य सामग्री यहां पर उपलब्ध कराई जा रही है और आगे भी यह क्रम जारी रहेगा.