ETV Bharat / state

पौराणिक ज्ञान की दृष्टि से मठ भारत की सांस्कृतिक विरासत: प्रो. अमेरिका सिंह - मोहनलाल सुखाड़िया यूनिवर्सिटी में सेमिनार

मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के प्रो. अमेरिका सिंह ने कहा कि वैदिक एवं पौराणिक ज्ञान की दृष्टि से हमारे प्राचीनतम मठ भारत की सांस्कृतिक विरासत है. प्रो. सिंह श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय एवं भारतीय दर्शन अनुसंधान परिषद शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार के संयुक्त तत्वाधान में वैदिक विश्वविद्यालय निंबाहेड़ा के सभागार में भारतीय दर्शन के लिए मठों के योगदान विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे.

Prof America Singh lecture, seminars at Mohanlal Sukhadia University
पौराणिक ज्ञान की दृष्टि से मठ भारत की सांस्कृतिक विरासत
author img

By

Published : Feb 23, 2021, 3:31 PM IST

चित्तौड़गढ़. मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के प्रो. अमेरिका सिंह ने कहा कि वैदिक एवं पौराणिक ज्ञान की दृष्टि से हमारे प्राचीनतम मठ भारत की सांस्कृतिक विरासत है. प्रो. सिंह श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय एवं भारतीय दर्शन अनुसंधान परिषद शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार के संयुक्त तत्वाधान में वैदिक विश्वविद्यालय निंबाहेड़ा के सभागार में भारतीय दर्शन के लिए मठों के योगदान विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे.

उन्होंने भारत में मठों और मंदिरों को धार्मिक केन्द्र की बजाय आध्यात्मिक उर्जा के स्त्रोत एवं आत्मीय उर्जा के पर्याय बताते हुए कहा कि यदि भारत में मठ और मंदिर नहीं होते तो भारत की पहचान अथवा भारत का अस्तित्व भी नहीं होता. उन्होंने प्रदेश के एक मात्र वैदिक विश्वविद्यालय की परिकल्पना को अनूठा बताते हुए प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों के उपकुलपतियों एवं विद्वानों का आह्वान किया कि वे लुप्त होती वैदिक संस्कृति को जीवंत बनाने और वेदों में निहित विज्ञान को शोध के माध्यम से प्रकट कर भारत को एक बार फिर विश्वगुरू बनाने की ओर अग्रसर इस विश्वविद्यालय को हरसंभव योगदान कर पल्लवित एवं पुष्पित करने में कोई कोर कसर नहीं रखे. उन्होंने विश्वास दिलाया कि वे इस विश्वविद्यालय को वैदिक ज्ञान का उर्जा केन्द्र बनाने में अपनी ओर से हरसंभव प्रयास करेंगे. उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय अधिष्ठाता ठाकुर श्री कल्लाजी की वैदिक शिक्षा की यह परिकल्पना सभी के सहयोग से शीघ्र ही साकार होकर वैदिक मानचित्र पर अपनी छाप छोड़ेगी.

सत्राध्यक्ष वड़ोदरा महाराजा सय्याजी राव विश्वविद्यालय के प्रो. रविन्द्र कुमार पण्डा ने भारतीय मठ परंपरा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मठों के माध्यम से ही भारत में वैदिक ज्ञान परंपरा जीवंत रही. सुखाड़िया विश्वविद्यालय के संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रो. नीरज शर्मा ने कहा कि मठ ऐसे पावर हाउस हैं, जो शास्त्र संरक्षण की दृष्टि से प्रकाश पुंज की तरह प्रयासरत रहे हैं. उन्होंने कहा कि मनुष्य का अस्तित्व कर्म के बिना संभव नहीं है. उन्होंने मन के दो भेद बताते हुए कहा कि ज्ञान, कर्म, भक्ति के द्वारा ब्रम्ह प्राप्ति संभव है.

पढ़ें- किसानों के समर्थन में उतरी अब प्रदेश महिला कांग्रेस, 28 फरवरी को शाहजहांपुर बॉर्डर पर देंगी धरना

उन्होंने बताया कि मठों के द्वारा ही दर्शन शास्त्र, विचार तथा वेद अध्यावधि सुरक्षित है, वहीं भारतीय ज्ञान ही हमारी निधि है. तकनीकी विज्ञान के होने से वेदों का प्रचार प्रसार होना आज सुलभ हुआ है. प्राच्य विद्याय मंदिर बडोदरा विश्वविद्यालय की डाॅ. श्वेता प्रजापति ने कहा कि पाण्डुलिपियों के द्वारा ही हमारी शास्त्र परंपरा सुरक्षित रही है और ये पाण्डुलिपियां मठों और मंदिरों से ही प्राप्त की जा सकती है. उन्होंने कहा कि शंकराचार्य ने 4 मठों के द्वारा धर्म रक्षा के साथ साथ शास्त्र की रक्षा की. उन्होंने गुजरात में मठों की स्थिति पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आधुनिक मठों में स्वामीनारायण ईस्कोन की गणना की जा सकती है.

