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स्पेशल: सांवलिया सेठ के भंडार पर 'लॉक', 8 करोड़ की आय प्रभावित

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Published : May 5, 2020, 6:31 PM IST

Updated : May 6, 2020, 9:32 AM IST

कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन के चलते सांवरिया सेठ की आय पर भारी असर पड़ा है. हर माह 5 करोड़ की आय मंदिर में आती थी. लेकिन एक महीने से ज्यादा समय से लॉकडाउन के चलते मंदिर के कपाट बंद हैं. ऐसे में करीब 8 करोड़ का रुपये का असर मंदिर के भंडार पर पड़ा है. देखें रिपोर्ट...

Sanwaliya Seth Temple, सांवलिया सेठ मंदिर
सांवलिया सेठ मंदिर

चित्तौड़गढ़. प्रदेश के देवस्थानों पर कोरोना का ग्रहण लगा हुआ है. चित्तौड़गढ़ के मंडफिया गांव में स्थित कृष्णधाम श्री सांवलियाजी मंदिर में भक्त दर्शन नहीं कर पा रहे हैं. लॉकडाउन के चलते लगातार दूसरी अमावस्या बिना दर्शन के निकल गई. अमावस्या पर ना ही मासिक मेले का आयोजन हुआ और ना भी भंडारे का.

इस महामारी के चलते मंदिर की आय भी प्रभावित हुई है. हर महीने मंदिर के खजाने में आने वाले 5 करोड़ रुपये के मुख्य स्त्रोत बंद हैं. कोरोना संक्रमण के खतरे के चलते करीब डेढ़ माह से अधिक समय से मंदिर के दरवाजे बंद हैं और मंदिर सूना पड़ा है. ऐसे में कोई भी श्रद्धालू सांवलिया सेठ के दर्शन के लिए नहीं जा पा रहा हैं. 19 मार्च से मंदिर भले बंद हो लेकिन नियमित पूजा पाठ जारी है.

देवस्थानों पर कोरोना का 'ग्रहण'

पढ़ें- स्पेशल: Lockdown में जयपुर का 4 हजार करोड़ का व्यापार प्रभावित, छोटे व्यापारियों पर गहराया संकट

श्री सांवलियाजी मंदिर में प्रत्येक अमावस्या को मासिक मेला लगता है. साथ ही 1 दिन पूर्व चतुर्दशी के अवसर पर भंडार खोला जाता है. प्रत्येक माह सांवलिया जी सेठ के भंडार से 4 से 5 करोड़ की राशि निकलती है. लेकिन 2 माह से भंडार नहीं खुलने के कारण आय पर फर्क पड़ा है. यहां आय का मुख्य स्रोत भंडार में आने वाला चढ़ावा है. वहीं, अब करीब आठ करोड़ का असर सांवलिया जी मंदिर के भंडार पर पड़ने की संभावना जताई जा रही है.

मंदिर की धर्मशाला से भी आय होती है, लेकिन वह कुछ खास नहीं है. इसके पीछे कारण यह है कि कमरों का किराया नाम मात्र का ही होता है. श्री सांवलियाजी मंदिर में सामान्य दिनों में भक्तों के हाथों हर दिन लाखों रुपये नगद और जेवर भेंट होने के कारण भगवान सांवरिया सेठ के नाम से प्रसिद्ध हैं. यहां कई भक्त ऐसे आते हैं, जो अपनी आय का एक निश्चित हिस्सा तक चढ़ा जाते हैं. वहीं, कई लोग मंदिर कार्यालय में चेक और ऑनलाइन भी भेंट करते हैं.

कई भक्त सोना, चांदी तो कोई वाहन तक भेंट करते हैं. ऐसे में मासिक चढ़ावा 5 से 6 करोड़ रुपए हैं. साथ ही 6 लाख रुपए धर्मशाला, गेस्ट हाउस से तथा 2 लाख रुपये दुकानों की किराया आय के रूप में होती है. कोरोना के चलते यह आय बंद हो चुकी है.

पढ़ें- Special: लॉकडाउन में महिलाओं की सेनेटरी पैड की समस्या को दूर कर रही टीम 'पैडमैन'

मदद के लिए आगे आया मंदिर प्रशासन

आपदा के इस दौर हर कोई अपने स्तर पर लोगों की मदद के लिए आगे आ रहा है. इसी कड़ी में श्री सांवलिया जी मंदिर प्रशासन भी आगे आया है. मंदिर प्रशासन की ओर से 1 करोड़ 52 लाख रुपये प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री राहत कोष में दिए गए हैं. साथ ही 3 लाख रुपए भोजन और राशन सामग्री के लिए दिए गए. इसके अलावा सांवलिया जी मंदिर की धर्मशाला में बनाए सेंटर पर भी बाहरी लोगों को रुकवाया गया है, जिनके खाने पीने की व्यवस्था भी की गई है.

