चित्तौड़गढ़. पुलिस ने किशोरी को बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया. जहां काउंसलिंग के बाद किशोरी के पिता को बुला कर बाल विवाह नहीं करने के लिए पाबन्द किया है. पुलिस थाना मंगलवाड और बाल कल्याण समिति ने बाल विवाह रुकवाया. जानकारी में सामने आया कि शुक्रवार को पुलिस थाना मंगलवाड़ में बालिका के पिता कालू लाल पुत्र करना भील ने अपनी पुत्री की गुमशुदगी का मामला दर्ज करवाया था.
पिता ने पुत्री पर आरोप लगाया कि वह घर से कहीं भाग गई है. इस पर पुलिस थाना मंगलवाड़ ने पता लगाया तो सामने आया कि नाबालिग किशोरी बुआ के लड़के के साथ इस कारण से पलायन कर रही है कि उसकी नाबालिग अवस्था में 16 वर्ष की उम्र में पिता जबरदस्ती शादी कराना चाहते हैं. इस पर बालिका को तुरंत मंगलवार थानाधिकारी विक्रम सिंह के नेतृत्व में दस्तयाब किया. उसे बाल कल्याण समिति अध्यक्ष रमेशचंद्र दशोरा के निवास पर चित्तौड़गढ़ में पेश किया. यहां बालिका की काउंसलिंग की तथा उसके कथन लिए गए.
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बालिका के साथ उसके पिता को भी बुलवाया और काउंसलिंग की. उसको कानूनी स्थिति के बारे में समझाया कि नाबालिक का विवाह करना अपराध है. काफी समझाइश के बाद बालिका का पिता सहमत हो गया कि बालिका की शादी उसके बालिग होने पर उसकी मर्जी से की जाएगी. साथ ही बाल कल्याण समिति ने बालिका के पिता का शपथ पत्र लिया तथा किशोर न्याय अधिनियम के नियम-18 के तहत घोषणा पत्र लेकर बालिका के पिता को पाबंद किया कि वह बाल विवाह नहीं कराएगा. अगर बाल विवाह कराएगा तो उसे बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के तहत उसके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी.
इससे वह सहमत हो चुका था. इस पर बालिका की मर्जी से बालिका के सर्वोत्तम हित को देखते हुए बालिका अपने पिता के देख-रेख एवं संरक्षण में रहना चाह रही थी. इसलिए बालिका को उसके पिता के साथ पुनर्वास किया गया. इस पर बालिका का बाल विवाह नहीं हो संपूर्ण कार्रवाई सुनिश्चित की गई. गौरतलब है कि राजस्थान के बाल आयोग अध्यक्ष संगीता बेनीवाल वह सदस्य शैलेंद्र पांडेय के नेतृत्व में गुरुवार को ही बाल आयोग के सख्त निर्देश थे कि जिले में बाल विवाह नहीं होने चाहिए. इस निर्देश की पालना में जिले के तमाम पुलिस अधिकारी, चाइल्ड लाइन सामाजिक कार्यकर्ता, महिला बाल विकास विभाग, आंगनवाड़ी और ग्रामीण राजकीय कर्मचारी सतर्क हैं और बाल विवाह रुकवाने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं.