चित्तौड़गढ़. राजस्थान सरपंच संघ के तत्वावधान में जिले के सरपंच ने बुधवार को प्रत्येक उपखण्ड मुख्यालय पर प्रदर्शन कर उपखंड अधिकारी को राज्यपाल के नाम एक ज्ञापन सौंपा. इस ज्ञापन में राज्य सरकार की और से 73वें संविधान संशोधन की अवहेलना कर प्रदेश की पंचायतीराज संस्थाओं को प्रशासनिक और आर्थिक रूप से विकलांग बनाने का विरोध किया है.
इसी क्रम में चित्तौड़गढ़ उपखण्ड मुख्यालय पर भी प्रदर्शन हुआ. साथ ही सरपंच संघ के पदाधिकारियों ने विधानसभा घेराव की भी चेतावनी दी है. जानकारी के अनुसार चित्तौड़गढ़ जिला मुख्यालय पर जिले के सरपंचों ने उपखंड अधिकारी को एक ज्ञापन सौंपा. इसमें कहा गया है कि ग्राम पंचायतों के 5 वर्ष के कार्यकाल के पूर्व निर्वाचन प्रक्रिया को संपादन करने कि राज्य सरकार की बाध्यता को लागू किया गया है, जिसका राज्य सरकार की ओर से स्पष्ट रूप से उल्लंघन कर पंचायती राज संस्थाओं पर प्रशासकों की नियुक्ति की गई है.
वही सरपंचों ने ज्ञापन में बताया कि 5वें वित्त आयोग का कार्यकाल मार्च 2020 में समाप्त हो जाने के बाद भी बुधवार तक छठे राज्य वित्त आयोग का गठन नहीं किया गया है, जो राज्य सरकार की संवैधानिक व्यवस्था को दर्शा रहा है. सभी सरपंचों ने राज्यपाल से अनुरोध किया है कि संविधान की रक्षा करने के लिए राज्य सरकार की संवैधानिक विफलता पर उचित हस्तक्षेप कर छठे राज्य वित्त आयोग का गठन करने के साथ ही प्रदेश के 12 जिलों में पंचायत राज और जिला परिषद की आज दिनांक तक लंबित निर्वाचन प्रक्रिया को अतिशीघ्र पूर्ण करवाने के लिए निर्देशित किया जाए.
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वहीं इसकी जानकारी देते हुए सरपंच संघ के जिलाध्यक्ष गणेशलाल साहू ने बताया कि अगर सरकार उनकी मांगों को नहीं मानती है, तो यह आंदोलन जारी रहेगा. विधानसभा का भी घेराव करेंगे. उन्होंने बताया कि अभी सभी सरपंच राज्य सरकार की नीति का विरोध और बहिष्कार कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि जब तक सरकार उनकी मांगों को नहीं मानती है तब तक यह बहिष्कार जारी रहेगा. इस अवसर पर सरपंच संघ जिला अध्यक्ष गणेशलाल साहू, धनेत कला सरपंच रणजीतसिंह भाटी, विजयपुर सरपंच श्यामलाल शर्मा, सेमलिया किशन शर्मा, किशन लाल रेगर सहित कई अन्य सरपंच भी मौजूद रहे.