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योग और आयुर्वेद से चित्तौड़गढ़ के राजमल ने कोरोना को दी मात, किडनी ट्रांसप्लांट होने से नहीं ले सकते थे ऐलोपैथ की दवाएं

कोरोना संक्रमण काल में चित्तौड़गढ़ के युवा ने बिना किसी ऐलौपैथिक इंजेक्शन और दवाओं के कोरोना को मात दी. उन्होंने योग और आयुर्वेदिक उपचार के बल पर स्वयं को स्वस्थ कर लिया. चित्तौड़गढ़ के राजमल सुखावल ने बताया कि किडनी ट्रांसप्लांट होने के कारण वे अस्पताल में अन्य मरीजों को दी जा रही कोरोना की दवा और इंजेक्शन नहीं ले सकते थे. ऐसे में योग और आयुर्वेदिक उपचार का सहारा लिया और कोरोना को मात दी.

योग और आयुर्वेद से किया उपचार
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Published : May 14, 2021, 7:11 PM IST

चित्तौड़गढ़. मजबूत इरादे और दृढ इच्छा शक्ति हो तो इंसान हर मुश्किल का सामना आसानी से कर सकता है. चित्तौड़गढ़ में रहने वाले एक युवक जिनकी किडनी ट्रांसप्लांट की गई थी. संक्रमण के इस दौर में कोरोना के शिकार हो गए. लेकिन संतुलित भोजन, हौसले और नियमित योग की बदौलत उन्होंने कोरोना को मात दी. खास बात यह है कि किडनी ट्रांसप्लांट के कारण उन्हें कोरोना के दौरान दी जा रहीं एलोपैथ की दवाएं और इंजेक्शन भी नहीं दी जा सकती थी. ऐसे में युवक ने योग और आयुर्वेद के सहारे 30 दिन में कोरोना को हराकर जिंदगी की जंग जीत ली. इसमें परिवार का सहयोग भी काफी रहा.

पढ़ें: Rajasthan Corona Update: 14,289 नए मामले आए सामने, 155 मरीजों की मौत

जानकारी के अनुसार चित्तौडग़ढ़ जिले के बड़ोदिया ग्राम पंचायत के गांव कसाराखेड़ी गांव निवासी राजमल सुखवाल का दो साल पहले जयपुर में मां गीतादेवी की ओर से दी गई किडनी से एसएमएस हॉस्पिटल में किडनी ट्रांसप्लांट हुई थी. राजमल दो साल से बिल्कुल स्वस्थ थे और किडनी ट्रांसप्लांट होने से हर महीने जयपुर से ही जांच करवा कर दवाइयां लानी पड़ती थी. इस दौरान राजमल सुखवाल गत 12 अप्रैल क़ो जयपुर दवाई लेने गए. यहां वह कोरोना संकर्मित हो गए. घर आने के बाद 14 अप्रैल को तेज बुखार आ गया.

किडनी ट्रांसप्लांट होने की वजह से यहां की कोई दवा और इंजेक्शन नहीं दिए जा सकते थे. ऐसे में राजमल को परिवारजन जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल ले गए. यहां पर चिकित्सकों ने पहले कोरोना टेस्ट कराने को कहा. टेस्ट कराया तो रिपोर्ट पॉजिटिव आई और राजमल को आरएचयूएस में भर्ती कराया गया. यहां 5 दिन भर्ती रहने पर बुखार उतर गया और डॉक्टर ने कोई भी इंजेक्शन उन्हें लगाने से मना कर दिया. ऐसा इसलिए क्योंकि किडनी ट्रांसप्लांट होने की वजह से आठ दवाएं पहले से राजमल सुखवाल ले रहे थे. ऐसे में अतिरिक्त दवा देने से किडनी फेल होने का भी खतरा था.चिकित्सक सिर्फ पैरासीटामॉल 500 एमजी और विटामिन की गोलियां के अलावा कोई इंजेक्शन नहीं लग सकता थे. न रेमडेसिविर इंजेक्शन दिया जा सकता था.

पढ़ें: वैक्सीन का ग्लोबल टेंडर करे केंद्र सरकार, फिर चाहे पैसे लेकर दे दे राज्यों को : गोविंद सिंह डोटासरा

जयपुर में चिकित्सकों ने बढ़ाया हौसला

जयपुर चिकित्सालय में भर्ती रहने के दौरान राजमल ने देखा कि हॉस्पिटल में हर आधे घंटे मे मरीज की मौत हो जा रही थी. ऐसे हालत में राजमल का बिना पीपीई किट पहन कर उपचार कर रहे चिकित्सकों ने उनका हौसला बढ़ाया. राजमल की किडनी ट्रांसप्लांट होने की वजह से मजबूरी भी थी कि दिन में 6 लीटर पानी पीना जरूरी था. बुखार के हालत मे नाक से सुगंध नहीं आ रही थी. मुंह का स्वाद खराब हो जाने से खाने-पिने की हिम्मत नहीं होती थी. इसके बावजूद हौसला रख पानी पीया और खाना भी खाते रहे. 5 दिन बाद डॉक्टर ने डिस्चार्ज कर घर भेज दिया. चित्तौड़गढ़ से लौटते ही उनको फिर तेज बुखार आ गया लेकिन इस बार उन्होंने घर पर उपचार किया.

