ETV Bharat / state

चित्तौड़गढ़ : 292 खदानों में खनन बंद, करीब 15 हजार श्रमिकों पर रोजगार का संकट

चित्तौड़गढ़ में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के आदेश पर 292 क्वारी लाइसेंस में खनन कार्य बंद करवा दिया गया है. इससे 30-40 गांवों के करीब 15 हजार श्रमिकों पर रोजगार का संकट गहरा गया है.

rajasthan news, chittaurgarh news, राजस्थान की खबर, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल
एनजीटी के आदेश पर 292 खदानें बंद
author img

By

Published : Feb 16, 2020, 10:58 PM IST

चित्तौड़गढ़. शहर के पास स्थित मानपुरा गांव सहित आसपास की आबादी के आय का स्त्रोत ही खनन कार्य हैं. लेकिन अब इनके रोजगार पर संकट के बादल उठ खड़े हुए हैं. NGT यानि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश पर 292 क्वारी लाइसेंस में खनन कार्य तत्काल बंद कर दिया गया है. इससे मानपूरा सहित आसपास के 30-40 गांवों के करीब 15 हजार श्रमिकों पर रोजगार का संकट गहरा गया है.

एनजीटी के आदेश पर 292 खदानें बंद

565 में 292 लाइसेंस हुए रद्द...

जानकारी के मुताबिक मानपुरा क्षेत्र में कुल 565 क्वारी लाइसेंस में से 292 में खनन बंद करने के आदेश एनजीटी ने दिए हैं. इस आदेश से 292 क्वारी लाइसेंस में खनन तत्काल प्रभाव से बंद हो गया है. शेष क्वारी लाइसेंस आगे ही हैं, जिससे कि शेष लाइसेंस पर भी व्यवसायी नहीं जा पा रहे हैं. ऐसे में 565 ही क्वारी लाइसेंस पर खनन ठप हो गया है.

15 हजार श्रमिकों का छीना रोजगार...

इसके अलावा पत्थर से जुड़े अन्य व्यवसाय भी बंद पड़े हैं. ऐसे में करीब 15 हजार श्रमिकों पर व्यवसाय का संकट खड़ा हो गया है. मानपुरा सहित आस-पास के 30-40 गांवों के लोग यहां मजदूरी के लिए आते हैं. यहां तक प्रतापगढ़ जिले के मजदूर भी यहां मजदूरी करते हैं.

यह भी पढे़ं- CAA,NRC विरोध : अब झुंझुनू में शुरू हुआ '56 घंटे का शाहीन बाग'...

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल नई दिल्ली में प्रार्थना पत्र संख्या 398-2017 प्रताप भानु सिंह शेखावत, नाम खान, भूविज्ञान विभाग और अन्य मामले में बुधवार को सुनवाई हुई थी. इसके बाद एनजीटी ने अंतरिम आदेश में सर्वेयर जनरल ऑफ इंडिया की रिपोर्ट अनुसार चित्तौड़ दुर्ग की तलहटी और नगर परिषद सीमा में प्रभावशाली मानते हुए मानपुरा के 292 खदान को तुरंत प्रभाव से बंद कराने को कहा.

चित्तौड़गढ़ पत्थर उत्पादक संघ मानपूरा के अध्यक्ष खुमानसिंह ने बताया, कि मानपूरा शुरू ही से ही गांव है. पहले यह सेमपूरा ग्राम पंचायत में आती थी. पंचायत राज चुनाव से पहले ही इसका परिसीमन हुआ है. जिसके चलते मानपुरा ग्राम पंचायत बनी है. यहां सारा काम हाथ से ही होता है. यहां ईमारती पत्थर निकलते हैं, और इससे जुड़े अन्य कार्य होते हैं. यहां पट्टियों के स्टॉक के अलावा गिट्टी के केर्शर भी हैं, जो निर्माण सम्बंधित काम में आते हैं.

यह भी पढ़ें- बीकानेर: राजस्थानी भाषा की मान्यता की मांग, 21 फरवरी को राजस्थान मोट्यार परिषद देगा धरना

पदाधिकारी खटखटाएंगे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा...

एनजीटी के आदेश पर खदानों में काम बंद करवा दिया गया है. साथ ही निगरानी के लिए दो गार्ड भी तैनात कर दिए हैं. रोजगार बंद होने से हजारों लोग परेशान हैं. चित्तौड़गढ़ पत्थर उत्पादक समिति मानपूरा के पदाधिकारी भी चिंतित हैं और अब इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जाने की तैयारी कर रहे हैं. इस सम्बंध में खदान मालिक और लीज धारकों की बैठक हुई, इसमें आगामी रणनीति पर चर्चा की.

