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चित्तौड़गढ़: मंडी व्यापारियों के आवारा मवेशी बने सिरदर्द, उठा रहे आर्थिक नुकसान - चित्तौड़गढ़ खबर

चित्तौड़गढ़ में निम्बाहेड़ा मार्ग पर कृषि उपज मंडी के सब्जी यार्ड में व्यापारी यहां घूमने वाले मवेशियों की वजह से परेशान हैं. इन आवारा मवेशियों के कारण व्यापारियों को नुकसान भी उठाना पड़ रहा है.

परेशान मंडी व्यापारी, Market traders upset
परेशान मंडी व्यापारी
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Published : Dec 29, 2019, 8:02 PM IST

चित्तौड़गढ़. शहर में निम्बाहेड़ा मार्ग स्थित मंडी के व्यापारी आवारा मवेशियों के कारण परेशान हैं. आवारा मवेशियों के कारण व्यापारियों को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है. कई बार मंडी प्रबंधन को शिकायत के बावजूद इसकी सुनवाई नहीं हुई है और मावे की रोकथाम को लेकर कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं.

आवारा मवेशियों से परेशान मंडी व्यापारी

बता दें कि यहां मंडी के दोनों ही गेट 24 घंटे खुले रहते हैं. जिससे कि कभी भी आवारा मवेशी भीतर घुस जाते हैं. ऐसे में बड़ी संख्या के मवेशियों ने मंडी में डेरा डाल रखा है. यहां सुबह के समय सब्जी और फल मंडी लगती है. किसान आने वाली फल और सब्जियों को सड़क पर रखकर बोली लगाते हैं. जिसके चलते सड़क पर रखी फल और सब्जियों पर मवेशी मुंह मारते हैं. सब्जियां खाने के अलावा बिखेर भी देते हैं.

पढ़ें: जब भीड़ में घुसे 2 सांड तो मचा हड़कंप.....

इससे किसानों और व्यापारियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है. प्रत्येक व्यापारी ने एक कर्मचारी तो मवेशियों को भगाने के लिए ही रख रखा है. सरकार को मंडी में व्यापारियों की ओर से दिए गए टैक्स से ही आय होती है. हर माह लाखों रुपए टैक्स के लेने के बावजूद यहां व्यवस्था सुचारू नहीं हो पा रही है. मंडी के व्यापारियों ने कई बार इसकी शिकायत मंडी प्रशासन को भी की है. लेकिन मंडी प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे पा रहा है.

नियमानुसार इस मामले में नगर परिषद को लिखा जाना चाहिए. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. जानकारी में यह भी सामने आया है कि मंडी के आस-पास पशुपालक भी रहते हैं. जो अपने मवेशियों को मंडी में घुसा देते हैं. इससे मवेशी फेंकी हुई फल और सब्जी खाकर सब्जी के टोकरों में मुंह मार कर पेट भर ले.

चित्तौड़गढ़. शहर में निम्बाहेड़ा मार्ग स्थित मंडी के व्यापारी आवारा मवेशियों के कारण परेशान हैं. आवारा मवेशियों के कारण व्यापारियों को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है. कई बार मंडी प्रबंधन को शिकायत के बावजूद इसकी सुनवाई नहीं हुई है और मावे की रोकथाम को लेकर कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं.

आवारा मवेशियों से परेशान मंडी व्यापारी

बता दें कि यहां मंडी के दोनों ही गेट 24 घंटे खुले रहते हैं. जिससे कि कभी भी आवारा मवेशी भीतर घुस जाते हैं. ऐसे में बड़ी संख्या के मवेशियों ने मंडी में डेरा डाल रखा है. यहां सुबह के समय सब्जी और फल मंडी लगती है. किसान आने वाली फल और सब्जियों को सड़क पर रखकर बोली लगाते हैं. जिसके चलते सड़क पर रखी फल और सब्जियों पर मवेशी मुंह मारते हैं. सब्जियां खाने के अलावा बिखेर भी देते हैं.

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इससे किसानों और व्यापारियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है. प्रत्येक व्यापारी ने एक कर्मचारी तो मवेशियों को भगाने के लिए ही रख रखा है. सरकार को मंडी में व्यापारियों की ओर से दिए गए टैक्स से ही आय होती है. हर माह लाखों रुपए टैक्स के लेने के बावजूद यहां व्यवस्था सुचारू नहीं हो पा रही है. मंडी के व्यापारियों ने कई बार इसकी शिकायत मंडी प्रशासन को भी की है. लेकिन मंडी प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे पा रहा है.

नियमानुसार इस मामले में नगर परिषद को लिखा जाना चाहिए. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. जानकारी में यह भी सामने आया है कि मंडी के आस-पास पशुपालक भी रहते हैं. जो अपने मवेशियों को मंडी में घुसा देते हैं. इससे मवेशी फेंकी हुई फल और सब्जी खाकर सब्जी के टोकरों में मुंह मार कर पेट भर ले.

Intro:चित्तौड़गढ़। शहर में निम्बाहेड़ा मार्ग स्थित मंडी के व्यापारी आवारा मवेशियों के कारण परेशान है आवारा मवेशियों के कारण व्यापारियों को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है कई बार मंडी प्रबंधन को शिकायत के बावजूद इनकी सुनवाई नहीं हुई है और मावे की रोकथाम को लेकर कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं।Body:जानकारी के अनुसार शहर में निम्बाहेड़ा मार्ग पर कृषि उपज मंडी के सब्जी यार्ड में सब्जी व्यापारी यहां घूमने वाले मवेशियों की वजह से परेशान है। व्यापारियों को नुकसान भी उठाना पड़ रहा है। यहां मण्डी के दोनों ही गेट 24 घंटे पूरे खुले रहते है, जिससे कि कभी भी आवारा मवेशी भीतर घुस जाते है। ऐसे में बड़ी संख्या के मवेशियों ने मंडी में डेरा डाल रखा है। यहां सुबह के समय सब्जी एवं फल मंडी लगती है। किसानों की आने वाली फल एवं सब्जियों को सड़क व्यापारी की दुकान म सामने सड़क पर रख बोली लगाई जाती है। इस दौरान यहां सड़क पर रखी फल और सब्जियों पर मवेशी मुंह मारते हैं। सब्जियां खाने के अलावा बिखेर भी देते हैं। इससे किसानों और व्यापारियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। प्रत्येक व्यापारी के एक कर्मचारी तो मवेशियों को भगाने के लिए ही रख रखा। सरकार को मंडी में व्यापारियों द्वारा दिए गए टैक्स से ही आय होती है। हर माह लाखों रुपए टैक्स के लेने के बावजूद यहां व्यवस्था सुचारू नहीं हो पा रही है। मंडी के व्यापारियों ने कई बार इसकी शिकायत मंडी प्रशासन को भी की है लेकिन मंडी प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे पा रहा है। नियमानुसार इस मामले में नगर परिषद को लिखा जाना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हुवा है। जानकारी में यह भी सामने आया है कि मंडी के आस-पास पशुपालक भी रहते हैं, जो अपने मवेशियों को मंडी में घुसा देते हैं। इससे मवेशी फेंकी हुई फल व सब्जी खाकर वह सब्जी के टोपलों में मुंह मार कर पेट भर ले।Conclusion:बाइट - 01. किशोर धाकड़, मण्डी व्यापारी
02. सज्जनसिंह, अध्यक्ष सब्जी मंडी व्यापार संघ चितौड़गढ़
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