प्रो. सुरेन्द्र मोहन मिश्रा ने इस विश्वविद्यालय के विस्तार को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि वैदिक ज्ञान परंपरा में रुचि रखने वाले इस विश्वविद्यालय को पुष्ट करने में हर संभव योगदान करना चाहिए. उन्होंने जगन्नाथ पुरी में वेद विद्या केन्द्र की स्थापना की आवश्यकता बताते हुए बुद्ध प्रज्ञा धाम आदि विषयों पर अपने विचार व्यक्त किए. उन्होंने बताया कि प्राचीनकाल में 12 कुंभ लगते थे, लेकिन बाद में ये संख्या 4 तक रह गई. प्रारंभ में आगंतुक अतिथियों ने विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता ठाकुर श्री कल्लाजी एवं ज्ञान की देवी सरस्वती की पूजा अर्चना की.

वैदिक ज्ञान एवं आध्यात्मिक उर्जा का प्रमुख केन्द्र होगा: कोठारी

वनवासी कल्याण परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे एवं इनिशिएटिव फाॅर मोरल कल्चर ट्रेनिंग फाउण्डेशन एवं हिन्दू स्प्रिचुअल सोसायटी फाउण्डेशन के राष्ट्रीय संयोजक गुणवंत सिंह कोठारी ने कहा कि उत्तर भारत में शक्ति और भक्ति की पावन धरा मेवाड़ की ह्दयस्थली पर स्थापित श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय अपनी परिकल्पना को साकार करते हुए देश का वैदिक ज्ञान और आध्यात्मिक उर्जा का प्रमुख केन्द्र होगा. कोठारी विश्वविद्यालय परिसर का भ्रमण करने के पश्चात यहां आयोजित संगोष्ठी में भागीदार निभाने आए विद्वानों से चर्चा कर रहे थे.

उन्होंने विश्वविद्यालय के हरभवन को वास्तु की दृष्टि से स्वास्तिक आकार देने, चारों वेद भवन के साथ ही वेदाध्ययन के प्रयासों की मुक्तकंठ से प्रशंसा करते हुए कहा कि जिस संकल्प के साथ यह विश्वविद्यालय स्थापित किया जा रहा है, उससे विश्वास किया जा सकता है कि हमारें वेदों को जन जन तक पहुंचाने में अब कोई कोर कसर नहीं रहेगी. उन्होंने यहां अध्ययनरत वेद विद्यार्थियों एवं बटुकों द्वारा वेदाध्ययन एवं ज्ञानार्जन के साथ ही इस परिसर में वेदों पर शोधार्थियों के आगमन से वेदों में निहित विज्ञान को प्रकट कर वैज्ञानिक दृष्टि से भी हम उच्चस्तर तक पहुंच सकेंगे.

चित्तौड़गढ़. मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के प्रो. अमेरिका सिंह ने कहा कि वैदिक एवं पौराणिक ज्ञान की दृष्टि से हमारे प्राचीनतम मठ भारत की सांस्कृतिक विरासत है. प्रो. सिंह श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय एवं भारतीय दर्शन अनुसंधान परिषद शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार के संयुक्त तत्वाधान में वैदिक विश्वविद्यालय निंबाहेड़ा के सभागार में भारतीय दर्शन के लिए मठों के योगदान विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे.

उन्होंने भारत में मठों और मंदिरों को धार्मिक केन्द्र की बजाय आध्यात्मिक उर्जा के स्त्रोत एवं आत्मीय उर्जा के पर्याय बताते हुए कहा कि यदि भारत में मठ और मंदिर नहीं होते तो भारत की पहचान अथवा भारत का अस्तित्व भी नहीं होता. उन्होंने प्रदेश के एक मात्र वैदिक विश्वविद्यालय की परिकल्पना को अनूठा बताते हुए प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों के उपकुलपतियों एवं विद्वानों का आह्वान किया कि वे लुप्त होती वैदिक संस्कृति को जीवंत बनाने और वेदों में निहित विज्ञान को शोध के माध्यम से प्रकट कर भारत को एक बार फिर विश्वगुरू बनाने की ओर अग्रसर इस विश्वविद्यालय को हरसंभव योगदान कर पल्लवित एवं पुष्पित करने में कोई कोर कसर नहीं रखे. उन्होंने विश्वास दिलाया कि वे इस विश्वविद्यालय को वैदिक ज्ञान का उर्जा केन्द्र बनाने में अपनी ओर से हरसंभव प्रयास करेंगे. उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय अधिष्ठाता ठाकुर श्री कल्लाजी की वैदिक शिक्षा की यह परिकल्पना सभी के सहयोग से शीघ्र ही साकार होकर वैदिक मानचित्र पर अपनी छाप छोड़ेगी.

सत्राध्यक्ष वड़ोदरा महाराजा सय्याजी राव विश्वविद्यालय के प्रो. रविन्द्र कुमार पण्डा ने भारतीय मठ परंपरा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मठों के माध्यम से ही भारत में वैदिक ज्ञान परंपरा जीवंत रही. सुखाड़िया विश्वविद्यालय के संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रो. नीरज शर्मा ने कहा कि मठ ऐसे पावर हाउस हैं, जो शास्त्र संरक्षण की दृष्टि से प्रकाश पुंज की तरह प्रयासरत रहे हैं. उन्होंने कहा कि मनुष्य का अस्तित्व कर्म के बिना संभव नहीं है. उन्होंने मन के दो भेद बताते हुए कहा कि ज्ञान, कर्म, भक्ति के द्वारा ब्रम्ह प्राप्ति संभव है.

पढ़ें- किसानों के समर्थन में उतरी अब प्रदेश महिला कांग्रेस, 28 फरवरी को शाहजहांपुर बॉर्डर पर देंगी धरना

उन्होंने बताया कि मठों के द्वारा ही दर्शन शास्त्र, विचार तथा वेद अध्यावधि सुरक्षित है, वहीं भारतीय ज्ञान ही हमारी निधि है. तकनीकी विज्ञान के होने से वेदों का प्रचार प्रसार होना आज सुलभ हुआ है. प्राच्य विद्याय मंदिर बडोदरा विश्वविद्यालय की डाॅ. श्वेता प्रजापति ने कहा कि पाण्डुलिपियों के द्वारा ही हमारी शास्त्र परंपरा सुरक्षित रही है और ये पाण्डुलिपियां मठों और मंदिरों से ही प्राप्त की जा सकती है. उन्होंने कहा कि शंकराचार्य ने 4 मठों के द्वारा धर्म रक्षा के साथ साथ शास्त्र की रक्षा की. उन्होंने गुजरात में मठों की स्थिति पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आधुनिक मठों में स्वामीनारायण ईस्कोन की गणना की जा सकती है.

प्रो. सुरेन्द्र मोहन मिश्रा ने इस विश्वविद्यालय के विस्तार को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि वैदिक ज्ञान परंपरा में रुचि रखने वाले इस विश्वविद्यालय को पुष्ट करने में हर संभव योगदान करना चाहिए. उन्होंने जगन्नाथ पुरी में वेद विद्या केन्द्र की स्थापना की आवश्यकता बताते हुए बुद्ध प्रज्ञा धाम आदि विषयों पर अपने विचार व्यक्त किए. उन्होंने बताया कि प्राचीनकाल में 12 कुंभ लगते थे, लेकिन बाद में ये संख्या 4 तक रह गई. प्रारंभ में आगंतुक अतिथियों ने विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता ठाकुर श्री कल्लाजी एवं ज्ञान की देवी सरस्वती की पूजा अर्चना की.

वैदिक ज्ञान एवं आध्यात्मिक उर्जा का प्रमुख केन्द्र होगा: कोठारी

वनवासी कल्याण परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे एवं इनिशिएटिव फाॅर मोरल कल्चर ट्रेनिंग फाउण्डेशन एवं हिन्दू स्प्रिचुअल सोसायटी फाउण्डेशन के राष्ट्रीय संयोजक गुणवंत सिंह कोठारी ने कहा कि उत्तर भारत में शक्ति और भक्ति की पावन धरा मेवाड़ की ह्दयस्थली पर स्थापित श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय अपनी परिकल्पना को साकार करते हुए देश का वैदिक ज्ञान और आध्यात्मिक उर्जा का प्रमुख केन्द्र होगा. कोठारी विश्वविद्यालय परिसर का भ्रमण करने के पश्चात यहां आयोजित संगोष्ठी में भागीदार निभाने आए विद्वानों से चर्चा कर रहे थे.

उन्होंने विश्वविद्यालय के हरभवन को वास्तु की दृष्टि से स्वास्तिक आकार देने, चारों वेद भवन के साथ ही वेदाध्ययन के प्रयासों की मुक्तकंठ से प्रशंसा करते हुए कहा कि जिस संकल्प के साथ यह विश्वविद्यालय स्थापित किया जा रहा है, उससे विश्वास किया जा सकता है कि हमारें वेदों को जन जन तक पहुंचाने में अब कोई कोर कसर नहीं रहेगी. उन्होंने यहां अध्ययनरत वेद विद्यार्थियों एवं बटुकों द्वारा वेदाध्ययन एवं ज्ञानार्जन के साथ ही इस परिसर में वेदों पर शोधार्थियों के आगमन से वेदों में निहित विज्ञान को प्रकट कर वैज्ञानिक दृष्टि से भी हम उच्चस्तर तक पहुंच सकेंगे.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.