यह पहली बार नहीं है, जब मानपुरा की खदानों के बंद कराया गया हो. पहले दुर्ग को खतरा बता कर 21 अगस्त 2011 को खदानों को बंद करवा दिया गया था. करीब 17 माह खदानें बंद रहीं. समिति के पदाधिकारियों ने कानूनी लड़ाई लड़ी, तो 2013 में हाईकोर्ट के आदेश पर खदानों को फिर से शुरू किया गया.

चित्तौड़गढ़. शहर के पास स्थित मानपुरा गांव सहित आसपास की आबादी के आय का स्त्रोत ही खनन कार्य हैं. लेकिन अब इनके रोजगार पर संकट के बादल उठ खड़े हुए हैं. NGT यानि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश पर 292 क्वारी लाइसेंस में खनन कार्य तत्काल बंद कर दिया गया है. इससे मानपूरा सहित आसपास के 30-40 गांवों के करीब 15 हजार श्रमिकों पर रोजगार का संकट गहरा गया है.

एनजीटी के आदेश पर 292 खदानें बंद

565 में 292 लाइसेंस हुए रद्द...

जानकारी के मुताबिक मानपुरा क्षेत्र में कुल 565 क्वारी लाइसेंस में से 292 में खनन बंद करने के आदेश एनजीटी ने दिए हैं. इस आदेश से 292 क्वारी लाइसेंस में खनन तत्काल प्रभाव से बंद हो गया है. शेष क्वारी लाइसेंस आगे ही हैं, जिससे कि शेष लाइसेंस पर भी व्यवसायी नहीं जा पा रहे हैं. ऐसे में 565 ही क्वारी लाइसेंस पर खनन ठप हो गया है.

15 हजार श्रमिकों का छीना रोजगार...

इसके अलावा पत्थर से जुड़े अन्य व्यवसाय भी बंद पड़े हैं. ऐसे में करीब 15 हजार श्रमिकों पर व्यवसाय का संकट खड़ा हो गया है. मानपुरा सहित आस-पास के 30-40 गांवों के लोग यहां मजदूरी के लिए आते हैं. यहां तक प्रतापगढ़ जिले के मजदूर भी यहां मजदूरी करते हैं.

यह भी पढे़ं- CAA,NRC विरोध : अब झुंझुनू में शुरू हुआ '56 घंटे का शाहीन बाग'...

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल नई दिल्ली में प्रार्थना पत्र संख्या 398-2017 प्रताप भानु सिंह शेखावत, नाम खान, भूविज्ञान विभाग और अन्य मामले में बुधवार को सुनवाई हुई थी. इसके बाद एनजीटी ने अंतरिम आदेश में सर्वेयर जनरल ऑफ इंडिया की रिपोर्ट अनुसार चित्तौड़ दुर्ग की तलहटी और नगर परिषद सीमा में प्रभावशाली मानते हुए मानपुरा के 292 खदान को तुरंत प्रभाव से बंद कराने को कहा.

चित्तौड़गढ़ पत्थर उत्पादक संघ मानपूरा के अध्यक्ष खुमानसिंह ने बताया, कि मानपूरा शुरू ही से ही गांव है. पहले यह सेमपूरा ग्राम पंचायत में आती थी. पंचायत राज चुनाव से पहले ही इसका परिसीमन हुआ है. जिसके चलते मानपुरा ग्राम पंचायत बनी है. यहां सारा काम हाथ से ही होता है. यहां ईमारती पत्थर निकलते हैं, और इससे जुड़े अन्य कार्य होते हैं. यहां पट्टियों के स्टॉक के अलावा गिट्टी के केर्शर भी हैं, जो निर्माण सम्बंधित काम में आते हैं.

यह भी पढ़ें- बीकानेर: राजस्थानी भाषा की मान्यता की मांग, 21 फरवरी को राजस्थान मोट्यार परिषद देगा धरना

पदाधिकारी खटखटाएंगे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा...

एनजीटी के आदेश पर खदानों में काम बंद करवा दिया गया है. साथ ही निगरानी के लिए दो गार्ड भी तैनात कर दिए हैं. रोजगार बंद होने से हजारों लोग परेशान हैं. चित्तौड़गढ़ पत्थर उत्पादक समिति मानपूरा के पदाधिकारी भी चिंतित हैं और अब इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जाने की तैयारी कर रहे हैं. इस सम्बंध में खदान मालिक और लीज धारकों की बैठक हुई, इसमें आगामी रणनीति पर चर्चा की.

यह पहली बार नहीं है, जब मानपुरा की खदानों के बंद कराया गया हो. पहले दुर्ग को खतरा बता कर 21 अगस्त 2011 को खदानों को बंद करवा दिया गया था. करीब 17 माह खदानें बंद रहीं. समिति के पदाधिकारियों ने कानूनी लड़ाई लड़ी, तो 2013 में हाईकोर्ट के आदेश पर खदानों को फिर से शुरू किया गया.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.