घर पर ही काढा पिया, योग भी किया

घर पर राजमल ने नीम पत्ति, अडूसा, लॉन्ग, काली मिर्च, सोंठ, दालचीनी और अश्वगंधा और गुड़ का काढ़ा बना कर पीते रहे. इसके अलावा नींबू पानी और फल खाए. करीब 20 दिन की इस प्रक्रिया से कोरोना पर निजात पाई. नकारात्मक विचारों को दूर रखा और गार्डन मे पौधों की देख-रेख की. इसके अलावा योग को भी दिनचर्या का हिस्सा बना लिया जिससे ऑक्सीजन लेवल कभी कम नहीं होने पाया. बीमारी की अवधि के दौरान टायफाइड व पाइल्स की समस्या के अलावा दांत दर्द की की समस्या भी हुई. लेकिन हिम्मत और नियमित योग से उन्होंने हर बीमारी से निजात पा ली.

चित्तौड़गढ़. मजबूत इरादे और दृढ इच्छा शक्ति हो तो इंसान हर मुश्किल का सामना आसानी से कर सकता है. चित्तौड़गढ़ में रहने वाले एक युवक जिनकी किडनी ट्रांसप्लांट की गई थी. संक्रमण के इस दौर में कोरोना के शिकार हो गए. लेकिन संतुलित भोजन, हौसले और नियमित योग की बदौलत उन्होंने कोरोना को मात दी. खास बात यह है कि किडनी ट्रांसप्लांट के कारण उन्हें कोरोना के दौरान दी जा रहीं एलोपैथ की दवाएं और इंजेक्शन भी नहीं दी जा सकती थी. ऐसे में युवक ने योग और आयुर्वेद के सहारे 30 दिन में कोरोना को हराकर जिंदगी की जंग जीत ली. इसमें परिवार का सहयोग भी काफी रहा.

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जानकारी के अनुसार चित्तौडग़ढ़ जिले के बड़ोदिया ग्राम पंचायत के गांव कसाराखेड़ी गांव निवासी राजमल सुखवाल का दो साल पहले जयपुर में मां गीतादेवी की ओर से दी गई किडनी से एसएमएस हॉस्पिटल में किडनी ट्रांसप्लांट हुई थी. राजमल दो साल से बिल्कुल स्वस्थ थे और किडनी ट्रांसप्लांट होने से हर महीने जयपुर से ही जांच करवा कर दवाइयां लानी पड़ती थी. इस दौरान राजमल सुखवाल गत 12 अप्रैल क़ो जयपुर दवाई लेने गए. यहां वह कोरोना संकर्मित हो गए. घर आने के बाद 14 अप्रैल को तेज बुखार आ गया.

किडनी ट्रांसप्लांट होने की वजह से यहां की कोई दवा और इंजेक्शन नहीं दिए जा सकते थे. ऐसे में राजमल को परिवारजन जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल ले गए. यहां पर चिकित्सकों ने पहले कोरोना टेस्ट कराने को कहा. टेस्ट कराया तो रिपोर्ट पॉजिटिव आई और राजमल को आरएचयूएस में भर्ती कराया गया. यहां 5 दिन भर्ती रहने पर बुखार उतर गया और डॉक्टर ने कोई भी इंजेक्शन उन्हें लगाने से मना कर दिया. ऐसा इसलिए क्योंकि किडनी ट्रांसप्लांट होने की वजह से आठ दवाएं पहले से राजमल सुखवाल ले रहे थे. ऐसे में अतिरिक्त दवा देने से किडनी फेल होने का भी खतरा था.चिकित्सक सिर्फ पैरासीटामॉल 500 एमजी और विटामिन की गोलियां के अलावा कोई इंजेक्शन नहीं लग सकता थे. न रेमडेसिविर इंजेक्शन दिया जा सकता था.

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जयपुर में चिकित्सकों ने बढ़ाया हौसला

जयपुर चिकित्सालय में भर्ती रहने के दौरान राजमल ने देखा कि हॉस्पिटल में हर आधे घंटे मे मरीज की मौत हो जा रही थी. ऐसे हालत में राजमल का बिना पीपीई किट पहन कर उपचार कर रहे चिकित्सकों ने उनका हौसला बढ़ाया. राजमल की किडनी ट्रांसप्लांट होने की वजह से मजबूरी भी थी कि दिन में 6 लीटर पानी पीना जरूरी था. बुखार के हालत मे नाक से सुगंध नहीं आ रही थी. मुंह का स्वाद खराब हो जाने से खाने-पिने की हिम्मत नहीं होती थी. इसके बावजूद हौसला रख पानी पीया और खाना भी खाते रहे. 5 दिन बाद डॉक्टर ने डिस्चार्ज कर घर भेज दिया. चित्तौड़गढ़ से लौटते ही उनको फिर तेज बुखार आ गया लेकिन इस बार उन्होंने घर पर उपचार किया.

घर पर ही काढा पिया, योग भी किया

घर पर राजमल ने नीम पत्ति, अडूसा, लॉन्ग, काली मिर्च, सोंठ, दालचीनी और अश्वगंधा और गुड़ का काढ़ा बना कर पीते रहे. इसके अलावा नींबू पानी और फल खाए. करीब 20 दिन की इस प्रक्रिया से कोरोना पर निजात पाई. नकारात्मक विचारों को दूर रखा और गार्डन मे पौधों की देख-रेख की. इसके अलावा योग को भी दिनचर्या का हिस्सा बना लिया जिससे ऑक्सीजन लेवल कभी कम नहीं होने पाया. बीमारी की अवधि के दौरान टायफाइड व पाइल्स की समस्या के अलावा दांत दर्द की की समस्या भी हुई. लेकिन हिम्मत और नियमित योग से उन्होंने हर बीमारी से निजात पा ली.

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