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अनलॉक शुरू होते ही चार गुना लोग पहुंचे मातृकुंडिया, विधि-विधान से किया अपनों की अस्थियों का विसर्जन - चित्तौड़गढ़ न्यूज

चित्तौड़गढ़ के मातृकुंडिया में अपनों की अस्थियों के विसर्जन के लिए 500 से ज्यादा लोग अस्थि कलश लेकर पहुंचे. जहां लोगों ने विधि-विधान से अस्थियों का विसर्जन किया.

Matrikundiya of Chittorgarh, Rajasthan news
चित्तौड़गढ़ के मातृकुंडिया में 500 लोग पहुंचे
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Published : Jun 8, 2021, 10:53 PM IST

चित्तौड़गढ़. राज्य सरकार की और से शुरू किए अनलॉक-2 (Rajasthan Unlock-2)के पहले ही दिन मंगलवार को जिले के राशमी उपखंड में स्थित भगवान परशुराम की तपोस्थली और मेवाड़ के हरिद्वार के रूप में पहचान रखने वाले मातृकुंडिया में अपनों की अस्थियों के विसर्जन के लिए 500 से ज्यादा लोग अस्थि कलश लेकर पहुंचे. यह संख्या सामान्य दिनों के मुकाबले चार गुना बताई जा रही. ऐसे में मातृकुंडिया में बड़े दिनों के बाद भारी भीड़ देखने को मिली है.

कोरोना काल और इससे पहले हुई मौतों पर परिजन अस्थियां लेकर मातृकुंडिया पहुंचे थे, जिन्होंने विधि-विधान से अस्थियों का विसर्जन किया. जानकारी में सामने आया कि राशमी क्षेत्र में स्थित मेवाड़ के हरिद्वार मातृकुंडिया में भी अस्थियों का विसर्जन होता है. आम तौर पर सामान्य मृत्यु और बीमारियों के चलते मृत्यु, घटना दुर्घटना में मृत्यु होने के कारण दिवंगतों की अस्थियां लेकर परिजन मातृकुंडियां आते रहे हैं लेकिन कोरोना महामारी के कारण इस बार अस्थि विसर्जन का ग्राफ काफी बढ़ गया.

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मातृकुंडिया में लोगों की भीड़

अस्थि विसर्जन करने वाले लोग पहले से ज्यादा आए. इनमें से ज्यादातर की मौत कोरोना से होने की बात कही जा रही है. लाॅक डाउन में छूट मिलते ही मंगलवार को ही बड़ी संख्या में लोग मातृकुंडिया पहुंच गए. यहां विधि विधान से पूजा-अर्चना कर अस्थियों का विसर्जन किया गया. यहां आने वाले अधिकांश लोगों के मन में अपनों के बिछड़ने का गम, आंखों में आंसू और हाथ में अस्थियों से भरा कलश देखा गया. मातृकुंडिया में घाट के चारों तरफ नजर पड़ते ही पता चलता है कि पवित्र कुंड में अस्थियों का विसर्जन कर दान पुण्य किया.

यह भी पढ़ें. जालोर में 5 साल की बालिका की मौत मामले पर बाल आयोग ने लिया प्रसंज्ञान, जांच के आदेश

मातृकुंडिया में तीर्थपुरोहित परिवार हैं, जो अस्थि विसर्जन कराते हैं. इनका कहना है कि अभी भी सामान्य से अधिक अस्थि विसर्जन हो रहे हैं. इतनी संख्या में अस्थि विसर्जन के लिए श्रद्धालु पहले कभी नहीं पहुंचे. तीर्थपुरोहितों का कहना है कि राजस्थान में कई हिस्सों से लोग लाॅकडाउन होने के कारण अभी मेवाड़ के हरिद्वार नहीं पहुंच पाए. जब लॉक डाउन पूरी तरह से हटेगा, तब यहां अस्थि विसर्जन करने वालों की संख्या में और भी बढ़ोतरी हो जाएगी.

चित्तौड़गढ़. राज्य सरकार की और से शुरू किए अनलॉक-2 (Rajasthan Unlock-2)के पहले ही दिन मंगलवार को जिले के राशमी उपखंड में स्थित भगवान परशुराम की तपोस्थली और मेवाड़ के हरिद्वार के रूप में पहचान रखने वाले मातृकुंडिया में अपनों की अस्थियों के विसर्जन के लिए 500 से ज्यादा लोग अस्थि कलश लेकर पहुंचे. यह संख्या सामान्य दिनों के मुकाबले चार गुना बताई जा रही. ऐसे में मातृकुंडिया में बड़े दिनों के बाद भारी भीड़ देखने को मिली है.

कोरोना काल और इससे पहले हुई मौतों पर परिजन अस्थियां लेकर मातृकुंडिया पहुंचे थे, जिन्होंने विधि-विधान से अस्थियों का विसर्जन किया. जानकारी में सामने आया कि राशमी क्षेत्र में स्थित मेवाड़ के हरिद्वार मातृकुंडिया में भी अस्थियों का विसर्जन होता है. आम तौर पर सामान्य मृत्यु और बीमारियों के चलते मृत्यु, घटना दुर्घटना में मृत्यु होने के कारण दिवंगतों की अस्थियां लेकर परिजन मातृकुंडियां आते रहे हैं लेकिन कोरोना महामारी के कारण इस बार अस्थि विसर्जन का ग्राफ काफी बढ़ गया.

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मातृकुंडिया में लोगों की भीड़

अस्थि विसर्जन करने वाले लोग पहले से ज्यादा आए. इनमें से ज्यादातर की मौत कोरोना से होने की बात कही जा रही है. लाॅक डाउन में छूट मिलते ही मंगलवार को ही बड़ी संख्या में लोग मातृकुंडिया पहुंच गए. यहां विधि विधान से पूजा-अर्चना कर अस्थियों का विसर्जन किया गया. यहां आने वाले अधिकांश लोगों के मन में अपनों के बिछड़ने का गम, आंखों में आंसू और हाथ में अस्थियों से भरा कलश देखा गया. मातृकुंडिया में घाट के चारों तरफ नजर पड़ते ही पता चलता है कि पवित्र कुंड में अस्थियों का विसर्जन कर दान पुण्य किया.

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मातृकुंडिया में तीर्थपुरोहित परिवार हैं, जो अस्थि विसर्जन कराते हैं. इनका कहना है कि अभी भी सामान्य से अधिक अस्थि विसर्जन हो रहे हैं. इतनी संख्या में अस्थि विसर्जन के लिए श्रद्धालु पहले कभी नहीं पहुंचे. तीर्थपुरोहितों का कहना है कि राजस्थान में कई हिस्सों से लोग लाॅकडाउन होने के कारण अभी मेवाड़ के हरिद्वार नहीं पहुंच पाए. जब लॉक डाउन पूरी तरह से हटेगा, तब यहां अस्थि विसर्जन करने वालों की संख्या में और भी बढ़ोतरी हो जाएगी.

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