वहीं, 50 लाख रुपए कर्मचारियों का वेतन और गौशाला का खर्च प्रतिमाह होता है. आय पूरी तरह से बंद होने के बावजूद मंदिर प्रशासन के पास पर्याप्त खजाना है. ऐसे में कर्मचारियों के वेतन सहित अन्य खर्च को लेकर कोई दिक्कत नहीं आनी है.

चित्तौड़गढ़. प्रदेश के देवस्थानों पर कोरोना का ग्रहण लगा हुआ है. चित्तौड़गढ़ के मंडफिया गांव में स्थित कृष्णधाम श्री सांवलियाजी मंदिर में भक्त दर्शन नहीं कर पा रहे हैं. लॉकडाउन के चलते लगातार दूसरी अमावस्या बिना दर्शन के निकल गई. अमावस्या पर ना ही मासिक मेले का आयोजन हुआ और ना भी भंडारे का.

इस महामारी के चलते मंदिर की आय भी प्रभावित हुई है. हर महीने मंदिर के खजाने में आने वाले 5 करोड़ रुपये के मुख्य स्त्रोत बंद हैं. कोरोना संक्रमण के खतरे के चलते करीब डेढ़ माह से अधिक समय से मंदिर के दरवाजे बंद हैं और मंदिर सूना पड़ा है. ऐसे में कोई भी श्रद्धालू सांवलिया सेठ के दर्शन के लिए नहीं जा पा रहा हैं. 19 मार्च से मंदिर भले बंद हो लेकिन नियमित पूजा पाठ जारी है.

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श्री सांवलियाजी मंदिर में प्रत्येक अमावस्या को मासिक मेला लगता है. साथ ही 1 दिन पूर्व चतुर्दशी के अवसर पर भंडार खोला जाता है. प्रत्येक माह सांवलिया जी सेठ के भंडार से 4 से 5 करोड़ की राशि निकलती है. लेकिन 2 माह से भंडार नहीं खुलने के कारण आय पर फर्क पड़ा है. यहां आय का मुख्य स्रोत भंडार में आने वाला चढ़ावा है. वहीं, अब करीब आठ करोड़ का असर सांवलिया जी मंदिर के भंडार पर पड़ने की संभावना जताई जा रही है.

मंदिर की धर्मशाला से भी आय होती है, लेकिन वह कुछ खास नहीं है. इसके पीछे कारण यह है कि कमरों का किराया नाम मात्र का ही होता है. श्री सांवलियाजी मंदिर में सामान्य दिनों में भक्तों के हाथों हर दिन लाखों रुपये नगद और जेवर भेंट होने के कारण भगवान सांवरिया सेठ के नाम से प्रसिद्ध हैं. यहां कई भक्त ऐसे आते हैं, जो अपनी आय का एक निश्चित हिस्सा तक चढ़ा जाते हैं. वहीं, कई लोग मंदिर कार्यालय में चेक और ऑनलाइन भी भेंट करते हैं.

कई भक्त सोना, चांदी तो कोई वाहन तक भेंट करते हैं. ऐसे में मासिक चढ़ावा 5 से 6 करोड़ रुपए हैं. साथ ही 6 लाख रुपए धर्मशाला, गेस्ट हाउस से तथा 2 लाख रुपये दुकानों की किराया आय के रूप में होती है. कोरोना के चलते यह आय बंद हो चुकी है.

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मदद के लिए आगे आया मंदिर प्रशासन

आपदा के इस दौर हर कोई अपने स्तर पर लोगों की मदद के लिए आगे आ रहा है. इसी कड़ी में श्री सांवलिया जी मंदिर प्रशासन भी आगे आया है. मंदिर प्रशासन की ओर से 1 करोड़ 52 लाख रुपये प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री राहत कोष में दिए गए हैं. साथ ही 3 लाख रुपए भोजन और राशन सामग्री के लिए दिए गए. इसके अलावा सांवलिया जी मंदिर की धर्मशाला में बनाए सेंटर पर भी बाहरी लोगों को रुकवाया गया है, जिनके खाने पीने की व्यवस्था भी की गई है.

वहीं, 50 लाख रुपए कर्मचारियों का वेतन और गौशाला का खर्च प्रतिमाह होता है. आय पूरी तरह से बंद होने के बावजूद मंदिर प्रशासन के पास पर्याप्त खजाना है. ऐसे में कर्मचारियों के वेतन सहित अन्य खर्च को लेकर कोई दिक्कत नहीं आनी है.

Last Updated : May 6, 2020, 9:32 AM IST
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