चित्तौड़गढ़. लम्बे समय से बस्सी अभ्यारण्य के लम्बित चल रहे इको सेंसेटिव जोन को घोषित करते हुए पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने वन्य जीव अभ्यारण्य बस्सी को लेकर गजट नोटिफिकेशन जारी किया. इस नोटिफिकेशन के अनुसार इको सेंसेटिव जोन की जीरो से लेकर तीन किलोमीटर की परिधि में भू-उपयोग के संबंध में प्रतिबंध रहेंगे और भू उपयोग परिवर्तन खनन, निर्माण, सड़क उद्योग आदि पर नियमानुसार प्रतिबंध रहेगा.
वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी की गई अधिसूचना में बताया कि बस्सी वन्य जीव अभ्यारण्य की पारिस्थितिकी संवेदी जोन की चारों दिशाओं में सीमाएं तय की गई हैं. जो कि उत्तर की ओर मेघपुरा चौराहे से पारसोली गांव डिस्पेंसरी तक अवस्थित है. जिसमें पारिस्थितिकी सेंवदी जोन बिन्दु 7 तक है. इसकी सीमा अमरपुरा ग्रेवल सड़क से एनएच 76 पर नाले पर बना पुल, अमरपुरा ग्राम ग्रेवल सड़क के निकट नाला और पारसोली ग्राम फतहपुर सड़क तक है.
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इन क्षेत्रों को किया गया शामिल
पूर्व दिशा में बस्सी वन्य जीव अभ्यारण्य के नाल चौराहे से मुरोली घट्टावच तिराहा शामिल किया गया है. दक्षिण में इस अभ्यारण्य की सीमा में मध्यप्रदेश राज्य का दो किलोमीटर लम्बाई का क्षेत्र शामिल है. बस्सी वन्य जीव अभ्यारण्य की सीमा से प्रारंभ होकर राजस्थान के कुंथाली गांव का सम्पूर्ण क्षेत्र, मध्यप्रदेश के माताजी का खेड़ा से राजस्थान के देवडूंगरी गांव को शामिल किया है. वहीं, पश्चिमी सीमा बिजयपुर बस्सी सड़क के साथ बस्सी वन्य जीव अभ्यारण्य से देवडूंगरी गांव के बीच के क्षेत्र से शुरु होकर केलझर तक पारस्थितिकी संवेदी जोन की सीमा को शामिल किया गया है. इस प्रकार इस अभ्यारण्य के पारस्थितिकी संवेदी जोन का तय कर दिया गया है.
भू उपयोग परिवर्तन पर लागू होंगे नियम
वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा तय किये गये इको सेंसेटिव जोन में वनों, उद्यान, कृषि क्षेत्रों, मनोरंजन के प्रयोजन के लिए चिन्हित किये गये पार्कों का वाणिज्यिक या आवासीय या औद्योगिक कार्यों के लिए भू उपयोग परिवर्तन नहीं हो पायेगा. लेकिन सक्षम प्राधिकारी के पूर्व अनुमोदन से सड़कों की चौड़ाई बढ़ाने, बुनियादी ढांचों के नवीनकरण, प्रदूषण न उत्पन्न करने वाले उद्योग, सुविधाजनक भंडार, ग्रामीण उद्योग, स्थानीय सुविधाएं, सहायक पारिस्थितिकी पर्यटन को अनुमति दी जा सकती है.