चित्तौड़गढ़. इस वर्ष चित्तौड़गढ़ जिले में मानसून की कम बरसात के कारण पानी की कमी है. ऐसे में गर्मी के शुरुआती दिनों में ही पानी को लेकर खींचतान चल रही है. पानी की पूर्ति के दौरान कई परिवार लापरवाही बरत रहे हैं, जिसका खामियाजा मासूमों को भुगतना पड़ रहा है. चित्तौड़गढ़ जिले में पिछले 3 दिनों में दो मासूम की पानी के टैंक में डूबने से मौत हो गई है. इन्हें जिला चिकित्सालय लाया गया था, जहां चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया था.
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जानकारी में सामने आया कि चित्तौड़गढ़ जिले के गंगरार थाना क्षेत्र में आने वाले बाणिना गांव में बुधवार सुबह हादसा हुआ है. पानी भरने के दौरान परिवार के सदस्यों ने पानी का टैंक खुला रख दिया था. ऐसे में बाणिना निवासी किशन रेगर का डेढ़ वर्ष का पुत्र विनय टैंक में जा गिरा. सुबह के समय काम में व्यस्त होने के कारण परिवार के सदस्यों को इसका ध्यान ही नहीं रहा. करीब 15 मिनट बाद जब बालक नहीं दिखा तो परिजनों ने उसकी तलाश शुरू की. वो पानी के टैंक में गिरा हुआ दिखाई दिया. इसके पिता किशन ने अपने पुत्र को निकाला. पत्नी और मां के साथ वो सीधा चित्तौड़गढ़ जिला मुख्यालय लेकर आए. यहां श्री सांवलियाजी राजकीय सामान्य चिकित्सालय में चिकित्सकों ने जांच के बाद उसे मृत घोषित कर दिया.
बताया जा रहा है कि टैंक में गिरने से मौके पर ही बच्चे की मौत हो चुकी थी. परिजनों ने करीब 15 मिनट बाद उसे टैंक से निकाला था. वहीं, इस घटना की जानकारी मिलने पर जिला चिकित्सालय की पुलिस चौकी के प्रभारी हेड कांस्टेबल कैलाशचंद मृत बालक के परिजनों से मिले. बालक के परिजनों ने किसी भी प्रकार की पुलिस कार्रवाई से इंकार कर दिया. इस पर पुलिस ने बालक के परिजनों से लिखित में रिपोर्ट ली है. बिना पोस्टमॉर्टम किए शव को परिजनों को सौंप दिया गया.
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वहीं, ये भी बताया जा रहा है कि सोमवार को भी इसी तरह का एक हादसा हुआ है. शहर के निकट स्थित बोदियाना गांव में अजीज खान का 9 साल का पुत्र कालू भी ऐसे ही खेलते समय टैंक में जा गिरा था. परिजनों को जब पता चला कि कालू टैंक में गिरा हुआ है तो उसे निकाला और जिला चिकित्सालय पहुंचाया, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी. चिकित्सकों ने जांच के बाद कालू को मृत घोषित कर दिया. इस मामले में भी परिजनों ने पुलिस कार्रवाई से इंकार कर दिया था. इस पर पुलिस ने लिखित में रिपोर्ट लेने के बाद शव परिजनों को सौंप दिया. गौरतलब है कि कई परिवारों में लोग टैंक में पानी भरने के दौरान उसका ढक्कन खुला ही रख देते हैं, जिसका खामियाजा परिवार के मासूम बच्चों को भुगतना पड़ रहा है.