ETV Bharat / state

SPECIAL: फूलों की खूशबू बिखेरने वाले किसानों के मुरझाए चेहरे

फूलों की खेती से खुशबू बिखेरने वाले किसान इन दिनों भुखमरी से जूझ रहे हैं. लॉकडाउन की वजह से किसानों में हाहाकार मचा हुआ है. बगीचों में पड़े-पड़े ये फूल मुरझा चुके हैं. क्योंकि अब इन्हें खरीदने वाला कोई नहीं है.

Lockdown breaks business of flowers, Lockdown effects, कोरोना वायरस, कोविड 19, कोरोना वायरस का प्रभाव
फूलों की खेती हो रही बर्बाद
author img

By

Published : Apr 13, 2020, 4:42 PM IST

कपासन (चित्तौड़गढ़). कोरोना वायरस के चलते लगाए गए लॉकडाउन से पूरे देश की अर्थव्यवस्था उलट-पुलट हो गई है. बाजार बंद होने से छोटे-बड़े सभी धंधे मंद पड़ गए हैं. जिससे व्यापारियों से लेकर किसानों तक को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है. वहीं फूलों के किसानों पर भी लॉकडाउन का व्यापक असर पड़ा है. खेतों में लहरा रहे फूल अब पड़े-पड़े मुरझा चुके हैं. क्योंकि इन्हें खरीदने वाला अब कोई नहीं है.

फूलों की खेती हो रही बर्बाद

इस बार किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ा है. किसानों को फूलों के फसल की लागत भी नहीं मिल पा रही है. किसानों की मानें तो, हर साल चैत्र नवरात्रि और शादियों में फूलों की डिमांड रहती है. शादी समारोह और पर्व को देखते हुए किसान फूलों की खेती उसी आधार पर करते हैं. डिमांड ज्यादा होने से किसानों को फूलों के दाम भी अच्छे मिलते हैं. लेकिन इस बार लॉकडाउन के चलते सभी धार्मिक कार्यक्रम और शादी-विवाह भी बंद है. ऐसे में किसानों के चेहरे मुरझाना स्वभाविक है.

Lockdown breaks business of flowers, Lockdown effects, कोरोना वायरस, कोविड 19, कोरोना वायरस का प्रभाव
खेतों में पड़े-पड़े फूल मुर्झाए

क्या कहते हैं आंकड़ें...

  • कुल 23 किसान 90 बीघा जमीन में करते हैं फूलों की बुवाई.
  • एक बीघा में कुल 25 हजार का खर्च आता है.
  • यहां से फूल शनिदेव मंदिर, हजरत दीवाना शाह दरगाह में पहुंचता है.
  • यह फूल उदयपुर सावलिया सेठ के यहां भी जाते हैं.
  • साल भर में एक परिवार इससे 1 लाख की कमाई कर लेता है.

यह भी पढ़ें- रंग लाई मेहनत, 'कोराना काल' से बाहर निकला चूरू का सरदारशहर...

Lockdown breaks business of flowers, Lockdown effects, कोरोना वायरस, कोविड 19, कोरोना वायरस का प्रभाव
हालांकि गुलाब की पंखुडियों का हो सकता है इस्तेमा

शादी-ब्याह नहीं हुए इस साल...

एक किसान ने कहा कि हमें इसी वक्त फूलों की फसल से काफी उम्मीदें रहती थी. लेकिन इस बार लॉकडाउन ने हमारी सभी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. लॉकडाउन से पहले फूल काफी सस्ते दाम में फूल बिक रहे थे. ऐसे में किसान नवरात्र शुरू होने का इंतजार कार्यक्रम और शादी-विवाह भी बंद है.

Lockdown breaks business of flowers, Lockdown effects, कोरोना वायरस, कोविड 19, कोरोना वायरस का प्रभाव
लॉकडाउन ने चौपट किया व्यापार

इनके जीवन का आधार ही फूल...

एक किसान ने कहा कि हमारे पूरे परिवार का आधार ही फूलों की खेती है. लेकिन फूल ब्रिकी के समय लगे लाॅकडाउन ने सब बर्बाद कर दिया है. हमने शादी समारोह के लिए अपने खेतो में विभिन्न किस्मों के फूल बोए थे. गुलाब, गेंदा, गुलदावदी जैसे फूलों से हम वरमाला, स्टेज गुलदस्ता आदि बना कर अपनी कमाई करते थे. लेकिन लाॅकडाउन की वजह से सब धरा का धरा रहा गया.

त्यौहारों का रंग पड़ा फीका...

