चित्तौड़गढ़. केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने अफीम काश्त वर्ष 2021-2022 अफीम नीति घोषित की है. नई अफीम नीति से राज्य के किसानों को कुछ राहत मिली है. नई नीति में मार्फिन को ही पट्टे का आधार रखा गया है, लेकिन इसमें एक नया प्रावधान काश्तकारों के लिए राहत भरा कदम हो सकता है.
इसके तहत पिछले 2 साल में मार्फिन की निर्धारित मात्रा देने वाले काश्तकारों के लाइसेंस बहाल होंगे. इस नए प्रावधान से हजारों काश्तकारों के लाइसेंस बहाल होने की संभावना है.हालांकि अन्य प्रावधान पूर्व नीतियों के अनुरूप ही रखे गए हैं.
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नई नीति के अंतर्गत रखे गए प्रावधानों को लेकर किसानों में उत्पन्न भ्रांतियों को दूर करने के लिहाज से नारकोटिक्स अधिकारियों ने अफीम नीति के एक नए प्रावधान पर स्थिति स्पष्ट की है. अधिकारियों के अनुसार 2a(1) के अंतर्गत अफीम काश्त साल 2019-20 और 2020-21 के दौरान यदि किसी कास्तकार की मार्फिन औसत 3.7 से अधिक रही है तो ऐसे काश्तकारों के लाइसेंस बहाल होंगे. इसके साथ ही उन्हें कुछ अन्य शर्तों की भी पालना करनी होगी.
किसानों को 6 आरी के पट्टे मिलेंगे
नई नीति के अनुसार 4.2 से अधिक परंतु 5 एमक्यूवाईएम औसत वाले किसानों को 6 आरी के पट्टे मिलेंगे. वहीं 5 से अधिक लेकिन 5.9 एमक्यूवाईएम औसत वाले काश्तकारों को 10 तथा इससे अधिक मार्फिन वाले किसानों को 12 आरी कास्ट के पट्टे जारी किए जाएंगे. इसके अलावा 10 आरी तक एक और 12 आरी के पट्टे वाले काश्तकार 2 भूखंडों पर खेती कर सकेंगे. इसके अतिरिक्त अन्य नियम कायदे पूर्व की नीतियों के अनुसार ही रखे गए हैं.
बता दें कि नारकोटिक्स विभाग के अधीनस्थ राजस्थान में आठ डिवीजन है. गत वर्ष प्रदेश में 30144 लाइसेंस जारी किए गए थे. जिनमें से आधे से अधिक चित्तौड़गढ़ जिले में है. चित्तौड़गढ़ में तीन डिवीजन है जहां गत वर्ष करीब 15 हजार लाइसेंस जारी किए गए थे. इसके अलावा बेगू उपखंड क्षेत्र के काश्तकार भीलवाड़ा डिवीजन में आते हैं.
बेगू खंड में करीब 3000 काश्तकार है. इस प्रकार चित्तौड़गढ़ जिले में करीब 18000 लाइसेंस धारी काश्तकार है. इसके बाद प्रतापगढ़ जिले का नंबर आता है. जहां चित्तौड़ के बाद सबसे अधिक लाइसेंस धारी काश्तकार है. भीलवाड़ा, उदयपुर, कोटा झालावाड़ आदि में भी कुछ हिस्से पर अफीम की खेती की जाती है.