चित्तौड़गढ़. शहर के निकट स्थित मानपुरा की खनन क्षेत्र की स्थिति बहुत खराब है. पहले नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश पर 292 क्वारी लाइसेंस में खनन कार्य बंद हो गया. वहीं अब कोरोना के खौफ के चलते सन्नाटा पसरा हुआ है.
काम बंद होने के वजह से यहां से बाहरी मजदूर पलायन कर चुके हैं, ऐसे में यहां काम नहीं हो रहा हैं. साथ ही माइंस और क्रेशर मालिकों का खर्चा निकलना ही भारी पड़ रहा है और यहां के व्यवसायी मायूस बैठे हुए है. वहीं लॉकडाउन में मिली छूट के बावजूद कोई काम नहीं हो रहे हैं.
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जानकारी के अनुसार चित्तौड़गढ़ के निकट मानपुरा में करीब 500 से अधिक खनन के क्वारी लाइसेंस है. यहां छोटे पत्थर व्यवसायी हैं, जो इमारती पत्थर निकालते हैं. गत फरवरी माह में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की रोक के बाद चित्तौड़गढ़ के मानपुरा में 292 पत्थर की खदानें बंद हो चुकी है. इसके पीछे तर्क दिया कि यह शहरी क्षेत्र में आता है.
ऐसे में माइंस मालिकों ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है. इसके बाद भी यहां लगभग 100 खदान चालू थी. इस वर्ष मार्च के अंतिम सप्ताह में कोरोना के चलते सरकार द्वारा लॉकडाउन किया गया. इसके बाद इन खदानों पर भी माइनिंग का कार्य बंद हो गया.
बताया जा रहा है कि यहां बड़ी संख्या में बाहरी मजदूर काम करते थे, जो यहां से पलायन कर चुके हैं. अब सरकार ने लॉकडाउन में रियायत दी है, लेकिन इसके बाद भी इन खदानों में कार्य नहीं हो रहा है. ऐसे में खदान मालिक मंदी की मार झेल रहे हैं और उनके मूल खर्चों में किसी किस्म की कमी दिखाई नहीं पड़ रही है. वहीं खदान मालिकों की आय भी बंद हो गई है.
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एनजीटी की रोक और मजदूरों के पलायन से खदानें बंद होने की परिस्थिति में खदान मालिकों का कहना है कि सरकार द्वारा उन्हें राहत दी जानी चाहिए. जानकारी मिली है कि मानपुरा सहित आस-पास के 30-40 गांवों के करीब 15 हजार श्रमिकों पर रोजगार का संकट है. वहीं यहां के माइंस मालिक भी बाहरी श्रमिकों के लौटने का इंतजार कर रहे हैं.