लॉकडाउन से पहले फूल मंडियों में 2 से 3 रुपए किलो के भाव में फूल बिक रहे थे. किसान नवरात्र शुरू होने का इंतजार कर रहे थे, ताकि अपने फूलों को अच्छेदामों पर बेच सकें. इसी इंतजार में किसान अपनी फसलों कि अच्छे से देखरेख कर फूलों को तैयार कर रहे थे. माना जा रहा है कि आने वाले समय में लॉकडाउन की अवधि बढ़ने से परिस्थियां और भी खराब हो सकती हैं.

कपासन (चित्तौड़गढ़). कोरोना वायरस के चलते लगाए गए लॉकडाउन से पूरे देश की अर्थव्यवस्था उलट-पुलट हो गई है. बाजार बंद होने से छोटे-बड़े सभी धंधे मंद पड़ गए हैं. जिससे व्यापारियों से लेकर किसानों तक को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है. वहीं फूलों के किसानों पर भी लॉकडाउन का व्यापक असर पड़ा है. खेतों में लहरा रहे फूल अब पड़े-पड़े मुरझा चुके हैं. क्योंकि इन्हें खरीदने वाला अब कोई नहीं है.

फूलों की खेती हो रही बर्बाद

इस बार किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ा है. किसानों को फूलों के फसल की लागत भी नहीं मिल पा रही है. किसानों की मानें तो, हर साल चैत्र नवरात्रि और शादियों में फूलों की डिमांड रहती है. शादी समारोह और पर्व को देखते हुए किसान फूलों की खेती उसी आधार पर करते हैं. डिमांड ज्यादा होने से किसानों को फूलों के दाम भी अच्छे मिलते हैं. लेकिन इस बार लॉकडाउन के चलते सभी धार्मिक कार्यक्रम और शादी-विवाह भी बंद है. ऐसे में किसानों के चेहरे मुरझाना स्वभाविक है.

Lockdown breaks business of flowers, Lockdown effects, कोरोना वायरस, कोविड 19, कोरोना वायरस का प्रभाव
खेतों में पड़े-पड़े फूल मुर्झाए

क्या कहते हैं आंकड़ें...

  • कुल 23 किसान 90 बीघा जमीन में करते हैं फूलों की बुवाई.
  • एक बीघा में कुल 25 हजार का खर्च आता है.
  • यहां से फूल शनिदेव मंदिर, हजरत दीवाना शाह दरगाह में पहुंचता है.
  • यह फूल उदयपुर सावलिया सेठ के यहां भी जाते हैं.
  • साल भर में एक परिवार इससे 1 लाख की कमाई कर लेता है.

यह भी पढ़ें- रंग लाई मेहनत, 'कोराना काल' से बाहर निकला चूरू का सरदारशहर...

Lockdown breaks business of flowers, Lockdown effects, कोरोना वायरस, कोविड 19, कोरोना वायरस का प्रभाव
हालांकि गुलाब की पंखुडियों का हो सकता है इस्तेमा

शादी-ब्याह नहीं हुए इस साल...

एक किसान ने कहा कि हमें इसी वक्त फूलों की फसल से काफी उम्मीदें रहती थी. लेकिन इस बार लॉकडाउन ने हमारी सभी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. लॉकडाउन से पहले फूल काफी सस्ते दाम में फूल बिक रहे थे. ऐसे में किसान नवरात्र शुरू होने का इंतजार कार्यक्रम और शादी-विवाह भी बंद है.

Lockdown breaks business of flowers, Lockdown effects, कोरोना वायरस, कोविड 19, कोरोना वायरस का प्रभाव
लॉकडाउन ने चौपट किया व्यापार

इनके जीवन का आधार ही फूल...

एक किसान ने कहा कि हमारे पूरे परिवार का आधार ही फूलों की खेती है. लेकिन फूल ब्रिकी के समय लगे लाॅकडाउन ने सब बर्बाद कर दिया है. हमने शादी समारोह के लिए अपने खेतो में विभिन्न किस्मों के फूल बोए थे. गुलाब, गेंदा, गुलदावदी जैसे फूलों से हम वरमाला, स्टेज गुलदस्ता आदि बना कर अपनी कमाई करते थे. लेकिन लाॅकडाउन की वजह से सब धरा का धरा रहा गया.

त्यौहारों का रंग पड़ा फीका...

लॉकडाउन से पहले फूल मंडियों में 2 से 3 रुपए किलो के भाव में फूल बिक रहे थे. किसान नवरात्र शुरू होने का इंतजार कर रहे थे, ताकि अपने फूलों को अच्छेदामों पर बेच सकें. इसी इंतजार में किसान अपनी फसलों कि अच्छे से देखरेख कर फूलों को तैयार कर रहे थे. माना जा रहा है कि आने वाले समय में लॉकडाउन की अवधि बढ़ने से परिस्थियां और भी खराब हो सकती हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.