चित्तौड़गढ़. आगामी मानसून को देखते हुए वन विभाग ने पौधारोपण की तैयारियां शुरू कर दी है. विभाग ने करीब 50,000 बीघा से अधिक क्षेत्रों पर पौधारोपण का लक्ष्य रखा है. पौधों को आसानी से साइट तक पहुंचाया जा सके, इसके लिए विभाग ने नवाचार किया है. इसके तहत साइट के आस पास ही अस्थाई पौधशालाएं स्थापित की गई है. इसका फायदा ये होगा कि ट्रांसपोर्टेशन के दौरान पौधों के टूटने और क्षतिग्रस्त होने की घटना को काफी हद तक रोका जा सकेगा. इसके अलावा ये पौधे सामान्य से कई गुणा ज्यादा हाइट के होंगे.
विभाग के अनुसार वर्ष 2023-24 के लिए 13,000 हेक्टेयर क्षेत्र में पौधारोपण का प्लान तैयार किया गया. ये पौधारोपण जिले की 26 साइटों पर होगा. जिसे विभाग द्वारा अंतिम रूप दे दिया गया. हर साइट 50 हेक्टेयर की है. इस प्रकार सभी 26 साइटों पर लगभग 50,000 बीघा क्षेत्र में पौधारोपण होगाl. इन सभी साइटों पर गड्ढों की खुदाई, मिट्टी ढुलाई सहित अन्य सभी प्रबंध कर लिए गए हैं. गत वर्ष ही विभाग गड्ढों की तैयारी में जुट गया था.
उप वन संरक्षक विजय शंकर पांडेय के अनुसार नर्सरियों से साइट तक पौधे पहुंचाने के दौरान खर्चा अधिक होने के साथ-साथ पौधे क्षतिग्रस्त भी होते थे. ऐसे में इस बार नवाचार करते हुए साइट के आस पास ही अस्थाई पौधशालाएं स्थापित की गई हैं. विभाग ने 13 स्थाई तौर पर पौधशालाएं स्थापित की है जबकि अस्थाई तौर पर 9 नर्सरी साइट के आस पास खोली गई. इनमें काफी समय पहले ही उपचारित बीज से पौधे तैयार करने का काम शुरू हो गया. यहां जो पौधे तैयार किए गए हैं, वो 5 से 6 फीट के होंगे. इसके पीछे एक ही उद्देश्य है कि बारिश के दौरान जैसे ही इन पौधों का रोपण हो, कुछ समय बाद ही इनकी हाइट बढ़ जाए.
इससे वन्य जीवों द्वारा टॉप (उपरी सतह) को नुकसान पहुंचाने की आशंका भी कम होगी. वहीं पौधे बिना किसी अवरोध के बढ़ेंगे. उप वन संरक्षक के अनुसार जुलाई-अगस्त में अभियान के तौर पर पौधारोपण शुरू किया जाएगा. हालांकि जून में मानसून के आने के आसार है लेकिन दो तीन बारिश के बाद जब जमीन तर हो जाएगी तभी पौधारोपण अभियान शुरू किया जाएगा.