चित्तौड़गढ़. 10 दिन पहले उदयपुर रोड स्थित रिठौला के पास हादसे में एक पैंथर घायल हो गया था. उदयपुर में इलाज के दौरान मौत उसकी हो गई. पैंथर अपने कुनबे से बिछड़ने के साथ ही 3-4 दिन तक भूखा प्यासा भटकता रहा था. दुर्घटना होने के बाद निमोनिया की चपेट में भी आ गया था. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में उसकी निमोनिया से मौत होना बताया जा रहा है.
बता दें कि 29 जनवरी की रात किसी पैंथर के घायल होने की सूचना पर वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची थी. ठंड से पैंथर निस्तेज हो चुका था. ऐसे में वन विभाग के कर्मचारियों ने अलाव जलाकर उसे गर्मी प्रदान की. इस बीच पैंथर अचानक वहां से भाग निकला. लगातार 2 दिन की तलाश के बाद पैंथर एक खेत में मिला. वन विभाग की टीम ने अपनी जान को जोखिम में डालकर उसे अपने कब्जे में किया. प्रारंभिक तौर पर उसके जबड़े पर ही चोट के निशान सामने आए थे. लेकिन शारीरिक रूप से कमजोर मानते हुए विभाग ने पैंथर को उदयपुर बायोलॉजिकल पार्क भेज दिया था.
विभागीय सूत्रों के अनुसार उपचार के दौरान एक साल की इस मादा पैंथर की मौत हो गई. मेडिकल बोर्ड से पोस्टमॉर्टम कराया गया, जिसकी प्रारंभिक रिपोर्ट में निमोनिया के चलते उसकी मौत होने की बात सामने आ रही है. बता दें कि 29 दिसंबर को भी रोला हेड़ा के पास एक पैंथर मृत पाया गया था. उसकी मौत भी अज्ञात वाहन की टक्कर से होना बताया गया है.