चितौड़गढ़. जिले में हजरत इमाम हुसैन की शहादत की याद में निकाले जाने वाले ताजिए इस बार कोरोना संक्रमण के चलते नहीं निकले. चित्तौड़गढ़ जिला कलक्टर ने इसके लिए निर्देश जारी किए थे. इसके बाद जिले के विभिन्न क्षेत्रों में ताजिए नहीं निकाले गए. इनके मुकाम पर ही जाकर लोगों ने पुष्प अर्पित कर इबादत की. इस दौरान पुलिस जाब्ता भी पहुंचा.
जानकारी के अनुसार जिले में मोहर्रम के जुलूस जिला मुख्यालय के अलावा नगरपालिका क्षेत्रों और बड़े कस्बों में निकाले जाते हैं. अलग-अलग दिवस में भी ये आयोजन होते हैं, लेकिन इस साल कोरोना संक्रमण के चलते जिला प्रशासन की ओर से जुलूस सहित अन्य धार्मिक आयोजनों पर रोक लगाई हुई है. ऐसे में किसी भी समाज और समुदाय की ओर से कोई भी धार्मिक आयोजन नहीं हो रहे हैं.
शनिवार को भी जलझूलनी एकादशी पर भगवान के बेवाण नहीं निकाले गए थे. वहीं रविवार को मोहर्रम पर ताजिया का जुलूस निकालने की भी अनुमति नहीं थी. इसके चलते कहीं भी मोहर्रम के जुलूस नहीं निकाले गए. ऐसे में इनके मुकाम के स्थान पर ही लोग इबादत के लिए पहुंचे थे.
चितौड़गढ़ शहर में इमामबाड़ा, लौहार मोहल्ला और दुर्ग से ताजिए निकाले जाते हैं. वहीं इस बार मुस्लिम समुदाय ने भी बैठक कर जिला प्रशासन के निर्देशों की पालना की. लौहार मोहल्ले में स्थित दरगाह और इमामबाड़ा में ताजियों को उनके मुकाम पर ही रखा गया, जहां पर सोशल डिस्टेंसिंग, सैनिटाइजिंग और जिला प्रशासन के निर्देशों की पालना करते हुए लोगों ने ताजियों पर पुष्प अर्पित किए. ॉ
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अब 40 दिनों तक यह अपने मुकाम पर ही रहेंगे. 40वें के दिन इनको कर्बला के लिए रवाना किया जाएगा. इधर, जिले में भदेसर उपखंड मुख्यालय पर मुहर्रम की ईबादत की गई. मदरसा सदर मुबारीक हुसैन नीलगर, मौलाना आस मोहम्मद और समाज के मोतबीरो ने सरकार की गाइड लाइन का पालन करवाया. भीड़ को एकत्रित नहीं होने दिया और मास्क लगाने को कहा. इमामबाड़ा इस बार सुनसान रहा ढोल ताशे की आवाज नहीं सुनाई दी.